Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जम्मू के सीमांत गांववासियों ने छतों पर बिताई खौफनाक रात, बोले- बाढ़ के डर से जिंदगी-मौत के बीच गुजरे लम्हे

    जम्मू-कश्मीर के भारत-पाक सीमा पर स्थित हंसू चक गांव में भारी बारिश के कारण बाढ़ आ गई। घरों में पानी भरने से लोग छतों पर रात बिताने को मजबूर हो गए। बच्चे और बुजुर्ग डर के मारे कांप रहे थे। सुबह सेना और एनडीआरएफ ने बचाव अभियान चलाया और ग्रामीणों को सुरक्षित निकाला। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने सालों बाद ऐसी भयावह बारिश देखी।

    By daljeet kumar Edited By: Rahul Sharma Updated: Wed, 27 Aug 2025 04:15 PM (IST)
    Hero Image
    वे सरकार से जलनिकासी की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं।

    संवाद सहयोगी, जागरण, आरएसपुरा। भारत-पाकिस्तान सीमा से सटा गांव हंसू चक मंगलवार की रात ऐसी त्रासदी से गुजरा, जिसे याद कर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है। देर शाम से शुरू हुई मूसलधार बारिश ने देखते ही देखते पूरे गांव को पानी में डूबो दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    घरों के आंगन, खेत-खलिहान और गलियां सब जलमग्न हो गए। हालात इतने बिगड़े कि ग्रामीणों को अपने छोटे-छोटे बच्चों और बुजुर्गों को लेकर छतों पर शरण लेनी पड़ी। रात भर आसमान से बरसते पानी और नीचे उफनाते जलभराव के बीच हर कोई डरा-सहमा रहा।

    बच्चों की रोने की आवाजें, औरतों की दुआएं और पुरुषों की बेचैनी मिलकर मानो गांव को एक खौफनाक खामोशी में बदल चुकी थी। ग्रामीणों का कहना था कि कई बार लगा अब शायद सुबह देखने का मौका ही न मिले।

    यह भी पढ़ें- सावधान! अभी टला नहीं है खतरा: जम्मू में अगले कुछ घंटों में फिर बारिश की संभावना, तीन दिनों में 570 एमएम वर्षा रिकार्ड

    14 वर्षीय तन्वी, 11 वर्षीय आयुष, 12 वर्षीय प्रिंस चौधरी और राघव ने कांपते हुए बताया कि किस तरह पूरी रात उन्होंने अपने मां-बाप के साथ छत पर भीगते हुए बिताई। तन्वी ने कहा, “रात भर हमें डर था कि कहीं पानी और ऊपर न आ जाए। हम सो भी नहीं पाए।

    बचाव अभियान बना सहारा

    बुधवार सुबह होते-होते जब हालात और गंभीर होने लगे तो स्थानीय प्रशासन ने सेना और एनडीआरएफ की मदद से राहत अभियान चलाया। नावों और रस्सियों के सहारे फंसे हुए ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों तक निकाला गया। महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता देकर बाहर निकाला गया। कई बुजुर्गों को कंधों पर उठाकर सुरक्षित पहुंचाया गया। ग्रामीणों ने राहतकर्मियों को देवदूत की तरह माना और कहा कि अगर वे समय पर न पहुंचते तो हालात और भयावह हो सकते थे।

    ऐसी बारिश सालों बाद देखी

    गांव निवासी रवि दास, सेठी चौधरी ने बताया कि बहुत वर्षों बाद इतनी भीषण बारिश देखी है। पूरी रात गांव डूबा रहा। हर कोई डरा हुआ था कि अगर पानी और बढ़ा तो क्या होगा। यह रात जिंदगी भर भूलने वाली नहीं है।

    राहत के बाद भी दहशत कायम

    हालांकि प्रशासन ने सभी ग्रामीणों को सुरक्षित निकाल लिया, लेकिन उस रात का खौफ उनके दिलों से नहीं निकल पा रहा। बच्चे अब भी डर से कांप जाते हैं, बुजुर्गों की आंखों में अनिश्चितता साफ झलकती है। गांव के कई घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, सामान बह गया है और खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं।

    यह भी पढ़ें- जम्मू संभाग में प्रभावितों की मदद के लिए आगे आई सेना की रायजिंग स्टार कोर, जम्मू, सांबा, कठुआ में लोगों को बचाया

    सबक और उम्मीद

    हंसू चक के लोगों का कहना है कि प्रकृति के इस प्रकोप ने उन्हें यह सिखा दिया कि आपदा कभी भी आ सकती है। अब वे चाहते हैं कि सरकार गांव में जलनिकासी और बाढ़ सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था करे ताकि भविष्य में ऐसी रात दोबारा न देखनी पड़े।