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    लेह में पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक का 35 दिन का उपवास शुरू, लद्दाख मुद्दों पर सरकार को जगाने की कोशिश

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 06:48 PM (IST)

    पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक ने लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर लेह में 35 दिन का उपवास शुरू किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं की इसलिए उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। वांगचुक ने सरकार से जल्द बातचीत शुरू करने की मांग की और आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दी।

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    सोनम वांगचुक ने प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठाए।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। लद्दाख के राज्य दर्जे, संविधान की छठी अनुसूचि जैसी मांगों को लेकर पर्यवरणविद्ध सोनम वांगचुक ने बुधवार से लेह में 35 दिन का उपवास शुरू कर दिया।

    लेह के एनडीएस पार्क में लेह अपेक्स बाडी सर्वधर्म सभा में सोनम वांगचुक ने लद्दाखियों के हितों के संरक्षण की मांग को लेकर 35 दिन का उपवास शुरू करने की घोषणा की। वांगचुक के साथ उनके कुछ समर्थक भी उपवास पर बैठे हैं। लेह में हुई सर्वधर्म सभा में बौद्ध भिक्षु, अंजुमन इमामिया लेह, अंजुमन मोइन-उल-इस्लाम व क्रिश्चियन एसोसिएशन के सदस्य भी शामिल हुए।

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    प्रार्थना सभा के दौरानवक्ताओं ने लद्दाख की विशिष्ट पहचान, पर्यावरण संरक्षण व आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की रक्षा के महत्व को रेखांकित किया। इस दौरान ज़ोर दिया गया कि लद्दाखियों के हितों की सुरक्षा के लिए सभी समुदायों के लिए एकजुट होकर प्रयास करना बेहद ज़रूरी है।

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    वहीं उपवास पर बैठे सोनम वांगचुक ने कहा कि यह कदम लद्दाख के भविष्य को सुरक्षित रखने की दिशा में एक शांतिपूर्ण दृढ़ प्रयास होगा। उन्होंने कहा कि वह लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने, राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लेह में उपवास शुरू कर रहे हैं।

    केंद्र सरकार द्वारा पिछले दो महीनों में उनकी मांगों को लेकर कोई बैठक नहीं बुलाई गई। यही कारण है कि उन्हें उपवास का रास्ता अपनाना पड़ा है। लद्दाख के मुद्दों को लेह गृह मंत्रालय की हाई पावर कमेटी की बैठक में देरी के बाद से लद्दाख के क्षेत्रीय संगठन सुलग रहे हैं। ऐसे में वांगचुक ने भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार न सिर्फ जल्द बैठक बुलाए अपितु मुख्य मुद्दों पर बातचीत करना शुरू करे।

    वांगचुक ने कहा कि सरकार के साथ बातचीत रुक गई है। लद्दाखियों के मुख्य मांगों पर चर्चा शुरू होने से पहले ही सरकार का रवैया बदल गया। ऐसे में अब आंदोलन को तेज करने के अलावा कोई चारा नही है। उन्होंने याद दिलाया कि लेह में जल्द हिल काउंसिल के चुनाव जल्द होने वाले हैं।

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    केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने पिछले चुनाव में लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने का वादा किया था। यह वादा चुनाव से पहले पूरा होना चाहिए। वांगचुक ने घोषणा की कि दो अक्टूबर को गांधी जयंती का दिन उनके आंदोलन के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा।

    लद्दाख प्रशासन के रवैए के खिलाफ कड़े तेवर दिखाते हुए सोनम वांगचुक ने कहा कि जिस तरह से मेरे पास जांच एजेंसियां लगाई जा रही हैं, उसकी तरह से अगर लद्दाख प्रशासन व लेह हिल काउंसिल की भी जांच करवाई जाए तो मैं उपवास बद कर दूंगा। वांगचुक ने स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण, अहिंसात्मक है। बुलंद की जा रही भारतीय संविधान के दायरे में हैं।

    वांगचुक ने गत माह लद्दाख प्रशासन द्वारा उनके हिमालयन इंस्टीट्यूट आफ अल्टरनेटिव लर्निंग (एचआइएएल) को लेह के फेयांग गांव में दी गई 1076 कनाल से अधिक जमीन का आवंटन रद किए जाने के बाद मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था चांगथांग में चरवाहों की जमीन बिजली कंपनियों को दिए जाने के खिलाफ आवाज उठाने के बाद उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।

    इससे पहले सोनम वांगचुक ने लद्दाख के मुद्दों को लेकर मार्च 2024 में 21 दिन का उपवास किया था। इसे लद्दाख के लोगों को पूरा समर्थन मिला था। वहीं ठीक एक साल पहले उन्होंने लद्दाख के मुद्दों को लेकर लेह से दिल्ली तक पैदल मार्च किया था।

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    गांधी जयंती से ठीक एक दिन पहले उन्हें दिल्ली की सीमा पर हिरासत में ले लिया गया था। इसके बाद कई दिन तक उन्होंने दिल्ली में प्रदर्शन किया था जो गृह मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा बातचीत शुरू करने का आश्वासन मिलने के बाद समाप्त हुआ था।