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    आतंकियों के लिए काल बन रही ये 6 इंच की ‘लोहे की चिड़िया’, दुश्मन के ठिकानों में घुसकर देती है पूरी जानकारी

    Updated: Wed, 15 Jan 2025 09:22 AM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के लिए लोहे की चिड़िया काल बन रही है। यह मात्र 33 ग्राम वजन का नैनो ड्रोन है जिसे भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स इस्तेमाल कर रही है। यह ड्रोन बिना आवाज किए दुश्मन के ठिकाने में घुसकर सैनिकों को पूरी जानकारी लाकर देती है। अखनूर में मंदिर में छिपे तीन आतंकियों को मार गिराने में भी इस ड्रोन ने अहम भूमिका निभाई थी।

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    आतंकरोधी अभियानों में सेना की स्पेशल फोर्स द्वारा इस्तेमाल हो रहा ब्लैक हार्नेट-नैनो ड्रोन (फोटो- जागरण)

    विवेक सिंह, जम्मू । जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के लिए छह इंच की 'लोहे की चिड़िया' काल बन रही है। सीमा पार से आने वाले घुसपैठिये हों या किसी इमारत में छिपे आतंकी, मात्र 33 ग्राम वजन की यह चिड़िया बिना आवाज किए दुश्मन के ठिकाने में छोटी सी छोटी जगह से घुसकर सैनिकों को पूरी जानकारी लाकर देती है। इसके बाद सेना आपरेशन चलाकर बिना अपने किसी नुकसान के आतंकियों को मार गिराती है।

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    इसे नैनो ड्रोन भी कहते हैं

    यह जासूसी चिड़िया है, भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स के बेड़े में शामिल ब्लैक हार्नेट, जिसे नैनो ड्रोन भी कहते हैं। यह ड्रोन कश्मीर व लद्दाख के उच्चतम इलाकों में भी काम करने में सक्षम है।

    ब्लैक हार्नेट माइनस 10 डिग्री से लेकर 49 डिग्री तक के तापमान में काम कर सकता है। सेना की स्पेशल फोर्स ने ब्लैक हार्नेट का इस्तेमाल गत वर्ष अक्टूबर में अखनूर के बट्टल में सीमा के पास मंदिर में छिपे तीन आतंकियों को मार गिराने के लिए किया था।

    2023 में सेना के बेड़े में किया गया था शामिल

    जम्मू-कश्मीर में ये छोटे नैनो ड्रोन स्पेशल फोर्स के विशेष अभियानों को मारक बना रहे हैं। सेना की आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के चलते आतंकवाद का सफाया करने में जुटी सेना की बटालियनों को ये ड्रोन उपलब्ध करवाने की कोशिश जारी है।

    इस ड्रोन को जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2023 में सेना के बेड़े में शामिल किया गया था। इसके बाद से लगातार आतंकवाद विरोधी अभियानों में इसका इस्तेमाल हो रहा है। सेना की स्पेशल फोर्स ने मंगलवार को ये ड्रोन अखनूर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शित किए।

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    ब्लैक हार्नेट की विशेषता

    • इस ड्रोन को नार्वे में तैयार किया गया है। इसका डिस्पले 586 ग्राम, हैंड कंट्रोल 104 ग्राम व बेस स्टेशन 526 ग्राम का है। यह 25 मिनट तक हवा में रह सकता है और इसकी स्टोरेज 64 जीबी है।
    • ये ड्रोन ऐसे कैमरों से लैस हैं, जो एचडी तस्वीरें खींचने के साथ उनका लाइव वीडियो प्रसारित कर सकते हैं।
    • नैनो ड्रोन को आपरेट करने वाले सैन्यकर्मी मनीश गुरुंग ने बताया कि यह न के बराबर आवाज करता हैं। छिपे आतंकी के तीन मीटर तक पहुंचने के बाद भी उसे इसका पता नहीं चलता है। यह ड्रोन कंट्रोल रूम में आतंकियों के छिपने की सटीक जानकारी देकर अभियानों को धार देता है।
    • यह ड्रोन एक छोटे हेलीकॉप्टर जैसा है। इस पर दो ट्विन रोटर लगे हुए हैं और इसकी उड़ान की रेंज करीब दो किलोमीटर है।
    • ड्रोन की ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन (जीसीएस) इकाई इतनी छोटी है कि इसे आपके हाथ में भी रखा जा सकता है। एक एन्क्रिप्टेड सिग्नल पर ड्रोन को उड़ाया जाता है।
    • यह ड्रोन रोशनदान, खिड़की, दरवाजे से आसानी से अंदर घुस कर पूरी जानकारी देता है।
    • यह ड्रोन प्राकृतिक आपदाओं के दौरान फंसे लोगों के बारे में सटीक जानकारी देने में भी सक्षम है।

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