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    Jammu: बजट सत्र में पुलिस पर सवाल नहीं पूछ सकेंगे MLA, उपराज्यपाल से लेनी होगी परमिशन; क्यों आया ये आदेश?

    Updated: Tue, 28 Jan 2025 11:13 AM (IST)

    जम्मू-कश्मीर विधानसभा (Jammu Kashmir Assembly) के आगामी बजट सत्र में विधायक पुलिस और कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों पर प्रश्न नहीं उठा पाएंगे। विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू- कश्मीर के विधानसभा का पहला बजट सत्र मार्च में प्रस्तावित है। हालांकि इसके लिए अभी तारीख की घोषणा नहीं हुई है।

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    जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पुलिस व कानून व्यवस्था पर कोई प्रश्न नहीं पूछ सकेंगे विधायक (फाइल फोटो)

    नवीन नवाज, जम्मू। जम्मू कश्मीर विधानसभा (Jammu Kashmir Assembly) का पहला बजट सत्र मार्च में प्रस्तावित है। सत्र में कौन से मुद्दे उठाए जाने हैं और कौन से प्रश्न पूछे जाने हैं, इस पर सत्ताधारी दल से लेकर विपक्ष के विधायक तैयारी में जुटे हैं, लेकिन कोई भी पुलिस और गृह विभाग से जुड़े मामलों पर प्रश्न नहीं कर पाएगा।

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    कानून व्यवस्था और सुरक्षा से जुड़े मामलों पर बहस भी नहीं हो पाएगी, बशर्ते स्पीकर किसी भी विशेष परिस्थिति में इसकी अनुमति दें। सरकार को विधेयक और प्रस्तावों को लेकर उपराज्यपाल की मंजूरी की आवश्यकता होगी। विपक्षी दलों ने इसका विरोध कर केंद्र और राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया।

    अक्टूबर 2024 में हुआ था विधानसभा का गठन

    बता दें कि 31 अक्टूबर 2019 को अस्तित्व में आए केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में विधानसभा का गठन गत अक्टूबर 2024 में हुआ है। मार्च 2025 में विधानसभा का पहला बजट सत्र प्रस्तावित है। इसमें वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक बजट को मंजूर किया जाएगा।

    जम्मू कश्मीर 31 अक्टूबर 2019 को दो प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में पुनर्गठित हुआ था। बजट सत्र की तारीख घोषित नहीं हुई है, लेकिन गत दिनों प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में मार्च में सत्र बुलाने का प्रस्ताव पारित किया था। मार्च में रमजान माह शुरू होने के कारण इसका विरोध शुरू हो गया है।

    प्रदेश सरकार के अधीन मुद्दों को उठाएंगे विधायक

    बजट सत्र शुरू होने से पहले विधानसभा के कार्यसंचालन और संबंधित गतिविधियों के लिए कई नियम तय होने की उम्मीद है। अलबत्ता, विधायक सदन में उन्हीं मुद्दों को उठाएंगे जो प्रदेश सरकार के अधीन हैं।

    सरकार वित्तीय मामलों और विधेयकों पर तभी अपने स्तर पर चर्चा करा सकेगी,जब उपराज्यपाल से अनुमति ली होगी। पुलिस, कानून व्यवस्था, सुरक्षा से जुड़े मामलों पर सवाल नहीं होगा।

    सचिवालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सत्र में गृह विभाग से संबंधित प्रश्न, मुख्य रूप से कानून व व्यवस्था की स्थिति और पुलिस से जुड़े मामलों पर लिखित प्रश्न नहीं होंगे और न उत्तर दिया जाएगा। अखिल भारतीय सेवाओं से जुड़े मुद्दे पर भी प्रश्न नहीं होंगे। विशेष परिस्थतियों में स्पीकर की अनुमति से कानून व्यवस्था से जुडे़ मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है।

    विपक्षी दल खफा

    अवामी इत्तेहाद पार्टी के विधायक शेख खुर्शीद और पीडीपी के नेता वहीद उर रहमान परा ने कहा कि सुरक्षा और कानून व्यवस्था बड़ा मुद्दा है। यहां पासपोर्ट से लेकर नौकरी के लिए हर जगह पुलिस जांच अनिवार्य है।

    इससे संबंधित मुद्दों पर चर्चा नहीं कराना गलत है। हम अगर इन मुद्दों पर बात नहीं कर पाएंगे तो अपने मतदाताओं से अन्याय करेंगे।

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    नेकां ने पल्ला झाड़ा-सरकार के दायरे से बाहर

    नेशनल कान्फ्रेंस के विधायक सलमान सागर ने कहा कि पुलिस और कानून व्यवस्था जब प्रदेश सरकार के दायरे से बाहर है तो इस पर प्रदेश सरकार क्या जवाब देगी, हमें यह बात समझनी चाहिए।

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला केंद्र से पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करने के लिए संवाद-संपर्क बनाए हुए हैं। पुलिस उपराज्यपाल और केंद्र सरकार के अधीन है, जबकि लोगों ने हमें चुना है और हम लोग पुलिस व संबंधित मामलों पर बात नहीं कर पा रहे हैं

    राजनीतिकों का हस्ताक्षेप समाप्त हो गया

    संविधान विशेषज्ञ एडवोकेट अंकुर शर्मा ने कहा कि हमें एक बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए कि केंद्र शासित प्रदेश और एक पूर्ण राज्य में अंतर होता है। यह सही है कि राज्य में आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा पूरी तरह से राज्य का होता है,लेकिन अब जम्मू कश्मीर एक राज्य नहीं केंद्र शासित प्रदेश है।

    जहां सुरक्षा और कानून व्यवस्था पूरी तरह से केंद्र के पास है। अगर आप राजनीति से हटकर देखें तो यह बेहतर है,क्योंकि पुलिस में स्थानीय और दलगत राजनीति का हस्ताक्षेप समाप्त हो गया है।

    पुलिस बेहतर तरीके से काम करने में समर्थ हुई है। अन्यथा किसी आतंकी, अलगाववादी या किसी अन्य अपराधी के पकड़े जाने पर उसके राजनीतिक आका सक्रिय हो जाते थे।

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