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    खुल गया राजौरी में रहस्यमयी मौतों का राज! सामने आई हैरान करने वाली वजह; 50 दिनों से जारी है 'तांडव'

    Updated: Tue, 28 Jan 2025 08:46 AM (IST)

    Mysterious Deaths in Badal Village Rajouri राजौरी के बडाल गांव में 17 लोगों की मौत के पीछे ऑर्गनोफॉस्फोरस विषाक्तता की संभावना जताई जा रही है। भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसए) की जांच में यह बात सामने आई है। ऑर्गनोफॉस्फोरस एक कीटनाशक है जिसका इस्तेमाल गेहूं मक्की आदि को कीड़ा लगने से बचाने के लिए किया जाता है। हालांकि अभी आधिकारिक रिपोर्ट आना बाकी है।

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    राजौरी के बडाल गांव को जाने वाले मार्ग पर तैनात पुलिस और सीआरपीएफ के जवान (फोटो- जागरण)

    जागरण संवाददाता, राजौरी। जिला के बडाल गांव में रहस्यमय तरीके से 17 लोगों की मौत का कारण कीटनाशक आर्गेनो फास्फोरस सामने आया है। सूत्रों के अनुसार, भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसए) ने गांव में जाकर लिए सैंपल की जांच में पाया कि ऑर्गनोफॉस्फोरस का प्रभाव ग्रामीणों पर हुआ है। बताया जा रहा है कि एफएसएसए की टीम ने इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य विभाग को भी जानकारी दे दी है, हालांकि इसकी आधिकारिक रिपोर्ट का इंतजार है।

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    बड़ा सवाल...कहां से आया ऑर्गनोफॉस्फोरस

    वहीं रिपोर्ट के बाद जीएमसी राजौरी में भर्ती मरीजों को एंटीडोट-एट्रोपिन इंजेक्शन दिया गया, जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। दरअसल, एट्रोपिन इंजेक्शन का उपयोग ऑर्गनोफॉस्फोरस के कारण होने वाले विषाक्तता के इलाज के लिए किया जाता है।

    अब बड़ा सवाल यह है कि ऑर्गनोफॉस्फोरस कहां से आया। इतने लोग इसके प्रभाव में कैसे आए। क्या इसके पीछे कोई आपराधिक साजिश है।

    क्या है ऑर्गनोफॉस्फोरस?

    बता दें कि ऑर्गनोफॉस्फोरस एक कीटनाशक है जो गेहूं, मक्की आदि को कीड़ा लगने से बचाने के लिए डाला जाता है। ऑर्गनोफॉस्फोरस के प्रभाव में आने से कई रोगों के साथ मौत का भी कारण बन सकता है।

    बडाल में करीब 50 दिन में 13 बच्चों सहित 17 लोगों की मौत व कई लोग बीमार हो चुके हैं। मौत के कारणों का पता लगाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अंतर मंत्रालयीय टीम गांव में भेजी थी।

    जांच की आधिकारिक रिपोर्ट आना बाकी

    इस टीम की जांच की आधिकारिक रिपोर्ट आना बाकी है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि एफएसएसए की जांच में ऑर्गनोफॉस्फोरस मौत का कारण सामने आया है।

    बता दें कि कुछ दिन पहले केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि अब तक की जांच में पता चला है कि मौतें कैडमियम के कारण हुई है। हालांकि पुलिस की एसआइटी भी जांच कर रही है, लेकिन उसे कोई पुख्ता सुराग हाथ नहीं लगा है।

    (बडाल गांव में मवेशियों की देखरेख में जुटे सरकारी कर्मी)

    राजौरी, जम्मू व चंडीगढ़ के अस्पताल में दिया एट्रोपिन

    जीएसमसी राजौरी के प्रिंसिपल डॉ. एएस भाटिया ने बताया कि जीएमसी एसोसिएटेड अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीजों को कुछ एंटीडोट्स देने के लिए हिट एंड ट्रायल पद्धति का इस्तेमाल किया और पाया कि एट्रोपिन के इस्तेमाल से लोगों की जान बचाने में उल्लेखनीय परिणाम मिले हैं।

    उन्होंने बताया कि हमने हृदय गति बढ़ाने के लिए व अन्य उद्देश्यों से मरीजों को एट्रोपिन दिया। यह एक तरह से गेम चेंजर साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि जीएमसी जम्मू के साथ चंडीगढ़ अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए भी इसी तरह का उपचार अपनाया गया है और यह मरीजों की जान बचा रहा है।

    इसलिए यह संभावना है कि राजौरी के बडाल गांव में मौतों के पीछे आर्गेनो फास्फोरस हो सकता है। हालांकि आधिकारिक रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। उसके बाद ही पक्के तौर पर कुछ कहा जा सकेगा।

    तीनों बहनों की हालत में सुधार के बाद छुट्टी

    बडाल की तीन सगी बहनों की हालत में लगातार सुधार के बाद सोमवार को उन्हें जम्मू के अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई। तीन में से दो बहनें जम्मू के श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल और एक राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में भर्ती थी।

    (अपने साथियों से मिलने के लिए सड़क के किनारे पर खड़े बडाल गांव के बच्चे।)

    वहीं, चड़ीगढ़ में भर्ती गांव के एक युवक की हालत में भी सुधार है और मंगलवार को उसे भी पीजीआई से जीएमसी जम्मू में भेजा जा सकता है। इसकी पुष्टि जीएमसी जम्मू के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष गुप्ता ने की।

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    कंटेनमेंट जोन बने बडाल गांव में प्रतिबंध जारी

    कंटेनमेंट जोन बनाए गए बडाल गांव में प्रतिबंध लगातार जारी हैं और वहां किसी को बेवजह आने-जाने की अनुमति नहीं है। गांव में डाक्टरों की टीमें घर-घर जाकर लगातार निगरानी कर रही हैं। अतिरिक्त उपायुक्त दिल मीर ने कहा कि हम लोगों को पानी, सूखा राशन और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं।

    बता दें कि बीमार लोगों के संपर्क में आए बडाल के करीब 353 लोगों को राजौरी शहर में स्थापित तीन अलग-अलग आइसोलेशन केंद्रों में भी रखा गया है।

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