बेबाक अंदाज-चुनौतीपूर्ण फैसलों के लिए जाने जाएंगे जम्मू-कश्मीर के आखिरी राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक
त्यपाल मलिक जो बिहार गोवा मेघालय और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे का निधन हो गया। उनके कार्यकाल में अनुच्छेद 370 को हटाना और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करना जैसे महत्वपूर्ण फैसले हुए। पुलवामा हमले के दौरान उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना की थी। रोशनी एक्ट को समाप्त करने का फैसला भी उनके कार्यकाल में हुआ।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते रहे सत्यपाल मलिक चार राज्यों बिहार, गोवा, मेघालय व जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे लेकिन उनका सबसे प्रभावशाली कार्यकाल अगस्त 2018 में शुरू हुआ, जब उन्हें जम्मू और कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
इस कार्यकाल में दो महत्वपूर्ण बहुत बड़ी घटनाएं हुई जिसमें 2019 का पुलवामा हमला जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान बलिदान हुए और 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करना।
उनके समय एक बहुत अहम फैसला रोशनी एक्ट को समाप्त करना था। उनका निधन भी पांच अगस्त को ही हुआ है। मलिक जम्मू और कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल थे। मलिक ने 2018 में रोशनी एक्ट को समाप्त करते हुए कहा कि यह कानून अपने उद्देश्य को पूरा करने में विफल रहा और इसका दुरुपयोग हुआ।
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सत्यपाल मलिक का पांच दशक लंबा राजनीतिक करियर कई राजनीतिक दलों में फैला हुआ था। मलिक अगस्त 2018 में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल बने थे, उस समय राज्यपाल शासन था। उन्होंने बाद में विधानसभा को भंग किया था और वह अक्टूबर 2019 तक रहे।
उनका कार्यकाल काफी चुनौती भरा रहा। उनके समय में पुलवामा आतंकी हमला हुआ था। मलिक ने बाद में समय समय पर कई साक्षात्कार में केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। पुलवामा हमले के लिए केंद्र को निशाने पर लिया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि इसमें खुफिया तंत्र की नाकामी थी। उन्होंने यह भी गंभीर आरोप लगाया था कि सीआरपीएफ कर्मियों को कश्मीर ले जाने के लिए एयर क्राफ्ट की मांग की थी जिसे गृह मंत्रालय ने नहीं माना। मलिक एक ऐसे राज्यपाल थे जो आम लोगों के फोन उठा लेते थे। उनका अंदाज अलग था।
जम्मू विवि के सोशल साइंस फैकल्टी के पूर्व डीन प्रो. हरि ओम का कहना है कि सत्यपाल मलिक की जम्मू कश्मीर में बतौर राज्यपाल अच्छा भूमिका रही है। हालांकि कई चुनौतियां थी लेकिन मलिक ने स्थिति को संभाला। मलिक का अहम फैसला अनुच्छेद 370 के अलावा रोशनी एक्ट को समाप्त करना था। मलिक अहम फैसले के लिए याद किए जाएंगे।
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