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    रियासी हमला देश में हिंसा भड़काने का षड्यंत्र, सुरक्षा एजेंसियों का बड़ा दावा- पाक की खुफिया एजेंसी ने चली शर्मनाक चाल

    जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा सोमवार को कटड़ा और जम्मू स्थित अस्पतालों भर्ती घायलों का हाल जाना। उन्होंने हमले में मारे गए प्रत्येक मृतक के परिवार को 10-10 लाख रुपये और प्रत्येक घायल को 50 हजार की अनुग्रह राशि देने का एलान किया। उपराज्यपाल ने कहा कि हमलावरों को कठोर दंड दिया जाएगा। उनसे खून की एक-एक बूंद का हिसाब लिया जाएगा।

    By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Tue, 11 Jun 2024 01:50 PM (IST)
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    जम्मू-कश्मीर के रियासी में हमले के बाद क्षतिग्रस्त बस, निगरानी करती सेना व शवों को वाहनों मे रखते जवान

    नवीन नवाज, जम्मू। रियासी में शिवखोड़ी धाम में दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं पर आतंकी हमला जम्मू कश्मीर में शांत क्षेत्रों में अशांति फैलाने के आतंकी षड्यंत्र तक सीमित नहीं है।

    यह देश के विभिन्न भागों में विशेषकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व बिहार समेत देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइए की कुत्सित चाल है।

    नौ लोगों की मौत, 41 घायल

    यह दावा हमले की जांच में शामिल सुरक्षा एजेंसियों ने अपने प्रांरभिक आकलन पर किया है। इस हमले ने जम्मू कश्मीर में सामान्य स्थिति और सुरक्षित एवं विश्वासपूर्ण बहाली के सरकारी दावों पर प्रश्नचिह्न लगाया है।

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    बता दें कि रविवार शाम छह बजे चंडी मोड़ क्षेत्र में हुए आतंकी हमले में नौ लोगों की मौत हो गई और 41 अन्य जख्मी हो गए थे।

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    जिला रियासी के माहौर, गुलाबगढ़ जैसे इलाके कभी आतंकी हिंसा का गढ़ रहे हैं। इस जिले की जिला जम्मू, राजौरी-पुंछ, रामबन, ऊधमपुर के साथ लगती हैं। यह पीर पंजाल से सटा है। रियासी के प्राणकोट इलाके में 17 अप्रैल 1998 में आतंकियों ने 28 हिंदुओं की हत्या की थी।

    वर्ष 1993 में आतंकियां ने माहौर पुलिस थाने पर हमला किया था। पूरे क्षेत्र में वर्ष 2005 तक 250 आतंकी वारदातें हुई हैं। 70 आतंकी मारे गए हैं। इनमें अधिकांश विदेशी ही थे।

    पांच विदेशी आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराया

    वर्ष 2005 में चंडी मोड़ से कुछ ही दूरी पर सुरक्षाबलों ने पांच विदेशी आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराया था। उसके बाद यह क्षेत्र धीरे-धीरे शांत होता गया। यह उन जिलों में एक है जिनके बारे में कहा जाता है कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबल विशेषाधिकार अधिनियम (अफास्पा) जब हटाया जाएगा तो सबसे पहले इसी जिले से हटेगा।

    दो वर्ष पहले आतंकियों ने कटड़ा में श्रद्धालओं की बस में स्टिकी बम से धमाका किया था। चार लोगों की मौत हुई थी। आतंकी संगठन गजनवी फोर्स ने भी इस इलाके में ठिकाने बनाने का प्रयास किया है। बीते दो वर्ष के दौरान रियासी-माहौर में सुरक्षाबलों के साथ विभिन्न मुठभेड़ों में छह आतंकी मारे जा चुके हैं।

    श्रद्धालुओं को निशाना बनाना सोची समझी साजिश थी

    रियासी हमले की जांच में शामिल पुलिस और केंद्रीय खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने बताया आतंकियों ने हमले के लिए समय और स्थान चुनने में जरूर समय लिया है। क्योंकि वे हमले को सनसनीखेज बनाना चाहते थे।

    इस हमले को प्रदेश में अक्सर होने वाली आतंकी घटनाओं से नहीं जोड़ा जा सकता। जिस क्षेत्र में यह हमला हुआ है वह सुरक्षित इलाका है।

    हमले वाली जगह से कुछ दूरी पर मुस्लिम जियारत भी है। हमले में निशाना शिवखोड़ी धाम की यात्रा पर आए श्रद्धालुओं की बस को बनाया है। हमला प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण से लगभग एक घंटा पहले हुआ है।

    श्रद्धालुओं को निशाना बनाकर आतंकियों ने यह साबित किया कि कश्मीर में हीं नहीं जम्मू के शांत कहे जाने वाले इलाकों में भी वे वारदातें कर सकते हैं।

    श्रद्धालुओं को निशाना बनाने पीछे षड्यंत्र यह था कि देश में विशेषकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में सांप्रदायिक उन्माद फैले। अगर ऐसा न होता तो वह वहां से गुजरने वाले किसी अन्य वाहन को भी निशाना बना सकते थे।

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