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    तो इस वजह से फैल रही है बीमारी? राजौरी में 17 मौतों के बाद बड़ा खुलासा; भूलकर भी न पिएं झरनों का पानी

    Updated: Thu, 30 Jan 2025 04:04 PM (IST)

    जम्मू संभाग के राजौरी में 17 लोगों की मौत के बाद जल शक्ति विभाग ने एहतियातन कदम उठाते हुए जम्मू और कश्मीर संभाग में झरनों-बावलियों के पानी की जांच शुरू कर दी है। श्रीनगर व गांदरबल जिलों में करीब 40 झरनों-बावलियों के लिए गए सैंपल में से 37 का पानी दूषित पाया गया है। विभाग ने इन झरनों-बावलियों को मानव उपयोग के लिए अनुपयुक्त घोषित कर दिया है।

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    Rajouri Death News: श्रीनगर और गांदरबल में झरनों और बावलियों का पानी दूषित (फोटो)

    जागरण संवाददाता, जम्मू। Jammu Kashmir News: जम्मू संभाग के जिला राजौरी में 17 लोगों की मौत के कारणों का पता लगाने को लेकर जारी जांच के बीच जल शक्ति विभाग ने एहतियातन कदम उठाते हुए जम्मू और कश्मीर संभाग में झरनों-बावलियों के पानी की जांच शुरू कर दी है।

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    दोनों संभाग के कई दूरदराज पहाड़ी गांव में प्राकृतिक जलस्रोत से पानी की सप्लाई की जाती है। जल शक्ति विभाग कश्मीर के अनुसार, श्रीनगर व गांदरबल जिलों में करीब 40 झरनों-बावलियों के लिए गए सैंपल में से 37 का पानी दूषित पाया गया है।

    मानव उपयोग के लिए अनुपयुक्त

    विभाग ने इन झरनों-बावलियों को मानव उपयोग के लिए अनुपयुक्त घोषित कर दिया है। राहत की बात यह है कि जम्मू संभाग के अब तक लिए गए सभी सैंपल ठीक पाए गए हैं। जम्मू संभाग में जल शक्ति विभाग के चीफ केमिस्ट संजीव थापा ने बताया कि उनकी टीम नियमित रूप से पानी की सप्लाई पर नजर रख रही है।

    पानी की जांच करने के बाद घरों में नल द्वारा पानी की सप्लाई दी जा रही है। इसके अलावा राजौरी, पुंछ और डोडा के जिन ग्रामीण व पहाड़ी इलाकों में पानी की सप्लाई देने के लिए प्राकृतिक स्रोतों, बावलियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसकी भी नियमित जांच हो रही है।

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    फिलहाल खतरे की कोई बात नहीं है। थापा ने जानकारी दी कि जम्मू संभाग में अधिकतर उपभोक्ता पानी के लिए ट्यूबवेल पर निर्भर हैं। प्राकृतिक स्रोतों से भी अगर सप्लाई दी जा रही है तो वह भी लोगों तक पहुंचने से पहले ट्यूबवेल में स्टोर की जा रही है।

    ट्रीटमेंट होने के बाद ही उसे आपूर्ति के लिए छोड़ा जाता है परंतु कश्मीर में ऐसा नहीं है। वहां पहाड़ी इलाकों के लोग अपने तौर पर बावलियों व चश्मों का पानी पीते हैं।

    वह भी किसी गंभीर परिणाम का शिकार न हों, टीम को उन स्रोतों की जांच के लिए भी कहा गया है। ऐसे में जल शक्ति विभाग प्राकृतिक स्रोतों की साल में एक या दो बार नियमित रूप से जांच करता है।

    ग्रामीण लोग झरने और बावलियों का पानी न करें उपयोग

    अगर कोई उपभोक्ता स्वयं पानी की जांच कराना चाहता है तो वे नजदीक डिवीजन या सब डिवीजन में जा सकता है। वहीं, कश्मीर संभाग में जल शक्ति विभाग-ग्रामीण ने जिला गांदरबल और श्रीनगर के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों से अनुरोध किया है कि वे पीने के लिए झरने-बावलियों के पानी का उपयोग करने से बचें।

    विभाग के अगले निर्देशों तक केवल नल के पानी का ही उपयोग करें। अगर वे झरने के पानी का उपयोग करना भी चाहते हैं तो लंबे समय तक पानी उबालने के बाद ही उसे उपयोग में लाएं।

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