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    'भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध का मतलब...', दोनों देशों के बीच तनाव पर महबूबा मुफ्ती की पार्टी ने क्या बोला?

    Updated: Sat, 17 May 2025 09:49 PM (IST)

    पीडीपी ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध कोई विकल्प नहीं है यह दोनों देशों के लिए विनाशकारी होगा। पीडीपी ने अपने मुखपत्र में संयम बरतने तनाव कम करने और बातचीत के माध्यम से मुद्दे हल करने का आग्रह किया है। पार्टी ने कहा कि कश्मीर के लोग दोनों देशों के बीच फंस गए हैं और अब शांति की गुहार लगा रहे हैं।

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    भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का मतलब आपदा: पीडीपी

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है। यह दोनों पड़ोसी देशों के लिए आपदा होगी। अपने मासिक समाचार पत्र स्पीक अप में पीडीपी ने कहा कि अब संयम बरतने, तनाव कम करने और बातचीत करने का समय आ गया है। युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है।

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    अगर नेतृत्व इस अवसर पर आगे नहीं आता है तो यह दोनों पड़ोसियों के लिए आपदा होगी। अब विजयोल्लास का समय नहीं है। अब संयम बरतने का समय है। तनाव कम करने का, बातचीत करने का, सीमा से पीछे हटने के लिए शांत साहस का समय है।

    पिछले दो सप्ताह की घटनाओं पर पीडीपी ने कहा कि इस महीने कुछ कष्टदायक दिनों के लिए उपमहाद्वीप तबाही के मुहाने पर खड़ा था। मिसाइलें उड़ीं, ड्रोन सीमा पार से उड़े और नियंत्रण रेखा के पास के पूरे गांव इस हमले के लिए तैयार थे।

    यह सिर्फ एक झड़प नहीं थी, यह एक पूर्ण युद्ध था। दोनों पक्षों के नागरिकों ने इसकी कीमत चुकाई। बच्चे मारे गए। परिवार भाग गए। खेत रातों-रात सैन्य चौकियों में बदल गए। पार्टी ने पूछा यह किस लिए था।

    'जब परमाणु दांव पर हो तो...'

    पीडीपी ने कहा कि जहां तनाव बढ़ाने का उद्देश्य आतंक का बदला लेना और संप्रभुता की रक्षा करना था। वहीं जम्मू-कश्मीर के लोग एक बार फिर गोलीबारी में फंस गए। हमें बताया गया कि यह आतंक का बदला लेने के लिए था, एक संदेश भेजने के लिए था और संप्रभुता की रक्षा के लिए।

    जब परमाणु दांव पर हो तो संप्रभुता की भी सीमा होती है। एक बार फिर जम्मू और कश्मीर के लोग बीच में फंस गए। सत्ता में बैठे लोगों की महत्वाकांक्षा और भूगोल की त्रासदी के बीच फंस गए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कश्मीरी भी अपने मृतकों को दफना रहे थे।

    'हवा में छाती पीटने की आवाजें गूंज रही थीं'

    पार्टी ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आम लोग, जो अभी भी दशकों के नुकसान से उबर रहे हैं शांति की गुहार लगा रहे हैं। हवा में छाती पीटने की आवाजें गूंज रही थीं। जैसे-जैसे युद्ध के नगाड़े तेज होते गए, वैसे-वैसे गलत सूचनाओं की बाढ़ भी आती गई।

    टेलीविजन स्टूडियो बैरक में बदल गए, सोशल मीडिया युद्ध के मैदान में बदल गया। अपुष्ट वीडियो, कट्टर राष्ट्रवादी हैशटैग और कोरियोग्राफ्ड आक्रोश सार्वजनिक क्षेत्र में जंगल की आग की तरह फैल गया।

    पार्टी ने कहा कि दिलों को जीतने, असहमति को दबाने और वोट जीतने के लिए प्रचार युद्ध में सच्चाई को नुकसान पहुंचाया गया। विदेशी दुश्मन के खिलाफ खड़े एक मजबूत नेता की छवि से ज्यादा राष्ट्रीय मूड को कुछ भी उत्साहित नहीं करता। लेकिन जब युद्ध एक अभियान का नारा बन जाता है तो यह रक्षा नहीं रह जाता। यह तमाशा बन जाता है।

    भारत-पाकिस्तान पर क्या बोली पीडीपी?

    भारत और पाकिस्तान दोनों ही पूरी तरह से सशस्त्र हैं लेकिन सबसे पहले और सबसे ज्यादा खून गरीब, बेजुबान और सीमावर्ती समुदाय ही बहा करते हैं। मतपत्र कभी भी गोलियों का विकल्प नहीं बनने चाहिए। न ही उन्हें आग जलाने का बहाना बनना चाहिए जिसे पूरी पीढ़ियों को बुझाना पड़ सकता है।

    परमाणु परिणामों के साथ खतरे की स्थिति में खेलना बहादुरी की बात नहीं है। तीन से चार दिनों की मौत और विनाश के बाद, सौभाग्य से हमने युद्धविराम देखा और लोगों ने आखिरकार राहत की सांस ली। हालांकि पार्टी ने कहा कि यह टेलीविजन स्टूडियो के युद्ध के शौकीनों को पसंद नहीं आया जो अभी भी खून के प्यासे हैं।

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