जम्मू शहर में असुरक्षित इमारतों के साय में सिसकती जिंदगी, प्रशासनिक अनदेखी के चलते खतरे में लोगों की जान
जम्मू शहर में जर्जर इमारतों के आसपास रहने वाले लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कई वर्षों से खाली पड़ी इन इमारतों को अभी तक तोड़ा नहीं गया है जिससे आसपास के निवासियों में डर का माहौल है। जम्मू नगर निगम और जिला प्रशासन इस मामले में निष्क्रिय बने हुए हैं। स्थानीय निवासियों ने नगर निगम से कई बार शिकायत की है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

जागरण संवाददाता, जम्मू। बाढ़ की मार से उभरते जम्मू शहर में सरकारी अनदेखी के चलते असुरक्षित इमारतों के आसपास रहने वाले सैंकड़ों लोगों की जिंदगी सिसकियां भर रही है। सिर पर लटकती असुरक्षा की इस तलवार ने लोगों की नींद हराम कर रखी है।
हद तो यह है कि वर्षों से खाली करवाई गई इन असुरक्षित इमारतों को तोड़ने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं, जिसकी वजह से आसपास रहने वाले लोग इस कदर भयभीत हैं कि जाने कब यह इमारतों मौत का ताड़व कर देंगी। जम्मू नगर निगम, जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। किसी इमारत के गिरने पर ही सक्रियता दिखाई जा रही है।
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शहर के जुलाका मुहल्ला में ऐसी इमारतें आसपास रहने वालों के जी का जंजाल बन चुकी हैं। इन लोगों ने जम्मू नगर निगम को भी इस संबंध में कई बार लिखा है लेकिन अभी तक एक भी इमारत को तोड़ा नहीं गया जिससे यह लोग राहत महसूस कर सकें। दो दिन पहले पुराने शहर के कालीजनी में मुहल्ले में एक मकान गिरा जिसमें तीन सदस्य भी फंस गए थे।
विधायक युद्धवीर सेठी समेत अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर इन लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। अब जबकि वर्षा रुकी है और धूप निकलना शुरू हुई है तो ऐसी इमारतों का गिरना शुरू हुई है। पंजतीर्थी में भी इमारतों के हिस्से गिरे हैं। लोग चाहते हैं कि नगर निगम और प्रशासन बना देरी इस दिशा में कदम उठाए।
स्थानीय निवासी महेंद्र सिंह का कहना है कि वर्षों पुरानी यह इमारतें हर किसी के लिए घातक साबित हो सकती हैं। संकरी गलियां हैं। लोगों की आवाजाही भी काफी रहती है। इन इमारतों को बिना देरी तोड़ा जाना चाहिए।
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वहीं राहुल शर्मा, बिंदू शर्मा, वीना शर्मा का कहना है कि संबंधित इमारतों के मालिक दूसरे सुरक्षित स्थानों पर रह रहे हैं। अब यहां आसपास रहने वाले ही खतरे में हैं। इसीलिए प्रशासन और निगम अधिकारियों को प्रभावी कदम उठाने चाहिए। ऐसी इमारतों को चाहे जैसे भी हो, तोड़ा जाना चाहिए।
इसका खर्च चाहे तो नगर निगम बर्दाश्त करे अथवा संबंधित से वसूले। लोगों को सुरक्षित जिंदगी मिलनी चाहिए। वर्षों से टालमटोल की नीति अपनाई जा रही है।
निगम के उपायुक्त का कहना है कि असुरक्षित इमारतों से संबंधित लोगों को इन्हें खाली करने के लिए कहा गया है। इसमें खर्च शामिल रहता है। प्रशासन इस दिशा में कदम उठा रहा है।
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