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    Jammu Kashmir: बिजली निगम के कर्मचारियों-अधिकारियों को अपने घर लगाना होगा सोलर प्रोजेक्ट, सरकार ने जारी किया यह फरमान

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 05:59 PM (IST)

    जम्मू विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (जेपीडीसीएल) ने एक आदेश जारी कर कर्मचारियों को प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के पोर्टल पर पंजीकरण कराने का निर्देश दिया है। ऐसा न करने पर जुलाई 2025 का वेतन रोकने की चेतावनी दी गई है। इस फैसले से कर्मचारियों में चिंता है क्योंकि वे इस योजना में भाग लेने के लिए मजबूर महसूस कर रहे हैं।

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    कर्मचारी संघ इस मामले को उच्च अधिकारियों के समक्ष उठाने की तैयारी में है।फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (जेकेपीडीसीएल) ने एक सर्कुलर जारी कर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रधानमंत्री सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना (केंद्र सरकार की रूफटॉप सोलर योजना) के पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया है। पंजीकरण नहीं करवाने वालों का जुलाई 2025 महीने का वेतन रोक दिया जाएगा।

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    जेपीडीसीएल के एक्सईएन, डिवीजन-3 जम्मू द्वारा जारी अत्यंत आवश्यक चिह्नित इस निर्देश में कहा गया है कि यह निर्देश सीधे निगम के प्रबंध निदेशक से आया है। सर्कुलर में स्पष्ट रूप से चेतावनी दी गई है कि अनुपालन न करने पर जुलाई 2025 का वेतन रोक दिया जाएगा।

    23 जुलाई को जारी यह सर्कुलर प्रभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को संबोधित था और इसकी प्रतियां जेपीडीसीएल जम्मू के छह सब डिवीजन के असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर्स को भेजी गई हैं।

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    हालांकि कश्मीर में इस तरह का आदेश पहले से ही जारी कर दिया गया है। घाटी में तैनात कर्मचारियों-अधिकारियों काे भी सोलर प्रोजेक्ट स्थापित कर आम उपभोक्ताओं के लिए मिसाल बनने की सलाह दी गई है।

    भारत सरकार द्वारा 2024 में शुरू की गई पीएम सूर्य घर: मुफ़्त बिजली योजना का उद्देश्य वित्तीय सब्सिडी और ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करके घरों में सौर छतों की स्थापना को बढ़ावा देना है। 

    यह कार्यक्रम काफी हद तक स्वैच्छिक है, और पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले इच्छुक नागरिकों के लिए है। हालांकि जेपीडीसीएल राष्ट्रीय लक्ष्यों के तहत आवासीय और सरकारी भवनों की छतों पर सौर ऊर्जा अपनाने को प्रोत्साहित कर रहा है।

    कर्मचारियों में रोष

    जेपीडीसीएल के इस कदम से कर्मचारियों में व्यापक चिंता पैदा हो गई है। कई कर्मचारी एक ऐसी सरकारी योजना में भाग लेने के लिए मजबूर महसूस कर रहे हैं। हालांकि यह योजना आम जनता के लिए स्वैच्छिक है।

    नाम न छापने की शर्त पर कुछ कर्मचारियों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि उनके वेतन के संवैधानिक अधिकार को एक गैर-वैधानिक योजना पंजीकरण से जोड़ा जा रहा है। वहीं सेवा नियमों से परिचित एक पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र का कोई पब्लिक सेक्टर कर्मचारी किसी कल्याणकारी योजना में नामांकन न कराने पर मनमाने ढंग से वेतन नहीं रोक सकता। खासकर ऐसी योजना जिसमें रोजगार से जुड़ी कोई बाध्यकारी शर्त न हो।

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    वहीं कर्मचारी संघ कथित तौर पर इस मामले को मुख्य सचिव और उपराज्यपाल कार्यालय के समक्ष उठाने पर विचार कर रहे हैं। उनका तर्क है कि नवीकरणीय ऊर्जा पहलों के अनुपालन को जागरूकता और प्रोत्साहन के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, न कि धमकियों और दंड के माध्यम से।