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    जम्मू कश्मीर में दो माह से नहीं एसईसी, ऐसे में कैसे होगा पंचायतों का गठन

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 12:51 PM (IST)

    जम्मू कश्मीर में पंचायत चुनाव अगस्त में होने की संभावना कम है क्योंकि प्रदेश चुनाव आयुक्त (एसईसी) का पद दो महीने से अधिक समय से खाली है। पंचायतों का कार्यकाल 9 जनवरी 2024 को समाप्त हो गया था और तब से चुनाव टल रहे हैं। आल जम्मू एंड कश्मीर पंचायत कान्फ्रेंस के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने एसईसी की नियुक्ति में देरी पर सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाया है।

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    जम्मू कश्मीर पंचायत राज अधिनियम 1989 के अनुसार, एसईसी का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है।

    नवीन नवाज, जागरण, जम्मू। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में पंचायत चुनाव अगस्त में कराए जाने की संभावना क्षीण होती जा रही है, क्योंकि प्रदेश चुनाव आयुक्त (एसईसी) का पद लगभग दो माह से भी ज्यादा समय से रिक्त पड़ा है। उनके स्थानापन्न की नियुक्ति के लिए फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर कोई सुगबुगाहट भी नहीं है।

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    जम्मू कश्मीर में अभी तक सिर्फ दो ही एसईसी रहे हैं। पहले एसईसी केके शर्मा थे जिनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद 14 जुलाई 2024 को बीआर शर्मा को एसईसी बनाया गया था। उनका कार्यकाल भी एक माह पहले समाप्त हो चुका है।

    जम्मू कश्मीर में पंचायतों का कार्यकाल नौ जनवरी 2024 को समाप्त हो गया था। उसके बाद से पंचायतों के चुनाव लगातार टल रहे हैं। पहले सुरक्षा कारणों से, फिर संसदीय और विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के चलते इनहें टाला गया। इस दौरान पंचायतों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था की प्रक्रिया के लंबित होने और पंचायत हल्कों के परिसीमन के कारण पंचायत चुनाव नहीं कराए गए।

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    संबधित प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो जम्मू कश्मीर में पंचायत मतदाता सूचियों की पुनरीक्षण प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। इसके अलावा ओबीसी के लिए आरक्षण की आैपचारिकताएं भी पूरी की जा चुकी हैं। उम्मीद की जा रही थी कि जम्मू कश्मीर में श्री अमरनाथ की यात्रा के संपन्न होने के साथ ही पंचायत और शहरी निकायों के चुनाव कराए जाएंगे। लेकिन एसईसी के बिना यह मुश्किल ही है।

    आल जम्मू एंड कश्मीर पंचायत कान्फ्रेंस के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि एसईसी जैसे महत्वपूर्ण पद का बीते एक माह से रिक्त होना, मौजूदा सरकार की पंचायतों के गठन के प्रति गंभीरता को दर्शाता है। ऐसा लगता है कि मौजूदा सरकार यहां पंचायती राज व्यसवस्था को नही देखना चाहती। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों इस मुदृदे पर मौन हैं।

    उन्होंने कहा कि जब आयोग का कोई प्रमुख नहीं होगा, तो इसका सीधा असर चुनावों पर पड़ेगा। आयोग द्वारा की गई विभिन्न कवायदों के कारण पहले ही काफी समय बर्बाद हो चुका है। यह एसईसी का विशेषाधिकार है कि यूएलबी और पंचायत चुनाव कैसे और कब कराए जाएं. इसलिए हमारी सरकार से अपील है कि जल्द से जल्द नए एसईसी की नियुक्ति की जाए ताकि चुनाव हो सकें।

    जम्मू कश्मीर पंचायत राज अधिनियम 1989 के मुताबिक प्रदेश चुनाव आयुक्त का कार्यकाल पांच वर्ष है और अ उक्त पद पर आसीन माननीय की ऊपरी आयु सीमा 65 वर्ष है। अगर प्रदेश चुनाव आयुक्त अपने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही 65 वर्ष की आयु सीमा पार करते हैं तो उनका कार्यकाल स्वत: ही समाप्त माना जाएगा।

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    अधिनियम के मुताबिक प्रदेश चुनाव आयुक्त की नियुक्ति उपराज्यपाल द्वारा की जाएगी और उक्त पद के लिए योग्य उम्मीदवार की सिफारिश मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली एक समिति करेगी। समिति में मुख्यमंत्री के अलावा जम्मू कश्मीर विधानसभा के स्पीकर, पंचायती राज मामलों के मंत्री और नेता प्रतिपक्ष शामिल होंगे।

    पांच वर्ष है प्रदेश चुनाव आयुक्त का कार्यकाल

    जम्मू कश्मीर पंचायत राज अधिनियम 1989 के मुताबिक प्रदेश चुनाव आयुक्त का कार्यकाल पांच वर्ष है और अ उक्त पद पर आसीन माननीय की ऊपरी आयु सीमा 65 वर्ष है। अगर प्रदेश चुनाव आयुक्त अपने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही 65 वर्ष की आयु सीमा पार करते हैं तो उनका कार्यकाल स्वत: ही समाप्त माना जाएगा।

    अधिनियम के मुताबिक प्रदेश चुनाव आयुक्त की नियुक्ति उपराज्यपाल द्वारा की जाएगी और उक्त पद के लिए योग्य उम्मीदवार की सिफारिश मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली एक समिति करेगी। समिति में मुख्यमंत्री के अलावा जम्मू कश्मीर विधानसभा के स्पीकर, पंचायती राज मामलों के मंत्री और नेता प्रतिपक्ष शामिल होंगे।