ओबीसी का हक अब नहीं मार सकेगा कोई, आरक्षण में रुकावटें हुईं दूर; जम्मू में OBC को मिला Reservation
OBC Reservation in Jammu-Kashmir जम्मू कश्मीर में बदलाव की बयार के बीच सामाजिक-राजनीतिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के सशक्तीकरण का मार्ग भी खुल गया है। संसद में जम्मू कश्मीर में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को संवैधानिक मान्यता के साथ आरक्षण की मुहर लग गई है। रे देश में सिर्फ जम्मू कश्मीर एक मात्र ऐसा प्रदेश था जहां ओबीसी को ओबीसी का दर्जा नहीं था

राज्य ब्यूरो, जम्मू। OBC Reservation in Jammu-Kashmir: जम्मू कश्मीर में बदलाव की बयार के बीच सामाजिक-राजनीतिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के सशक्तीकरण का मार्ग भी खुल गया है।
संसद में जम्मू कश्मीर में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को संवैधानिक मान्यता के साथ आरक्षण की मुहर लग गई है।
जम्मू में ओबीसी समुदाय को मिला आरक्षण
पूरे देश में सिर्फ जम्मू कश्मीर एक मात्र ऐसा प्रदेश था, जहां ओबीसी को ओबीसी का दर्जा नहीं था और उसके आरक्षण के अधिकार को कोई और डकार रहा था।
अब ओबीसी को न सिर्फ सरकारी शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलेगा बल्कि उन्हें पंचायत और स्थानीय नगर निकाय स्तर पर राजनीतिक आरक्षण प्रदान किया जाएगा। केंद्र की ओबीसी कल्याण संबंधी योजनाएं बिना किसी रुकावट जम्मू कश्मीर में लागू होंगी।
पिछली सरकार ने अदर सोशल कास्ट को दिया था आरक्षण
पांच अगस्त, 2019 से पहले के जम्मू कश्मीर में ओबीसी नहीं था। ऐसा नहीं कि जम्मू कश्मीर में सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और विकास की दृष्टि से पिछड़ा वर्ग में आने वाली जातियां और समुदाय नहीं थे, यह सभी थे और आज भी हैं, लेकिन तत्कालीन सत्ताधारियों ने एक वर्ग विशेष के हितों को ध्यान में रखते हुए अनुच्छेद 370 के प्रविधानों की आड़ में ओबीसी को मान्यता देने के बजाय उसके स्थान पर ओएससी यानी अदर सोशल कास्ट (अन्य सामाजिक जातियां) नामक वर्ग बनाया।
ओएससी में गिनी चुनी जातियां होती हैं शामिल
ओएससी में कुछ गिनी चुनी जातियों को ही शामिल किया गया। इससे केंद्र सरकार ओबीसी के कल्याण के लिए जो योजना बनाती, वह जम्मू कश्मीर में पूरी तरह लागू नहीं हो पाती थी। ओबीसी के लिए केंद्र सरकार के 27 प्रतिशत आरक्षण को अन्य कई वर्गों में बांट दिया जाता था।
जम्मू-कश्मीर में 40 प्रतिशत हैं ओबीसी
एक अनुमान के मुताबिक, जम्मू कश्मीर की मौजूदा आबादी में लगभग 40 प्रतिशत ओबीसी हैं। यहां पश्चिम पाकिस्तान से आकर बसे नागरिकों में से जो ओबीसी को ओबीसी प्रमाणपत्र तक नहीं दिया जाता था। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर में ओएससी को 1981 में बनाया गया।
ओएससी में वोट की खातिर शामिल की गईं मुस्लिम समुदाय की जातियां
ओएससी में हिंदू समुदाय की कई जातियों को पात्र होने के बावजूद शामिल नहीं किया गया, जबकि मुस्लिम समुदाय की कुछ जातियों को कथित तौर पर सिर्फ वोट की खातिर शामिल किया गया। इसके अलावा 1996 में आरबीए नामक एक नया वर्ग आरक्षण के लिए तैयार किया गया। अब ऐसा नहीं होगा।
ओबीसी में शामिल होंगी 40 जातियां
केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में ओएससी के स्थान पर ओबीसी को प्रतिस्थापित किए जाने के बाद अब जम्मू कश्मीर में सामाजिक-राजनीतिक-शैक्षिक रूप से पिछड़ी जातियों को ओबीसी का दर्जा मिल गया है। इसके अलावा कई जातियां अब ओबीसी में शामिल की जाएंगी। हिंदू-मुस्लिम-सिख धर्म को मानने वाली लगभग 40 जातियां इसमें शामिल होंगी।
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हमारे लिए तो अब आई आजादी: प्रजापति
जम्मू कश्मीर में ओबीसी वर्ग के अधिकारों के लिए संघर्षरत सुनील प्रजापति ने कहा कि हमारे लिए तो आजादी अब आई है और यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के कारण संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर पूर्व सरकारें ईमानदार होतीं तो ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण का पूरा लाभ ओएससी को देते। लेकिन ऐसा नहीं किया गया और सिर्फ दो प्रतिशत आरक्षण में समेट दिया गया।
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