श्रीनगर में कुत्तों का आतंक, आबादी होगी नियंत्रित, 10 महीने बाद घाटी में कुत्तों की नसबंदी फिर शुरू
श्रीनगर में लावारिस कुत्तों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए दस महीने बाद पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रम फिर से शुरू हो गया है। श्रीनगर नगर निगम के आयुक्त फज़लुल हसीब ने बताया कि कुत्तों की नसबंदी शुरू कर दी गई है। मादा कुत्तों को प्राथमिकता दी जा रही है और नसबंदी के बाद उन्हें वापस उन्हीं इलाकों में छोड़ा जा रहा है।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। घाटी में लावारिस कुत्तों की तेजी से बढती संख्या तथा लोगों पर उनके हमलों की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर दस महीने के बाद, श्रीनगर में पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रम फिर से शुरू हो गया है, जिसके तहत आवारा या लावारिस कुत्तों की नसबंदी की जाती है।
प्रभावी कुत्ता नसबंदी कार्यक्रम आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने का एकमात्र वैज्ञानिक और मानवीय तरीका है, जिनकी संख्या जम्मू-कश्मीर में चिंताजनक रूप से बढ़ गई है। श्रीनगर नगर निगम के आयुक्त फज़लुल हसीब ने बताया कि पिछले हफ्ते की शुरुआत में कुत्तों की नसबंदी शुरू की गई थी।
यह भी पढ़ें- जिला कठुआ में बाढ़ में बही पानी की मुख्य पाइप लाइन, 15 गांवों में पेयजल आपूर्ति ठप, फसलों को भी नुक्सान
हमने कुत्तों की नसबंदी के लिए एक एजेंसी का चयन किया है और उन्होंने प्रक्रिया शुरू कर दी है। हमारे टेंगपोरा सुविधा केंद्र में कुत्तों की नसबंदी की जा रही है। उन्होंने कहा कि एजेंसी को दो साल के लिए अनुबंध दिया गया है। उन्होंने कहा, हमें नसबंदी की संख्या को पिछली गति से बढ़ाने का विश्वास है और इससे नए जन्मों की संख्या को कम करने में मदद मिलेगी।
हसीब ने बताया कि श्रीनगर के कई इलाकों से मादा कुत्तों को चरणबद्ध तरीके से उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा, यह स्वीकृत प्रोटोकॉल है; मादा कुत्तों की नसबंदी को प्राथमिकता दी जाती है। हमने यह भी देखा है कि मादा कुत्तियाँ कभी-कभी आक्रामक हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि निर्देशों के अनुसार, कुत्तों को उठाया जाता है, उनकी नसबंदी की जाती है और उन्हें उन्हीं इलाकों में वापस छोड़ दिया जाता है जहाँ से उन्हें उठाया गया था।
नसबंदी के अलावा, कुत्तों को रेबीज का टीका भी लगाया जाता है और कृमिनाशक दवाइयाँ दी जाती हैं। नसबंदी किए गए कुत्तों को छोड़ने से पहले उनके कान पर एक निशान लगाया जाता। है।एसएमसी कमिश्नर ने बताया कि अत्याधुनिक चत्तरहामा नसबंदी केंद्र का काम भी पूरा हो रहा है। इसमें एक महीने से ज़्यादा समय नहीं लगेगा।
उन्होंने कहा कि नसबंदी के लिए नए बुनियादी ढाँचे के जुड़ने से प्रतिदिन ज़्यादा कुत्तों की नसबंदी हो सकेगी।सर्दियों के महीनों में नसबंदी अभियान जारी रखा जाएगा या नहीं, इस पर उन्होंने कहा, यह अनुशंसित नहीं है। हालाँकि, उन्होंने कहा कि एसएमसी ऐसे तरीके तलाश रही है जिनसे नसबंदी को ठंडे महीनों में भी जारी रखा जा सके।
यह भी पढ़ें- Kashmir: भूमि धोखाधड़ी व आपराधिक षडयंत्र के मामले में पटवारी समेत चार के खिलाफ मामले दर्ज
पिछले तीन वर्षों में, श्रीनगर में 11,789 कुत्तों की नसबंदी की गई है। नवंबर 2024 के बाद से कोई नसबंदी नहीं की गई है, क्योंकि एजेंसी का अनुबंध समाप्त हो गया था और कोई नया अनुबंध नहीं हुआ था। बता देते हैं कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार श्रीनगर में लावारिस कुत्तों की संख्या 30,000 के आसपास है जबकि गैर सरकारी आंकड़ों की माने तो यह संख्या एक लाख से अधिक है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।