जम्मू-कश्मरीर में डेढ़ वर्ष से थमा पड़ा पंचायतों का कार्यकाल, ग्रामीण पूछ रहे सवाल- कब हाेंगे पंचायत चुनाव
जम्मू-कश्मीर में पंचायती राज के चुनाव में देरी से ग्रामीण परेशान हैं क्योंकि पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी चुनाव नहीं हुए हैं। लगभग 4100 पंचायतें निष्क्रिय हैं जिससे विकास कार्य ठप हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस ने सरकार से चुनाव कराने और राज्य चुनाव आयोग का पद भरने का आग्रह किया है।
जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में पंचायती राज के चुनाव में हो रही देरी से ग्रामीण लोग खफा हैं। पिछले डेढ़ वर्ष से पंचायतें कार्यशील नहीं हैं, इससे ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों के जरिए होने वाले कार्य ठप हैं। पंचायतों में रौनक ही थम सी गई है।
जम्मू-कश्मीर में 9 जनवरी 2024 को पंचायतों का 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया था। मगर अगले पंचायती चुनाव नहीं हो पाए। कायदे से पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने से 3 माह पहले ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
अब डेढ़ वर्ष का समय गुजर चुका है, पंयाचतें ठंडी पड़ी हैं और ग्रामीण लोग परेशान हैं। जम्मू -कश्मीर में 4100 पंचायतें हैं जिसके जरिए तकरीबन 36000 पंच सरपंच चुने जाते हैं। जम्मू-कश्मीर जैसे दुर्गम क्षेत्रों में विकास कार्य के लिए यह पंचायतें अहम रोल अदा करती हैं।
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सरकार ने पंचायती राज के चुनाव शीघ्र कराने के लिए कई बार संकेत तो दिए। मगर हर बार बात सिरे नहीं चढ़ पाई। वहीं चुनाव में हो रही देरी को लेकर जम्मू-कश्मीर पंचायत कांफ्रैंस खफा है। इनका कहना है कि सरकार ने अगर लोकतंत्र की बहाली करनी है तो शीघ्र चुनाव कराए। राज्य चुनाव आयोग का पद जोकि डेढ़ माह से खाली पड़ा है, इसे तुरंत भरा जाए और उसके बाद चुनाव कराए जाएं ।
जम्मू-कश्मीर पंचायत कांफ्रैंस के प्रधान अनिल शर्मा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर जैसे प्रदेश में पंचायतों की अहम भूमिका है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की लहर तभी चल सकती है जब पंचायतें कार्यशील हों। ऐसे में चुनाव में देरी सहन नहीं की जा सकती।
अगर सरकार सच में पंचायतों को सशक्त करना चाहती है और लोकतंत्र की बहाली कराना चाहती है तो पंचायत चुनाव कराने का निर्णय तुरंत लिया जाना चाहिए।
क्या कहते हैं पूर्व पंच सरपंच
लोकतत्र की मजबूती के लिए पंचायतों का चुनाव कराने बेहद जरूरी है। गांव के छोटे छोटे मुद्दे पंच, सरपंच अपने बल पर निपटा सकते हैं। सरकार की योजनाओं को लोगों तक पहुंचा सकते हैं। एक पंच या सरपंच ग्रामीण लोगों और सरकार के बीच पुल का काम करता है। अगर ग्रामीण क्षेत्रों को खुशहाल करना है तो पंचायती राज से ही हो सकता है। -कुलभूषण खजूरिया, पूर्व सरपंच
एक पंचायत क्षेत्र के लोगों के लिए रक्षक कवच के तौर पर काम करती है। अगर किसी ग्रामीण को कोई दिक्कत या परेशानी हो तो पंचायत प्रतिनिधि उसकी बात सुनकर मुद्दे का हल निकालने का प्रयास करते हैं। ग्रामीण क्षेत्र का बराबर विकास हो, इसकी योजनाएं इन्ही पंचायतों के माध्यम से बनती हैं। मगर जब पंचायतें ही कार्यशील न रहें तो विकास की कल्पना कैसे हो सकती है। -रघुनंदन खजूरिया, पूर्व सरपंच
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पंचायतों के जरिए विकास का सपना तो बहुत पहले लिया गया था। मगर पंचायतों को पूर्ण अधिकार देने, पंचायतों के जरिए विकास कराने का वातावरण नहीं बन पा रहा। जब पंचायतों का कार्यकाल था, तब पंचायतों को पूरे अधिकार प्राप्त नहीं थे। अब तो पंचायतों का कार्यकाल ही पूरा हो चुका है। पंचायतें ठंडी पड़ी हुई हैं। आखिर जम्मू-कश्मीर में ऐसा क्यों हैं। ग्रामीण क्षेत्रों का विकास सीधे इन पंचायतों से ही जुड़ा हुआ है। -किशोर कुमार, पूर्व सरंपच
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