लावारिस कुत्तों की समस्या से जूझ रहा जम्मू शहर, डॉग फीडिंग व शेल्टर होम न होने से बढ़ रहा कुत्तों का आतंक
जम्मू शहर में आवारा कुत्तों के आतंक से लोग परेशान हैं। नगर निगम के पास कुत्तों को रखने के लिए शेल्टर होम नहीं है जिससे समस्या बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हिंसक कुत्तों को ही शेल्टर होम में रखने और सार्वजनिक स्थलों पर डॉग फीडिंग पर रोक लगाने का आदेश दिया है।

जागरण संवाददाता, जम्मू। शेल्टर हाेम के अभाव में जम्मू शहर की सडकों पर आतंक मचा रहे लावारिस कुत्तों ने लोगों का जीना हराम कर रखा है। शाम के बाद तो गलियों में कुत्तों का कब्जा रहता है।
गुर्राते कुत्ते लोगों को भयभीत करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। परवाह नहीं करने वालों को यह कुत्ते काट कर सबक सिखा रहे हैं। कुत्तों को खुले में खाने-पीने की चीजें देने से भी कुत्तों के झुंड गलियों में घूमते दिखते हैं।
शहर में नगर निगम ने दो एनिमल केयर सेंटर बना रखे हैं जिनमें इनका इलाज किया जाता है लेकिन लावारिस व आवारा कुत्तों को पकड़ कर रखने के लिए फिलहाल कोई भी शेल्टर होम नहीं है।
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चूंकि कुत्तों को रखने के लिए जगह नहीं है और न ही कोई ऐसा कानून है कि कुत्तों को पकड़ कर किसी जगह रखना जरूरी है तो निगम कुत्तों को सिर्फ नसबंदी और इलाज के लिए ही पकड़ता है। नतीजतन गलियों में कुत्तों की भरमार है। भयभीत शहर वासी घरों से बाहर निकलते डर रहे हैं।
निगम चोटिल होने, ज्यादा काटने की शिकायतें मिलने पर निगम टीम भेज कर इन्हें पकड़वा लेता है और फिर टीकाकरण, अन्य इलाज कर दोबारा वहीं छोड़ देता है।
डॉग फीडिंग पर प्रतिबंध
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि हिंसक और बीमार कुत्तों को ही शेल्टर होम में रखा जाए। सार्वजनिक स्थलों पर डॉग फीडिंग पर बैन जारी रहेगा। दिल्ली के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश 22 अगस्त 2025 को जारी किया था। कोर्ट ने इस संबंध में ना केवल दिल्ली बल्कि अन्य राज्यों को भी नोटिस जारी किया है।
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कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि नसबंदी के बाद कुत्तों को छोड़ना होगा। किसी भी सार्वजनिक स्थान पर कोई कुत्ते को खाना नहीं खिला सकता है। वहीं शीर्ष न्यायालय ने इस संबंध में कानून बनाने की भी वकालत की है। यह फैसला तीन जजों की पीठ ने दिया है जिसका उद्देश्य पशु कल्याण और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना है।
क्या कहते हैं लोग
‘कुत्ते खूंखार होते जा रहे हैं। कई लोग इन्हें गलियों मेें खाना डालते हैं। देखा-देखी कुत्तों के झुंड बन जाते हैं। जब कोई गली में निकलता है तो फिर ये झपट पड़ते हैं। कोई तो हल निकालना ही चाहिए। लोगों की सुरक्षा जरूरी है।’ -नंद लाल, निवासी आंबेडकर नगर
‘डाॅग फीडिंग संबंधी सुप्रीम कोर्ट का आदेश बहुत सही है। हम सभी को इसका पालन करना चाहिए। तभी कुत्तों की संख्या कम होगी। किसी को खिलाना है तो अपने घर में लेकर जाकर खिलाए। कुत्तों को गोद लेना शुरू किए जाए।’ -अरुण सिंह, निवासी सैनिक कालोनी
‘एक-दो दशक पहले कुत्तों को पकड़ कर जंगलों में छोड़ दिया जाता था। कई जगह कुत्ते मरे भी मिलते थे। अब ऐसा नहीं है। कानून बनने के बाद इन्हें दूसरे स्थानों पर छोड़ा नहीं जा सकता। नियमों का पालन होना चाहिए।’ -रशपाल सिंह, निवासी सरवाल
‘शेल्टर होम बनाए जाने चाहिए। अन्यथा भविष्य में यह कुत्ते लोगों का जीना मुश्किल कर देंगे। माना इनकी नसबंदी होने से आबादी रुकेगी लेकिन सभी मर तो नहीं जाएंगे। लिहाजा बीमार कुत्तों को ही सही, सोसायटी से बाहर ले जाया जाए।’ -आरती कलसी, निवासी त्रिकुटा नगर
क्या कहते हैं अधिकारी
‘सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के चलते किसी भी कुत्ते को जहां से पकड़ना है, वहीं छोड़ना भी सुनिश्चित करना पड़ता है। बीमार कुत्तों व मवेशियों का इलाज करने के लिए दो सेंटर बनाए गए हैं। कुत्तों को गलियों, खुले स्थानों पर खाना डालने पर प्रतिबंध है। लोग भी इसका पालन करें। निगम अपनी कार्रवाई जारी रखे हुए है। नसबंदी जारी है। आने वाले वर्षों में इम्पैक्ट दिखेगा।’ -डा. गौरव चौधरी, पशु कल्याण अधिकारी, जम्मू नगर निगम
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