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    किसानों की मेहनत पर बरसात ने फेर दिया पानी, धान की फसल को जलभराव-गाद से पहुंचा नुकसान

    आरएसपुरा में भारी बारिश ने किसानों की धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है जिससे किसानों की उम्मीदें टूट गई हैं। खेतों में पानी भरने से फसलें गलने लगी हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपनी खेती को फिर से शुरू कर सकें।

    By daljeet kumar Edited By: Rahul Sharma Updated: Wed, 27 Aug 2025 05:01 PM (IST)
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    फसल के साथ-साथ पशुओं के लिए चारे का संकट भी गहरा गया है।

    संवाद सहयोगी, जागरण, आरएसपुरा। लगातार हुई तेज बारिश ने किसानों की उम्मीदों को गहरी चोट पहुंचाई है। खेतों में खड़ी धान की फसल, जिसे किसान अपने परिवार की जिंदगी और भविष्य का सहारा मानते थे, अब जलभराव और गाद की वजह से बर्बाद हो रही है।

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    खेतों में खड़े पानी ने केवल उनकी मेहनत नहीं डुबोई, बल्कि उनके सपनों को भी बहा दिया है। लगातार हो रही बारिश ने सीमावर्ती क्षेत्र आरएसपुरा के किसानों की धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। खेतों में 5 से 10 फुट तक पानी जमा होने से धान की फसल गलने लगी है। अगर बारिश और जारी रही तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी।

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    किसान सुरजीत सिंह ने बताया कि धान की फसल हमारे लिए सिर्फ अनाज नहीं, बल्कि सालभर की मेहनत और बच्चों की मुस्कान है। हम खेत को अपने बच्चे की तरह पालते हैं। बीज बोने से लेकर उसकी हर कोंपल को संवारने तक पूरा परिवार जुड़ा रहता है। लेकिन अब जब फसल तैयार होने वाली थी, तब यह बारिश हमारी मेहनत छीनकर ले गई। दविंदर सिंह ने बताया कि किसान का खेत उसकी पहचान है।

    हमारी पीढ़ियां इसी मिट्टी से जुड़ी रही हैं। जब फसल लहलहाती है तो लगता है जैसे धरती मां मुस्कुरा रही हो। लेकिन इस बार खेत तालाब बन गए हैं, और हमारी मेहनत मिट्टी में मिल रही है। यह दर्द शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता। बुजुर्ग किसान ताराचंद ने बताया कि किसान का जीवन मौसम पर टिका होता है। कभी ज्यादा बरसात, कभी सूखा हमें तोड़ देता है।

    इस बार की बरसात ने जो हालात बनाए हैं, उसने हमारी खेती और भविष्य दोनों को खतरे में डाल दिया है। अब तो सरकार ही सहारा दे सकती है। किसान गणेश कुमार ने चिंता जताई कि फसल के साथ-साथ पशुओं के लिए चारे का संकट भी गहरा गया है। खेती हमारे जीवन का आधार है। खेत से ही घर चलता है, बच्चों की पढ़ाई होती है और मवेशी पलते हैं।

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    जब फसल ही बर्बाद हो गई तो जिंदगी कैसे चलेगी। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि तुरंत सर्वे कराकर नुकसान का आकलन किया जाए और उचित मुआवजा दिया जाए। उनका कहना है कि यह मुआवजा उनके लिए सिर्फ पैसे का सहारा नहीं होगा, बल्कि खेत और किसान के रिश्ते को फिर से जिंदा रखने की उम्मीद भी बनेगा।