उमर सरकार ने मांगा 13 जुलाई-5 दिसंबर को सरकारी अवकाश, एलजी सिन्हा को भेजा प्रस्ताव, जानेें इन तिथियों का महत्व
जम्मू-कश्मीर सरकार ने LG मनोज सिन्हा के कार्यालय को 13 जुलाई (शहीदी दिवस) और 5 दिसंबर (शेख अब्दुल्ला का जन्मदिन) को सार्वजनिक अवकाश के रूप में बहाल करने का प्रस्ताव दिया है। अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद इन छुट्टियों को रद्द कर दिया गया था। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इन महत्वपूर्ण तिथियों को बहाल करने का वादा किया है।

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने उपराज्यपाल कार्यालय को औपचारिक रूप से 13 जुलाई (शहीदी दिवस)और 5 दिसंबर एनसी के संस्थापक दिवंगत शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के जन्मदिन के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश बहाल करने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि यह प्रस्ताव अभी भी मंजूरी का इंतज़ार कर रहा है।
आपको बता दें कि 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद इन दोनों छुट्टियों को सरकार की छुट्टियों की सूची से हटा दिया गया था। पार्टी सूत्रों के अनुसार नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इन दो ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण छुट्टियों को बहाल करने की वकालत करके अपनी जिम्मेदारी पूरी की है।
13 जुलाई 1931 में इसी दिन श्रीनगर सेंट्रल जेल पर धावा बोलने वाले प्रदर्शनकारियों की मौत का दिन है। यह दिन एक अंग्रेज अधिकारी के पठान बटलर अबुल कादिर के खिलाफ बंद कमरे में चल रहे मुकदमे के खिलाफ था। अबुल कादिर ने एक भाषण में लोगों से डोगरा महाराजा हरि सिंह के निरंकुश शासन के खिलाफ उठ खड़े होने का आह्वान किया था।
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जेल प्रहरियों की गोलीबारी में 22 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी, जिन्हें पुराने श्रीनगर शहर में स्थित नक्शबंद साहिब दरगाह के परिसर में दफनाया गया था। बाद में इस कब्रिस्तान को शहीदों का कब्रिस्तान घोषित कर दिया गया और 1947 में आजादी के बाद, जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया।
एक वरिष्ठ नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हमने अपना काम कर दिया है। उपराज्यपाल के समक्ष प्रस्ताव रख दिया है। अब अंतिम फ़ैसला उन्हें ही लेना है। नेशनल कॉन्फ्रेंस आम जनता की पार्टी है और क्षेत्र के राजनीतिक इतिहास से गहराई से जुड़ी हुई है। ऐसे में 13 जुलाई की याद में खड़ा होना उसका कर्तव्य है।
अब केवल कुछ ही दिन शेष हैं। पार्टी इस बात पर कोई प्रतिबद्धता नहीं जता रही है कि इस अवसर पर कोई आधिकारिक सरकारी समारोह आयोजित किया जाएगा या नहीं। एक अन्य पार्टी पदाधिकारी ने स्वीकार किया कि हमें यकीन नहीं है कि उपराज्यपाल प्रशासन समय पर हमारे प्रस्ताव पर मुहर लगाएगा या नहीं।
इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने शहीद दिवस मनाने की तैयारियों की समीक्षा के लिए श्रीनगर स्थित पार्टी मुख्यालय में एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में वरिष्ठ नेताओं और जिला प्रमुखों ने भाग लिया। उन्हें कार्यकर्ताओं को संगठित करने और 13 जुलाई को नक्शबंद साहिब स्थित शहीदों के कब्रिस्तान की यात्रा को अंतिम रूप देने का काम सौंपा गया था।
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पार्टी पदाधिकारियों ने बताया कि कानून-व्यवस्था की देखरेख कर रहे प्रशासन से इस संबंध में औपचारिक अनुरोध भी किया गया है कि श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए कब्रिस्तान जाने की अनुमति दी जाए। प्रस्तावित श्रद्धांजलि सभा कश्मीर की राजनीतिक यात्रा के ऐतिहासिक और भावनात्मक पड़ावों को पुनः प्राप्त करने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा किए जा रहे नए प्रयासों के बीच आई है।
इसी तरह नेकां प्रस्ताव में शामिल दूसरी तिथि 5 दिसंबर दरअसल नेकां संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जन्मतिथि है। 5 दिसंबर, 1905 को श्रीनगर के बाहरी इलाके सौरा इलाके में उनका जन्म हुआ था और 2020 में इस अवकाश के समाप्त होने तक उनके जन्मदिन को जम्मू-कश्मीर में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता रहा। नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने चुनावी वादा किया था कि पार्टी के सत्ता में आने पर इन दोनों तिथियों को सार्वजनिक अवकाश के रूप में बहाल किया जाएगा।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा 13 जुलाई से पहले मंजूरी देते हैं या नहीं, यह तो अभी देखना बाकी है लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। उनका कहना है कि अब गेंद राजभवन के पाले में है।
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