जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने 24 वर्ष बाद सोफी को गैर इरादतन दोषी करार देकर सुनाई 5 साल की सजा, 2 लाख का जुर्माना भी किया
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सबजार अहमद सोफी को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए पांच साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई। उसे पहले अनंतनाग कोर्ट ने बरी कर दिया था लेकिन हाईकोर्ट ने एसएसपी की अपील पर फैसला बदला। मामला 2001 का है जब गुलाम हसन खान की खेत में पानी रोकने पर हत्या कर दी गई थी।

जेएनएफ, जम्मू। जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने हत्या के आरोपों से बरी किए गए सबजार अहमद सोफी को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए पांच साल के कारावास व दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
सबजार अहमद को अनतंनाग कोर्ट ने 2001 में दर्ज एफआइआर में बरी कर दिया था। उस पर गुलाम हसन खान की हत्या का आरोप था लेकिन कोर्ट ने निसंदेह आरोप साबित न होने का हवाला देते हुए उसे बरी किया था।
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कोर्ट के इस फैसले को एसएसपी अनंतनाग की ओर से हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में चुनौती दी गई। पूरे मामले पर गौर करने के बाद बेंच ने सबजार अहमद को गैर इरादत हत्या का दोषी करार दिया और पांच साल के कारावास व दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
बेंच ने जुर्माने की राशि में से 1.90 लाख रुपये मृतक के आश्रितों को देने व शेष दस हजार रुपये सरकारी खजाने में जमा कराने का निर्देश दिया। बेंच ने कहा कि अगर सबजार अहमद जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं करता तो उसे छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
केस के मुताबिक 18 जून 2001 को गुलाम हसन खान अपने खेतों में काम कर रहा था और उसने आरोपित के खेतों की ओर जाने वाले पानी को रोका था। इस पर सबराज ने डंडे से उस पर प्रहार किया जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया और 19 जून को अस्पताल में उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया। इस पर पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया था।
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