आजादी के बाद पहली बार रोशन हुआ जम्मू-कश्मीर का यह गांव, घरों में त्योहार जैसा माहौल; बेहद मुश्किल था लोगों का जीवन
कुपवाड़ा जिले के करनाह घाटी में स्थित सिमारी गांव में आजादी के बाद पहली बार रोशनी आई है। सेना और असीम फाउंडेशन ने मिलकर यहां सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट शुरू किया है जिससे 53 घरों में बिजली पहुंची है। कर्नल संतोष महादिक को समर्पित इस गांव में अब एलपीजी सिलेंडर भी उपलब्ध कराए गए हैं जिससे ग्रामीणों को बेहतर जीवन जीने में मदद मिलेगी।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले की करनाह घाटी में नियंत्रण रेखा पर स्थित सिमारी गांव के लोगों के जीवन में नई रोशनी आ गई है। देश की आजादी के बाद से अंधेरे में रहने के आदी देश के मतदान केंद्र नंबर 1 वाले इस गांव के निवासियों के घर सौर उर्जा से रोशन हो गए हैं।
सेना के बलिदानी कर्नल संतोष महादिक को समर्पित इस गांव में सेना की चिनार कोर द्वारा पुणे की असीम फाउंडेशन के सहयोग से बनाया गया सौर उर्जा प्रोजेक्ट सोमवार को लोकार्पित कर दिया गया।
बलिदानी की मां ने किया सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट का उद्घाटन
शौर्य चक्र से सम्मानित कर्नल संतोष महादिक को सोमवार श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इसके बाद कर्नल संतोष महादिक की माता कालिंदा महादिक ने सेना की कालीधार ब्रिगेड के ब्रिगेड कमांडर के साथ स्विच दबाकर सौर उर्जा प्रोजेक्ट को गांव के निवासियों को समर्पित किया। इस मौके पर असीम फाउंडेशन के संस्थापक व प्रबंध निदेशक सारंग गोसावी, जिला प्रशासन के अधिकारी व स्थानीय निवासी मौजूद थे।
गांव में त्योहार जैसा माहौल
नियंत्रण रेखा पर स्थित 53 घरों वाले सिमारी गांव में सोमवार को त्योहार जैसा माहौल था। उज्जवल जीवन की कल्पना से सीमांत वासियों के चेहरों पर रौनक थी। सेना ने आपरेशन सद् भावना के तहत गांव के विद्युतीकृत के साथ इस एलपीजी-सक्षम भी बनाया है।
अब घर में रसोई सिलेंडर होने से महिलाओं को चूल्हें पर रोटी नही बनानी पड़ेगी। ऐसे में सिमारी का वातावरण अब पहले से भी साफ सुथरा हो जाएगा। सेना की ओर से लोगों के घरों पर सोलर पैनल लगाने के साथ उनमें रसोई गैस के सिलेंडर व दो बर्नर वाले गैस स्टोव भी बांटे गए थे।
कुपवाड़ा में बलिदान हुए थे कर्नल संतोष
कर्नल संतोष महादिक 17 नवंबर 2015 को कुपवाड़ा जिले में आतंकवादियों के साथ लड़ते हुए बलिदान हुए थे। उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्हें समर्पित सिमारी गांव में सौर उर्जा प्रोजेक्ट के लोकपर्ण के बाद लोगों से बातचीत करते हुए ब्रिगेडर कमांडर व अन्य विशेष अतिथियों ने दूरदराज इलाकों को विकसित बनाने में भविष्य में भी सहयोग देने का वादा किया।
वहीं सेना की वज्र डिवीजन के प्रति आभार जताते हुए गांव के निवासियों ने कहा कि उनके जीवन में मुस्कान व खुशी आ गई है। गांव में रोशनी बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद लेकर आई है। अब उन्हें रात में पढ़ाई करने में कोई परेशानी नही होगी।
पहले उन्हें रात के समय टार्च की रोशनी में पढ़ाई करने के लिए मजबूर होना पड़ता था। सीमा पर रहने वाले लोगों के जीवन को सरल बनाने की सेना व असीम फाउंडेशन की यह पहल सराहनीय है।
क्यों विकास में पिछड़ गया था गांव?
चार सौर क्लस्टर सिमारी गांव को एक साथ जोड़ते हैं। प्रत्येक सौर क्लस्टर में उच्च दक्षता वाले पैनल, इनवर्टर और बैटरी बैंक लगे हैं। इनसे सभी घरों को चौबीसों घंटे बिजली मिलती है। सीमा से सटे इस गांव के 53 घरों में 347 निवासी रहते हैं। उन्हें अब एलईडी लाइटिंग, सुरक्षित पावर सर्किट से बिजली उपलब्ध करवाई गई है।
गांव का आधा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर में पड़ता है। ऐसे में यह सीमांत गांव दूर होने कारण विकास में पिछड़ गया था। अब सेना के सहयोग से उनके जीवन में तेजी से बदलाव आ रहा है।
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