Jammu News: सर्दी में भारतीय सेना की नई रणनीति, विंटर मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी से घुसपैठियों का होगा संहार
हिमपात या धुंध की आड़ में आतंकियों ने जम्मू कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश की तो मौत तय है। भारतीय सेना ने इतनी पुख्ता विंटर मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी बनाई है कि आतंकी नियंत्रण रेखा पर किसी भी बिंदु पर पैर नहीं रख सकेंगे।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: हिमपात या धुंध की आड़ में आतंकियों ने जम्मू कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश की तो मौत तय है। भारतीय सेना ने इतनी पुख्ता विंटर मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी बनाई है कि आतंकी नियंत्रण रेखा पर किसी भी बिंदु पर पैर नहीं रख सकेंगे। यह रणनीति आतंकियों और उनकी घुसपैठ पर कड़े प्रहार के लिए बनाई गई है। जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी बीएसएफ ने ऐसी ही रणनीति बनाई है। इसमें सीमा और सीमा पार आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सेंसर और थर्मल इमेजर जैसे अत्याधुनिक उपकरण भी शामिल किए गए हैं।
कश्मीर में छिपे विदेशी आतंकी डर से छिपे
भारतीय सेना ने जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर कश्मीर में आतंकियों की कमर तोड़ दी है। आतंकियों के अधिकतर कमांडर मारे जाने के चलते आतंकी संगठनों के कैडर के होश उड़े हैं। कश्मीर में छिपे विदेशी आतंकी बिल से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। इससे पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ तथा आतंकियों के आका हताश हैं। कश्मीर में लगातार घटते कैडर का मनोबल बनाए रखने के लिए आइएसआइ ने गुलाम जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकी शिविरों में बैठे लगभग 150 आतंकियों को कश्मीर में घुसपैठ के लिए बैठा रखा है। इन्हें हिमपात के दौरान जम्मू कश्मीर में घुसपैठ के लिए धकेला जा सकता है।
विशेष घुसपैठ रोधीतंत्र तैयार
इससे निपटने के लिए सेना ने भी एलओसी पर घुसपैठ की दृष्टि से परंपरागत रास्तों और कुछ नए इलाकों को चिह्नित करते हुए विशेष घुसपैठ रोधीतंत्र तैयार किया है। कुछ नई अस्थायी चौकियां स्थापित करने के अतिरिक्त शून्य से नीचे 30-40 डिग्री सेल्सियस तापमान में काम करने वाले सेंसर और थर्मल इमेजर अग्रिम इलाकों मे लगाए गए हैं। यह सब भारतीय सेना की विंटर मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी का हिस्सा है। यह रणनीति कोई पहली बार नहीं अपनाई गई है, बल्कि पिछले कुछ वर्षों से प्रत्येक बार सर्दियों में इसे अमल में लाया जाता है। सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी नियंत्रण रेखा पर लगातार दौरे कर जवानों का मनोबल बढ़ा रहे हैं।
नवंबर माह से विंटर मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी प्रभावी
जम्मू कश्मीर में विंटर मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी नवंबर माह में ही प्रभावी कर दी गई थी। इसके बाद भी सेना ने नियंत्रण रेखा की सुरक्षा की नए सिरे से समीक्षा कर कई कदम उठाए हैं। उत्तरी कमान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सर्दियों में नियंत्रण रेखा पर तैनात सैनिकों का मनोबल ऊंचा है। सेना ने घुसपैठ की दृष्टि से परंपरागत रास्तों के साथ कुछ ऐसे नए इलाके भी चिन्हित किए हैं, जहां से आतंकी घुसपैठ की कोशिश कर सकते हैं। इन इलाकों में विशेष घुसपैठरोधी तंत्र तैयार किया है। नियंत्रण रेखा पर जवानों की पेट्रोलिंग बढ़ाने के साथ कुछ नई अस्थायी चौकियां स्थापित की गई हैं।
बीएसएफ भी अपना रही यही रणनीति
जम्मू संभाग में 202 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा है। इसमें से 192 किलोमीटर सीमा सुरक्षा बल व अखनूर में 10 किलोमीटर सेना के पास है। वहीं, पुंछ में नियंत्रण रेखा का कुछ हिस्सा सीमा सुरक्षा बल के जिम्मे है। जम्मू संभाग में कठुआ, सांबा व जम्मू जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर खासी आबादी बसती है। वहीं, राजौरी-पुंछ जिले नियंत्रण रेखा से सटे हैं। मैदानी क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सर्दी के दिनों में कोहरा छाने की समस्या आम है। इसकी आड़ में आतंकी घुसपैठ करने की हमेशा कोशिश में रहते हैं। इससे निपटने के लिए बीएसएफ भी आधुनिक उपकरणों के साथ विंटर मैनेजमेंट स्ट्रेटजी पर काम करती है।
संवेदनशील हिस्सों में बढाई सतर्कता
घुसपैठ रोकने के लिए यह है सेना की विंटर मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी विंटर मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी के तहत सीमा पर सभी संवेदनशील हिस्सों में सतर्कता बढ़ा दी जाती है। सीमा पर अतिरिक्त नाके लगाने के साथ अंधेरे और धुंध में देखने के लिए उन्नत तकनीकी सर्विलांस की मदद ली जाती है। अंधेरे देखने में सक्षम आधुनिक सेंसर, हाई डेफिनेशन कैमरे, आधुनिक थर्मल इमेजर, हाई रेंज नाइट विजन कैमरों को निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ये आधुनिक उपकरण माइनस 30-40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी बेहतर तरीके से काम करते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।