हाई कोर्ट में झूठा बयान देने पर फंसे गांदरबल के पूर्व DC, आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का निर्देश; क्या है मामला?
जम्मू उच्च न्यायालय (Jammu High Court) ने तत्कालीन उपायुक्त गांदरबल के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। उपायुक्त ने कोर्ट में गलत बयान दिया था कि विचाराधीन इमारत उनके कब्जे में नहीं है जबकि वह केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर (Central University Kashmir) को छात्रावास के लिए दी गई थी। उच्च न्यायालय ने इस गलत बयानी पर गहरी नाराजगी जताई है।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। उच्च न्यायालय ने कोर्ट के समक्ष गलत बयान देने के लिए तत्कालीन उपायुक्त गांदरबल के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। उच्च न्यायालय ने अदालत के समक्ष गलत बयान दाखिल करने पर गहरी नाराजगी और गंभीर चिंता व्यक्त की।
न्यायमूर्ति संजय धर ने प्रधान जिला न्यायाधीश गांदरबल को तत्कालीन उपायुक्त गांदरबल के खिलाफ उचित आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। उन्होंने अदालत के समक्ष एक लिखित बयान दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि विचाराधीन इमारत उनके कब्जे में नहीं है।
जानें क्या था पूरा मामला?
मामले की जड़ यह था कि याचिकाकर्ता अब्दुल माजिद सोफी ने बीहामा गांदरबल में स्थित एक छह मंजिला इमारत का मालिक होने के नाते इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर को अपने छात्रों के लिए छात्रावास चलाने के उद्देश्य से समझौते के आधार पर पट्टे पर दिया था और उक्त समझौते को समय-समय पर 19 फरवरी 2021 तक बढ़ाया गया था।
विवाद यह उत्पन्न हुआ कि केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर अधिकारियों के अनुसार उक्त इमारत को सुरक्षा कारणों के मद्देनजर जिला गांदरबल के राजनीतिक रूप से संरक्षित व्यक्तियों को समायोजित करने के उद्देश्य से जिला प्रशासन गांदरबल ने जबरन अपने कब्जे में ले लिया।
प्रशासन ने जबरन कब्जे में लिया था मकान
याचिकाकर्ता माजिद ने अपनी इमारत पर कब्जे के लिए जिला न्यायालय गांदरबल से संपर्क किया और मामले की कार्यवाही के दौरान केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर ने दलील दी कि दिनांक 26 नवंबर 2020 के किराया समझौते की शर्तों के अनुसार विश्वविद्यालय को 19 फरवरी 2021 को याचिकाकर्ता को इमारत का कब्जा सौंपना था, लेकिन उससे पहले इमारत को माजिद की सहमति के बिना जिला प्रशासन गांदरबल ने जबरन अपने कब्जे में ले लिया था।
डीसी ने दायर किया था ये बयान
अदालत ने जिला विकास आयुक्त गांदरबल को याचिका में शामिल मुद्दे के संबंध में अपना पक्ष दाखिल करने का निर्देश दिया। उन्होंने एक लिखित बयान दायर कर कहा कि याचिकाकर्ता के इस परिसर को जिला प्रशासन गांदरबल ने अपने कब्जे में नहीं लिया है।
प्रधान जिला न्यायाधीश गांदरबल ने साइट का दौरा करने और यह रिपोर्ट देने के लिए एक आयुक्त नियुक्त किया कि संबंधित इमारत पर किसका कब्जा है।
यह भी पढ़ें- शराबबंदी के मुद्दे पर शुरू हुई राजनीतिक जंग, इल्तिजा मुफ्ती ने कहा 'नकलची बंदर' तो NC ने दे डाली ये नसीहत
'जिम्मेदार अधिकारी का यह आचरण निंदनीय'
आयुक्त ने बताया कि भवन जिला प्रशासन के कब्जे में है। सुरक्षा कारणों से इमारत को मौखिक रूप से अपने कब्जे में ले लिया। न्यायमूर्ति धर ने कहा कि सबसे बढ़कर तत्कालीन उपायुक्त गांदरबल ने प्रधान जिला न्यायाधीश गांदरबल के समक्ष स्पष्ट रूप से झूठी याचिका दायर की।
जिसमें कहा गया कि विचाराधीन इमारत जिला प्रशासन के कब्जे में नहीं है। उपायुक्त का यह रुख इस रिट याचिका में लिए गए प्रतिवादियों के रुख के विपरीत है। सरकार के एक जिम्मेदार अधिकारी का यह आचरण निंदनीय है और यह दर्शाता है कि उक्त अधिकारी के मन में कानून के शासन के प्रति कोई सम्मान नहीं है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।