Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kargil Vijay Diwas 2025: पांव जख्मी, लेकिन देश के लिए फर्ज अदा कर देवराज बने 'नायक', पढ़ें कारगिल युद्ध में उनकी शौर्यगाथा

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 05:15 PM (IST)

    कारगिल युद्ध के नायक देवराज शर्मा श्रीलंका में घायल होने के बावजूद टाइगर हिल को मुक्त कराने में शहीद हो गए। छुट्टी पर होने के बावजूद उन्होंने देश सेवा को प्राथमिकता दी और दुश्मनों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी पत्नी निर्मला देवी उनके बलिदान पर गर्व करती हैं और उनका आखिरी खत आज भी संभाल कर रखा है।

    Hero Image
    कारगिल विजय दिवस पर उन्हें नमन किया जाता है।

    दलजीत सिंह, आरएसपुरा। श्रीलंका में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना की विशेष टुकड़ी में शामिल नायक देवराज शर्मा के पांव में गोली लगने से वह घायल हो गए। श्रीलंका में आपरेशन बीच में छोड़कर उन्हें कश्मीर में वापस उनकी बटालियन में लाया गया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रारंभिक उपचार के बाद उन्हें आराम करने के लिए छुट्टी दी गई और नायक देवराज ने अपनी पत्नी निर्मला देवी को खत लिखा कि पांच जुलाई को वह घर आ रहे हैं। बिश्नाह के बाजेचक गांव के निवासी देवराज का परिवार अभी उनका इंतजार ही कर रहा था कि उनकी 18 ग्रेडियर्स को कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल को पाकिस्तान के कब्जे से छुड़ाने की जिम्मेदारी मिली।

    देवराज शर्मा मीडियम मशीनगन चलाने में महारत रखते थे और पूरी बटालियन में उनका कोई सानी नहीं था। हालांकि अधिकारियों ने उन्हें अपनी छुट्टी पर जाने का निर्देश दिया लेकिन उन्होंने राष्ट्र के प्रति अपने फर्ज को पूरा करने के लिए अपनी बटालियन के साथ टाइगर हिल पर चढ़ाई करने का फैसला लिया।

    यह भी पढ़ें- Jammu Kashmir में जल्द होंगे पंचायत चुनाव; मंत्री जावेद डार बोले- सरकार भी लोकतांत्रिक संस्थाओं को बहाल करने की इच्छुक

    जख्मी पांव के साथ देवराज शर्मा टाइगर हिल पर चढ़े और अपनी मशीनगन से गोलियों की बरसात करते हुए दर्जनों दुश्मनों को मौत की नींद सुलाया। इस दौरान उन्हें भी गोली लगी लेकिन तीन गोलियां लगने के बाद भी उनके कदम नहीं रूके और वह अंतिम सांस तक दुश्मन पर मौत बनकर बरसे और देश के लिए बलिदान हो गए।

    बलिदान होने के बाद भी पूरा किया अपना वादा: बलिदानी नायब देवराज की पत्नी निर्मला देवी के अनुसार उन्होंने खत लिखकर कहा था कि पांच जुलाई को वह घर आ रहे हैं। उनके पांव में चोट लगी है और इसलिए उन्हें छुट्टी मिली है। निर्मला देवी के अनुसार पांच जुलाई को वह आए, लेकिन तिरंगे में लिपटे हुए। उन्होंने अपना वादा पूरा किया।

    अपने वीर पति के बलिदान के 26 साल बाद भी नम आंखों से निर्मला देवी कहती है कि उन्हें गर्व है कि उनके पति ने पांव जख्मी होने के बावजूद राष्ट्रसेवा को चुना और अपने साथियों के साथ युद्ध पर गए। निर्मला देवी बताती है कि अपने पति का वो आखिरी खत आज भी उन्होंने एक याद के रूप में संभाल कर रखा है।

    नायक के स्मारक पर हर साल जुटती है भीड़: बिश्नाह के बाजेचक गांव में बलिदानी नायब देवराज का स्मारक बनाया गया है जहां हर साल उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए परिजनों के अलावा गांव के गणमान्य लोग व सेना के अधिकारी पहुंचते हैं।

    यह स्मारक बाजेचक ही नहीं, बल्कि आसपास के गांव के युवाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बना है और नायब देवराज के बलिदान के बाद बाजेचक व आसपास के कई गांवों के युवाओं ने उनसे प्रेरणा लेकर सशस्त्र बल में सेवाएं देने का फैसला लिया और आज दर्जनों युवा देश की सीमाओं की रक्षा में जुटे हैं। 

    यह भी पढ़ें- Amarnath Yatra: आज 3.5 लाख का आंकड़ा पार कर जाएगी अमरनाथ यात्रा, 21 दिनों में 3.42 लाख श्रद्धालु कर चुके हैं दर्शन

    नायब सूबेदार जैसे वीर सपूतों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज नायक देवराज शर्मा की वजह से हमारे गांव की पहचान है। गांव के बच्चे और युवा उनसे प्रेरणा लेते हैं। जब कोई युवक सेना में भर्ती होने के लिए जाता है तो गांव में बने उनके स्मारक पर आशीर्वाद लेकर ही अपना सफर शुरू करता है। दैनिक जागरण भी ऐसे वीर बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी कहानियां साझा करता है, जो प्रशंसनीय व प्रेरणादायक है।

    -पूर्व सरपंच अक्षय कुमार

    कारगिल विजय दिवस के बहाने हम उन बलिदानियों को नमन करें जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। हमारे देश के वीर जवानों ने हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखा है और हर बार पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है। कारगिल युद्ध हो या हाल ही में हुआ आपरेशन सिंदूर, भारतीय सशस्त्रबलों ने पूरी दुनिया को बता दिया कि वे भारत पर नजर रखने वालों काे मिट्टी में मिलाने का मादा रखते हैं।

    -नायब सुबेदार पवन कुमार

    दैनिक जागरण ने हमेशा राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया है और हर साल भारत रक्षा पर्व का आयोजन कर सीमा पर तैनात हमारे फौजी भाईयों तक देश की बहनों की राखियां पहुंचाने का सराहनीय काम करता है। हमें भी हर साल इस पर्व का हिस्सा बनने का अवसर मिलता है जिससे हमें भी अपने सैनिक भाईयों के लिए कुछ करने का अवसर मिलता है। यह प्रयास लगातार इसी तरह जारी रहने चाहिए, इससे हर किसी को प्रेरणा मिलती है।

    -कैप्टन विजय चौधरी