एसपीओ की बर्खास्तगी के आदेश को न्यायालय ने बताया दागदार, प्रदेश प्रशासन की याचिका खारिज
जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने SPO सतीश कुमार की बहाली के खिलाफ प्रदेश प्रशासन की अपील खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली की पीठ ने विच्छेद आदेश को त्रुटिपूर्ण बताते हुए अपील में देरी को अनुचित ठहराया। न्यायालय ने कहा कि SPO को बर्खास्त करने से पहले सुनवाई का अवसर देना चाहिए था।

जागरण, जेएनएफ, जम्मू। जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरुण पल्ली और न्यायाधीश रजनेश ओसवाल की अध्यक्षता में गठित पीठ ने एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) सतीश कुमार की बहाली के खिलाफ प्रदेश प्रशासन द्वारा दायर एक लेटर्स पेटेंट अपील (एलपीए) खारिज कर दी है। न्यायालय ने विच्छेद आदेश को दागदार और मामले में अपील दायर करने में देरी को अनुचित बताया।
एसपीओ सतीश कुमार को 18 मार्च 2009 को बर्खास्त कर दिया गया था और एसपीओ ने इस अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी थी। इसके बाद एसपीओ ने एकल पीठ के समक्ष आदेश को चुनौती दी जिस पर एकल पीठ ने ने 21 मई 2024 को विच्छेद आदेश को रद्द कर दिया और अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे एसपीओ को सुनवाई का अवसर दिए बिना कोई कार्रवाई न करें।
इसके आदेश के खिलाफ प्रदेश प्रशासन ने 362 दिनों बाद चुनौती देती अपील दायर की और साथ ही देरी के लिए न्यायालय से माफी मांगी, लेकिन न्यायालय ने इसे स्वीकार नहीं किया।न्यायालय ने एसपीओ के विच्छेद आदेश को कलंकित पाया, जिसमें एसपीओ पर कार्य के प्रति समर्पण और कर्तव्य पालन में विफलता का उल्लेख किया गया था।
न्यायालय ने कहा कि विच्छेद से पहले एसपीओ को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए था। उच्च न्यायालय ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला भी दिया। साथ ही न्यायालय ने दोहराया कि अनुबंधित कर्मचारियों के विच्छेद में भी प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए।
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