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    चिकित्सा शिक्षा की ओर अग्रसर हो रहा जम्मू-कश्मीर, अब देशभर से मेडिकल की पढ़ाई करने आ रहे विद्यार्थी

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 01:31 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में चिकित्सा शिक्षा का तेजी से विकास हो रहा है। नए मेडिकल कॉलेज खुलने और पुराने कॉलेजों में सीटें बढ़ने से अब अन्य राज्यों के छात्र भी यहाँ पढ़ने आ रहे हैं। वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में MBBS की 1375 सीटें हैं जिनमें से 200 से अधिक पर अन्य राज्यों के छात्र पढ़ रहे हैं।

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    आयुष कॉलेजों के खुलने से पारंपरिक चिकित्सा शिक्षा को भी बढ़ावा मिला है।

    रोहित जंडियाल, जागरण, जम्मू। जम्मू-कश्मीर चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है। कुछ वर्ष में यहां एक ओर जहां नए मेडिकल कालेज लगातार खुल रहे हें। वहीं पुराने मेडिकल कालेजों में भी एमबीबीएस, पीजी की सीटें लगातार बढ़ रही हैं। अब देश के विभिन्न भागों से विद्यार्थी यहां पर चिकित्सा शिक्षा के लिए लगातार आ रहे हैं।इससे चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले भी उत्साहित हैं।

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    चिकित्सा शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार सात वर्ष पहले तक जम्मू-कश्मीर में सिर्फ राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू, श्रीनगर और शेर-ए-कश्मीर इंस्टीटयूट आफ मेडिकल सांइसेस ही था। इनमें करीब 450 एमबीबीएस की सीटें होती थी। लेकिन इन सीटों में अन्य किसी प्रदेश का कोई भी विद्यार्थी पढ़ाई नहीं कर सकता था।

    वर्ष 2019 में जम्मू संभाग में जीएमसी कठुआ, राजौरी तथा कश्मीर में जीएमसी बारामुला और अनतंनाग शुरू हुए। इन सभी में एमबीबीएस की 100-100 सीटें शुरू हुई। वर्ष 2020 में जीएमसी डोडा शुरू हुआ जिसमें एमबीबीएस की पचास सीटें थी।

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    वर्ष 2023 में जीएमसी उधमपुर और जीएमसी हंदवाड़ा ने काम करना शुरू किया। इनमें भी एमबीबीएस की 100-100 सीटें हैं।इस कालेज ने भी पचास औीर सीटों के लिए आवेन किया हुआ है।अब 190 और सीटें बढ़ने से जम्मू-कश्मीर में एमबीबीएस 1375 सीटें हो गई हैं।इनमें 200 से अधिक सीटों पर अन्य प्रदेशों के विद्यार्थी अब जम्मू-कश्मीर में पढ़ेंगे।

    ऐसा पहली बार होगा कि जम्मू-कश्मीर में अन्य प्रदेशों के विद्यार्थी इतनी बड़ी संख्या में चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई करेंगे। वहीं आचार्य श्री चंद्र कालेज आफ मेडिकल सांइसेस में भी एमबीबीएस की 100 सीटेें हैं।

    पारंपरिक चिकित्सा शिक्षा को भी बढ़ावा

    जम्मू-कश्मीर में 1972 में बंद हो चुके आयुर्वेद मेडिकल कालेज को 2017 में फिर से खाेला गया। वहीं वर्ष 2020 में यूनानी कालेज और 2024 में होम्योपैथी कालेज खोला गया। इन सभी में कुल मिलाकर 200 के आसपास सीटे हें। इनमें भी पंद्रह प्रतिशत सीटों पर अन्य प्रदेशों के विद्यार्थी अब पढ़ाई कर रहे हैं। अब कश्मीर में भी एक आयुर्वेद कालेज खोलने की तैयारी चल रही है। हालांकि अभी इसकी प्रक्रिया जमीन देखने तक ही सीमित है।

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    अगले वर्ष से एम्स अवंतीपोरा भी

    जम्मू के विजयपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इस समय एमबीबीएस की 100 सीटें हैं। इनमें किसी भी प्रदेश का विद्यार्थी पढ़ाई कर सकता है। अगले वर्ष एम्स अवंतीपोरा भी शुरू हो जाएगा। पहले वर्ष इस कालेज में एमबीबीएस की पचास सीटें ही शुरू होने की उम्मीद है। लेकिन इससे भी यहां पर चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

    श्राइन बोर्ड का कालेज खुलने की भी उम्मीद

    श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के समक्ष मेडिकल कालेज खोलने के लिए आवेदन किया हुआ है। बोर्ड ने एमबीबीएस की पचास सीटों के लिए आवेदन किया है। हालांकि अभी तक उसे 2025-26 सत्र के लिए मंजूरी नहीं मिली है। लेकिन अभी आयोग एक सूची जारी कर सकता है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस कालेज में भी एमबीबीएस की कक्षाएं इसी सत्र से शुरू हो सकती हैं।

    अब बाहर जाने की जरूरत नहीं

    पहले जम्मू-कश्मीर के विद्यार्थी एमबीबीएस, पीजी, डीएनबी, डीएम, एमसीएच कोर्स करने के लिए अन्य प्रदेशों में जाते थे। लेकिन अब यह सभी कोर्स जम्मू-कश्मीर में ही उपलब्ध हैं। जम्मू-कश्मीर में इस समय जीएमसी जम्मू, जीएमसी श्रीनगर, शेर-ए-कश्मीर इंस्अीटयूट आफ मेडिकल साइंसेस में पीजी की 500 से अधिक सीटें हैं। इसी तरह डीएनबी की 282 सीटें हैं। इन सीटों पर अब पंद्रह प्रतियात विद्यार्थी अन्य प्रदेशों से पढ़ाई कर रहे हैं।यह जम्मू-कश्मीर में चिकित्सा शिक्षा के लिए अहम कदम है।

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    एमबीबीएस की सीटें बढ़ना सभी के लिए अहम है। इससे जम्मू-कश्मीर के विद्यार्थियों को तो लाभ होगा ही, पंद्रह प्रतिशत सीटों पर देश के किसी भी भाग का विद्यार्थी भाग ले सकता है। जम्मू-कश्मीर में चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा मिलना सभी के लिए अच्छा है। डा. आशुतोष गुप्ता प्रिंसिपल जीएमसी जम्मू।

    आयुष को कुछ वर्ष में जम्मू-कश्मीर में बहुत बढ़ावा मिला है। आयुर्वेद, युनानी, होम्योपैथी के मेडिकल कालेज खुले। इससे अब यहां के विद्यार्थियों को बाहर पढ़ाई करने के लिए नहीं जाना पड़ रहा है। अब बाहर के विद्यार्थी जम्मू-कश्मीर में पढ़ाई करने के लिए आ रहे हैं। अब पीजी कोर्स भी जम्मू-कश्मीर में शुरू करने को मंजूरी मिली है। यह अपने आप में ऐतिहासिक है। डा. मोहन सिंह, पूर्व निदेशक आयुष, जम्मू-कश्मीर

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