4 महीने हुए उमर सरकार बने, पर शक्तियों का अब तक पता नहीं; प्रशासन और जनता कंफ्यूज
जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार को सत्तासीन हुए लगभग चार महीने हो चुके हैं लेकिन अभी तक सरकार और उसके मंत्रियों के लिए कार्य संचालन और अधिकारों के प्रयोग से संबंधित नियम तय नहीं हो पाए हैं। इससे प्रशासनिक कार्यों पर असर पड़ रहा है और आम लोगों में भी निर्वाचित सरकार की क्षमता को लेकर असमंजस पैदा हो रहा है।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार को सत्तासीन हुए लगभग चार माह होने जा रहे हैं लेकिन निर्वाचित सरकार और उसके मंत्रियों के लिए कार्य संचालन व अधिकारों और शक्तियों के प्रयोग से संबंधित नियम अभी तय नहीं हो पाए हैं।
इसका असर प्रशासनिक कार्यों पर हो रहा है तो वहीं आम लोगों में भी निर्वाचित सरकार की क्षमता को लेकर असमंजस पैदा हो रहा है।
जम्मू-कश्मीर में शक्तियों को लेकर नियम तय नहीं
नियमों को बनाने के लिए गठित समिति अभी तक मसौदा रिपोर्ट तक तैयार नहीं कर सकी है। पांच अगस्त 2019 को पारित जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत 31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में पुनर्गठित हुआ है।
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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का प्रविधान है। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में पहली बार निर्वाचित सरकार ने गत 16 अक्टूबर को सत्ता संभाली है। प्रदेश में निर्वाचित सरकार के मंत्रियों और विधायकों के अधिकारों व शक्तियों को लेकर नियम तय नहीं है।
विवादों से बचने के लिए निर्णय लेने से बच रहे हैं अधिकारी
इससे कई मामलों असमंजस की स्थिति पैदा होती है और प्रशासनिक अधिकारी भी विवाद से बचने के लिए कई निर्णयों को लेने से बच रहे हैं। प्रदेश सरकार ने कार्य संचालन और अधिकारों व शक्तियों के उपयोग के संदर्भ में नियम तय करने के लिए उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है।
समिति ने अपने काम को कहां तक पूरा किया है, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गत दिनों कहा था कि जल्द ही काम पूरा कर लिया जाएगा लेकिन सूत्रों की माने तो समिति ने अभी तक नियमों की मसौदा रिपोर्ट भी तैयार नहीं की है और यह प्रकिया जारी है।
मसौदा व्यावसायिक नियम अभी तैयार किए जाने हैं और सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) द्वारा उनके पूरा होने के लिए रोडमैप या समय-सीमा की रूपरेखा तैयार करने के लिए कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है।
अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा उपराज्यपाल के पास
एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि मसौदा नियम तैयार हो जाने के बाद उन्हें अंतिम मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के कार्यालय में भेजे जाने से पहले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में कैबिनेट उन पर चर्चा करेगी।
अधिकारी ने कहा कि प्रशासनिक कार्यों को सुव्यवस्थित करने, जिम्मेदारियों को परिभाषित करने और विभिन्न सरकारी विभागों में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए व्यावसायिक नियम महत्वपूर्ण हैं।
जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में यह नियम विशेष महत्व रखते हैं क्योंकि यह प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे के तहत पारदर्शी और कुशल शासन के लिए एक आधार स्थापित करेंगे लेकिन नियमों के तय न होने के कारण कई प्रशासनिक गतिविधियों में असमंजस पैदा हो रहा है और तात्कालिक तौर पर उचित और स्पष्ट निर्णय लेने में दिक्कत आती है।
नियमों में असहमति पर हो सकता है टकराव
सूत्रों ने बताया कि जिन नियमों और प्रावधानों पर असहमति होगी, उन्हें लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच टकराव हो सकता है।
ऐसा परिदृश्य उमर सरकार के लिए चुनौती बन सकता है। नियमों को तुरंत अंतिम रूप देने और लागू करने से सरकार के पास क्षेत्र में शासन के लिए एक बेंचमार्क स्थापित करने का अवसर है।
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