फिर बौखलाई महबूबा मुफ्ती, बोलीं-कश्मीर के लोगों की खामोशी को शांति न समझें
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में शांति की स्थिति को गलत नहीं समझना चाहिए। उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के समर्थन से बचने के लिए उमर सरकार से आग्रह किया। महबूबा ने केंद्र से कश्मीर मुद्दे पर सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाने और विश्वास बहाली के उपाय करने की अपील की।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। कश्मीर में अमन शांति, पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को रास नहीं आ रही है। केंद्र से लेकर उमर सरकार पर वह लगातार सियासी हमले कर रही हैं।
रविवार को महबूबा ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कश्मीर के लोगों की खामोशी को शांति न समझें। उन्होंने सवाल किया कि अगर जम्मू-कश्मीर में स्थिति स्थिर और नियंत्रण में है तो गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा बार-बार सुरक्षा समीक्षा बैठकें क्यों कर रहे हैं।
इसके अलावा महबूबा ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए बिजनेस नियम बनाते समय अनुच्छेद 370 निरस्त करने का समर्थन करने से परहेज करने को कहा।
उमर सरकार पर फिर साधा निशाना
श्रीनगर में पत्रकारों से बात करते हुए महबूबा ने कहा कि वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने गैरसंवैधानिक तरीके से अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटा दिया था। उमर सरकार ने भी बिजनेस नियम तैयार करने के लिए कमेटी बनाई जिसमें पीडीपी, सज्जाद लोन और इंजीनियर रशीद की पार्टी के सदस्यों को शामिल नहीं किया, लेकिन भाजपा के सदस्यों को शामिल किया।
यह भी पढ़ें- 'जम्मू-कश्मीर लाइलाज बीमारी', महबूबा मुफ्ती ने पाकिस्तानी सेना से की बीजेपी की तुलना; कहा- दोनों नहीं चाहते हल
कहीं आप अनुच्छेद 370 को हटाने को सही ठहराने पर अपनी मुहर न लगा देना। उन्होंने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से कश्मीर मुद्दे पर सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाने और जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति लाने के लिए विश्वास बहाली के उपाय करने की अपील की। उन्होंने मुख्यमंत्री से 2024 के चुनाव के दौरान किए वादों को पूरा करने का भी आग्रह किया।
विश्वास बहाली के कदम उठाने की अपील
महबूबा ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर राहत पहुंचाने के लिए विश्वास बहाली के कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने 2016-17 में अलगाववादियों के साथ बातचीत करने के लिए जम्मू-कश्मीर में प्रतिनिधिमंडल भेजा था, लेकिन दुर्भाग्य से वे टस से मस नहीं हुए।
अलगाववादियों ने सोचा कि पथराव और इमारतों में आग लगाने से कश्मीर मुद्दा सुलझ जाएगा। मैं भाजपा सरकार से कहना चाहती हूं कि फिर से 2015-17 की तरह जम्मू-कश्मीर में आएं लेकिन लोगों के जख्मों पर मरहम लगाएं। केंद्र यह न सोचे कि जम्मू-कश्मीर में शांति हो गई है। उन्होंने कहा कि लोग उम्मीद कर रहे थे कि निर्वाचित सरकार बनने के बाद कर्मचारियों की बर्खास्तगी समाप्त हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
जिन तीन कर्मियों को बीते कल बर्खास्त किया उनमें पुलिस कांस्टेबल फिरदौस अहमद भी है, जो आतंकी हमले में घायल हुआ था। उसके शरीर पर 85 टांके लगे हैं। वह परिवार के साथ कमरवाडी श्रीनगर में घर पर पड़ा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।