Kargil Vijay Diwas 2025: पाकिस्तान की गोलाबारी के बीच छह सैनिकों को सुरक्षित निकाल लाए थे रैंबो, न भूलेगा देश इन बलिदानियों को
कारगिल युद्ध में तोलोलिंग की चोटी पर मेजर अजय जसरोटिया ने अद्भुत साहस का परिचय दिया। उन्होंने घायल जवानों को सुरक्षित निकालकर अपनी जान गंवा दी। 26 साल बाद भी उनका बलिदान प्रेरणादायक है। कारगिल विजय दिवस 2025 के अवसर पर दैनिक जागरण उनके शौर्य को नमन करता है और लोगों से उनके सम्मान में दीया जलाने की अपील करता है।

जागरण संवाददाता, जम्मू। 15 जून 1999। कारगिल में तोलोलिंग की चोटियों पर बैठा पाकिस्तान गोले दाग रहा था और बेस कैंप में रैंबो के नाम से ख्यात जम्मू-कश्मीर राइफल्स के जांबाज मेजर अजय जसरोटिया जवानों के साथ चोटी को फतेह करने की तैयारी में जुटे थे।
इसी बीच पाकिस्तान ने शिविर पर गोले बरसाने शुरू कर दिए इसमें हमारे कुछ जवान घायल हो गए। अपने जवानों को गोलीबारी में फंसा देख मेजर जसरोटिया तुरंत सक्रिय हुए और घायल जवानों को एक-एक कर छह जवानों को कंधे पर लाद शिविर से निकाल लाए और सुरक्षित जगह पहुंचा दिया।
इसी दौरान गोले की चपेट में आने से वह बलिदान हो गए। 26 बरस बाद भी उनके शौर्य और साहस के किस्से हमारे जवानों की प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
विरासत में मिली देश सेवा : 31 मार्च, 1972 को जम्मू के गांधीनगर में एक सैन्य परिवार में जन्मे मेजर जसरोटिया को देशसेवा विरासत में मिली थी। उनके दादा खजूर सिंह जसरोटिया लेफ्टिनेंट कर्नल रहे और पिता अर्जुन सिंह जसरोटिया सीमा सुरक्षा बल में डीआइजी थे। स्कूल में भी उन्हें उनके साथी रैंबो के नाम से पुकारते थे। प्रारंभिक शिक्षा जम्मू के बीएसएफ स्कूल पलौड़ा, सेकेंडरी शिक्षा केंद्रीय विद्यालय जालंधर कैंट में करने के बाद उन्होंने बीकाम किया। इसके बाद सेना में चले गए।
आज उनके नाम पर सड़क और पार्क भी : सरकार ने गांधीनगर पुलिस लाइन से लेकर मैन स्टाप तक के मार्ग को कारगिल शहीद मेजर अजय जसरोटिया को समर्पित किया गया है। हालांकि बहुत कम लोग इस सड़क को इस नाम से जानते हैं और सामान्यत: गुरुद्वारा रोड कहा जाता है। आवश्यकता है कि इस बलिदानी को उसका नाम देने के लिए शहर जागरूक हो। सैनिक कालोनी में एक पार्क उनके नाम पर समर्पित है और यहां उनकी प्रतिमा लगी है। उनके बलिदान दिवस पर परिवार उन्हें प्रति वर्ष 15 जून को यहां नमन करता है।
यह है लक्ष्य : इस सीरीज का उद्देश्य देश के लिए कुर्बान हुए जवानों को फिर से याद करने का है और उनके बलिदान व शौर्य की कहानी को जन-जन तक पहुंचाने का है। 26 वर्ष में उनके बलिदान के किस्से हम भुला दे जा रहे हैं और पार्कों में बने उनके स्मारक को भी भुला दिया गया है। यह प्रयास है कि सब इस कारगिल दिवस देश के लिए सर्वस्व बलिदान करने वाले वीरों को नमन करें और उनके सम्मान में एक दीया अवश्य जलाएं।
दैनिक जागरण संग आप भी भेजें वीरों को रक्षा सूत्र (रक्षा पर्व का लोगा) : दैनिक जागरण प्रति वर्ष हमारे जवानों के सम्मान में भारत रक्षा पर्व का आयोजन करता है। देशभर में आयोजन के माध्यम से समाज के सभी वर्गों से राखियां जुटाकर सीमा पर तैनात वीर जवानों तक पहुंचाई जाती हैं ताकि उन तक यह संदेश जाए कि देश हर समय उनके साथ खड़ा है। इस रक्षाबंधन पर भी आप इन वीर जवानों के लिए रक्षासूत्र भेजना न भूलें।
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मेजर जसरोटिया जैसे वीर सपूतों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह हमारी जिम्मेवारी है कि उन बलिदानियों को याद करें और नमन करें ताकि नई पीढ़ी उनके साहस से प्रेरणा ले सके। गांधीनगर और सैनिक कालोनी में बलिदान दिवस पर यह आयोजन किए जाते हैं।
- वरुण जैन, निवासी, गांधीनगर
आपरेशन सिंदूर में हमने देखा कि हमारे जवानों ने शौर्य के बूते पाकिस्तान को फिर उसकी औकात बता दी और देश की आन बढ़ाई। साथ ही जम्मू को भी बचाया। अब हमारा कर्तव्य है कि कारगिल विजय दिवस के बहाने हम उन बलिदानियों को नमन करें और राष्ट्र के प्रति उनके योगदान को याद करें। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
-अरुण सिंह, निवासी, सैनिक कालोनी
भारत रक्षा पर्व कार्यक्रम फौजी भाइयों के सम्मान के लिए दैनिक जागरण का सराहनीय प्रयास है। यह समय बलिदानियों को नमन करने का है और सीमा पर देश की सुरक्षा में तैनात जवानों के प्रति एकजुटता दिखाने का है। हम इस मुहिम से जुड़ रहे हैं। उम्मीद है पूरा समाज इन वीरों के सम्मान में आगे आएगा।
-राजेंद्र रंधावा, निवासी, माडल टाउन
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