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    Jammu: विदेश में नौकरी का सपना दिखाकर युवक को लगाया 17 लाख का चूना, सिर्फ टूरिस्ट वीजा थमाया, पढें पूरा मामला

    Updated: Tue, 15 Jul 2025 12:46 PM (IST)

    जम्मू कश्मीर पुलिस की विशेष अपराध शाखा ने आर्थिक धोखाधड़ी के दो मामले दर्ज किए हैं। पहले मामले में आरएसपुरा निवासी को विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर 17.5 लाख रुपये की ठगी हुई। दूसरे मामले में एक महिंद्रा डीलर ने बैंक से 12.07 लाख रुपये का वाहन ऋण लेकर धोखाधड़ी की। जम्मू पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है।

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    जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपराध शाखा के द्वारा इन मामलों की जाँच शुरू कर दी है।

    जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू कश्मीर पुलिस की विशेष अपराध शाखा जम्मू ने आर्थिक धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और विश्वासघात की धाराओं में केस दर्ज किया हैं। पहले मामले में एक आरएसपुरा निवासी से विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर 17.5 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है।

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    आरएसपुरा निवासी शिकायतकर्ता ने विशेष अपराध शाखा में शिकायत देकर बताया कि दो आरोपियों कार्तिक चौधरी तथा रविंदर चौधरी उर्फ सोनू निवासी वार्ड नं. 13, पुराना पिंड, आरएसपुरा ने उनके बेटे को पुर्तगाल में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 17.5 लाख की ठगी की।

    शिकायतकर्ता ने आरोपियों को आरटीजीएस और नकद माध्यम से कई किश्तों में रकम दी। लेकिन वादा पूरा करने के बजाय, उनके बेटे को पहले टूरिस्ट वीज़ा पर अर्मेनिया भेजा गया, जहा वह 9 महीनों तक फंसा रहा और फिर खाली हाथ लौट आया।

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    आरोपियों ने विश्वास दिलाने के लिए फर्जी फ्लाइट टिकट दिए, दिल्ली में नकली इंटरव्यू करवाया और अंत में 8 लाख के दो चेक भी जारी किए, जो बाउंस हो गए। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि आरोपितों ने एक सुनियोजित साजिश के तहत इस ठगी को अंजाम दिया।

    वहीं, दूसरे मामले में बैंक आफ महाराष्ट्र, त्रिकुटा नगर, जम्मू के शाखा प्रबंधक ने शिकायत दर्ज करवाई कि अधिकृत महिंद्रा डीलर शुहुल ऑटोमोबाइल्स और उसके सेल्स प्रतिनिधि राकेश शर्मा निवासी मढ़, जम्मू ने एक वाहन ऋण में 12,07,110 रुपये की धोखाधड़ी की है।

    डीलर ने 17 जनवरी को महिंद्रा थार के नाम से प्रोफार्मा इनवॉइस जारी किया। इसके आधार पर बैंक ने पूरी राशि डीलर के एसबीआई खाते में ट्रांसफर कर दी। लेकिन, बार-बार अनुरोध और कानूनी नोटिसों के बावजूद, न तो वाहन की डिलीवरी दी गई और न ही ऋण को किसी संपत्ति के साथ हाइपोथिकेट किया गया।

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    प्रारंभिक जांच में पाया गया कि आरोपितों ने जानबूझकर तथ्यों को छिपाकर, बैंक से ऋण राशि प्राप्त की और उसे ठगने की मंशा से अनुबंध की शर्तों को पूरा नहीं किया। जिसके आधार पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।