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    'नहीं चाहते थे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का आंध्र व तेलंगाना की तरह झगड़ा', ऐसा क्यों बोले CM उमर अब्दुल्ला?

    Updated: Wed, 19 Mar 2025 02:18 PM (IST)

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा सहमति के आधार पर हुआ है ताकि यहां आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसा कानूनी विवाद और झगड़ा पैदा न हो। उन्होंने कहा कि हमने लद्दाख के साथ एक हाथ ले-एक हाथ दे की नीति अपनाई है। उन्होंने बताया कि चाणक्यपुरी में जम्मू-कश्मीर हाउस की मुख्य इमारतों को लद्दाख के लिए स्थानांतरित कर दिया है।

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    विधानसभा में बात करते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला

    राज्य ब्यूरो,जम्मू। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को सदन में घोषणा की कि दिल्ली, चंडीगढ़ समेत देश के विभिन्न भागों में तैयार की जाने वाली परिसंपत्तियों में जम्मू-कश्मीर की विरासत, वास्तुशिल्प और संस्कृति की झलक के साथ परंपरागत व्यंजन भी उपलब्ध होंगे।

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    स्थानीय लोगों को इनमें प्राथमिकता के आधार पर रोजगार मिलेगा। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा सहमति के आधार पर हुआ है ताकि यहां आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसा कानूनी विवाद और झगड़ा पैदा न हो।

    विधानसभा में उमर ने जडीबल के विधायक तनवीर सादिक के एक तारांकित प्रश्न के जवाब में स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के आधार पर अस्तित्व में आए केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य की परिसंपत्तियों का बंटवारा सलाहकार समिति द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर किया गया था।

    लद्दाख के साथ एक हाथ ले एक हाथ दे की नीति अपनाई

    हमने लद्दाख के साथ एक हाथ ले-एक हाथ दे की नीति अपनाई। उमर ने दिल्ली के चाणक्यपुरी में स्थित जेके हाउस के बंटवारे से उपजे हालात पर ध्यान दिलाए जाने पर कहा कि चाणक्यपुरी में जम्मू-कश्मीर हाउस की मुख्य इमारतों को लद्दाख के लिए स्थानांतरित कर दिया गया है जिससे जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के ठहरने की सुविधा सीमित हो गई है। इससे निपटने के लिए सरकार ने दिल्ली विकास प्राधिकरण से द्वारका के सेक्टर 19, चरण-एक में स्थायी पट्टे के आधार पर 3,179.58 वर्ग मीटर का भूखंड खरीदा है।

    इस पर नए जम्मू-कश्मीर भवन का निर्माण किया जा रहा है। इस स्थल का चयन इसकी पहुंच और अन्य राज्यों के भवनों से निकटता के आधार पर किया गया था। इसके अलावा सरकार पांच पृथ्वीराज रोड पर और अधिक आवास बनाने के विकल्प तलाश रही है।

    उमर ने नई दिल्ली में अनधिकृत कब्जे वाली संपत्तियां वापस लेने की कार्रवाई पर बताया कि राजाजी मार्ग पर कश्मीर हाउस में एक कनाल और 11.2 मरला की संपत्ति, जिस पर अवैध कब्जा था, मुक्त कराया गया है। अब यह संपत्ति जम्मू-कश्मीर के रेजिडेंट कमीशन दिल्ली के अधिकार में है। विधायक नजीर अहमद गुरेजी द्वारा चंडीगढ़ स्थित जम्मू-कश्मीर की परिसंपत्तियों के मुद्दे पर पूछे जाने पर उमर ने बताया कि सुखना झील के पास जो जगह व इमारत है, वह लद्दाख के हिस्से में चली गई है जबकि सेक्टर 17 की परिसंपत्तियां हमारे पास हैं।

    विधानसभा में 13 मांगे और 12 अनुपूरक मांगे रखी गईं

    विधानसभा में 13 मांगें और 12 अनुपूरक मांगें रखी गईं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में 13 मांगें और 12 अनुपूरक मांगें रखीं, जिन्हें बाद में स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने चर्चा के लिए सदन के समक्ष प्रस्तुत किया। मंगलवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री के प्रभार वाले विभागों के अनुदान मांग प्रस्ताव पर चर्चा शुरु हुई है।

    चर्चा से पूर्व उमर ने अपने विभागों के लिए प्रस्तावित बजटीय प्रविधानों का उल्लेख करते अनुदान मांगें रखीं। ये अनुदान मांगें सामान्य प्रशासन विभाग, वित्त, आवास, विद्युत विकास, पर्यटन, राजस्व, विधि, आपदा प्रबंधन, आतिथ्य एवं प्रोटोकाल, नागरिक उड्डयन, संस्कृति, संपदा, सूचना एवं योजना विभागों से संबंधित हैं तथा इन विभागों का प्रभार मुख्यमंत्री के पास है।

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    अनुदान मांगों पर चर्चा 20 मार्च तक जारी रहेगी और 20 मार्च की दोपहर को अनुदान मांगों पर उत्तर देंगे। जमाबंदी के डिजिटलीकरण में सावधानी बहुत जरूरी मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जमाबंदी के डिजिटलीकरण में पूरी सावधानी बरती जा रही है। इसमें जल्दबाजी करने से गड़बड़ी हो सकती है।

    लालचौक निर्वाचन क्षेत्र के विधायक अहसान परदेसी के सवालों को जवाब देते उमर ने कहा कि बलहामा के लिए जमाबंदी का डिजिटलीकरण पूरा हो गया है, लसजान की समीक्षा की जा रही है। इस दौरान अगर कोई त्रुटि सामने आती है तो उसे ठीक किया जा रहा है। नागरिकों द्वारा उनके मामलों की शिकायत के आधार पर इसे देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्य में जल्दबाजी के बजाय सावधानी की बहुत जरूरत है।

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