नेकां में सब ठीक नहीं! पार्टी में तीखी हुई रार, सांसद रुहुल्ला मेहदी ने फिर बोला सीएम उमर अब्दुल्ला पर हमला
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। नेकां सांसद आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी ने 370 के मुद्दे पर फिर से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा है। रुहुल्ला ने उमर को सलाह दी है कि वह 370 के मुद्दे पर केंद्र से लड़ाई लड़ें। वहीं रुहुल्ला के खिलाफ नेकां के अन्य नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। नेकां में सब ठीक नहीं है। नेकां सांसद आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी ने 370 के मुद्दे पर फिर से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा है और उन्हें सलाह दी है कि वह 370 के मुद्दे पर केंद्र से लड़ाई लड़ें। यहां बता दें कि मुख्यमंत्री पद की शपथ के बाद उमर 370 जैसे मुद्दे पर मौन हैं और राज्य के दर्जे को ही मुद्दा बना रहे हैं।
वहीं, रुहुल्ला के खिलाफ नेकां के अन्य नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है और उमर के आवास पर सांसद के प्रदर्शन को सुर्खियां पाने का ओछा हथकंडा करार दिया है। सकीना जम्मू-कश्मीर में आरक्षण के मुद्दे को हल करने के लिए गठित कैबिनेट उपसमिति की अध्यक्ष भी हैं। जम्मू-कश्मीर में आरक्षण को 50 प्रतिशत तक सीमित करने की मांग पर रुहुल्ला ने दिसंबर में उमर के आवास पर प्रदर्शन किया था।
अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली के लिए होनी चाहिए लड़ाई
उमर ने धरने के बाद कहा था कि उम्मीद है कि रुहुल्ला संसद में भी जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे के लिए आवाज उठाएंगे। इस पर रुहुल्ला ने कहा था कि वह तैयार हैं पर लड़ाई अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली के लिए होनी चाहिए। नेकां की युवा इकाई के अध्यक्ष एवं विधायक सलमान अली सागर ने भी रुहुल्ला के धरने की आलोचना की थी।
इस विषय पर बुधवार को मंत्री सकीना इट्टू ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आरक्षण को लेकर सभी की चिंता और हितों का ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने सांसद रुहुल्ला को घेरते हुए कहा कि यह कोई तरीका नहीं है कि आप मुख्यमंत्री के घर के बाहर धरने पर बैठ जाओगे।
उन्होंने कहा कि सरकार किसी के दबाव में नहीं है। इसी बीच रुहुल्ला के मुख्यमंत्री पर हमले जारी हैं। बुधवार को मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जनता की उम्मीदों और आकांक्षाओं का सम्मान करने की नसीहत दी।
उन्होंने निकट भविष्य में जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्ज की बहाली पर भी संदेह जताया और आरोप लगाया कि मौजूदा शासन व्यवस्था उपराज्यपाल को सर्वोपरि बनाए रखने और निर्वाचित सरकार को हाशिए पर धकेलने के लिए बनाई गई है।
भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में एक ऐसी व्यवस्था बनाई जो निर्वाचित सरकार की भूमिका को कम करती है। अगर मुख्यमंत्री उमर कोई बैठक बुलाते हैं तो उपराज्यपाल भी संबंधित मुद्दे पर बैठक करते हैं। इससे लोगों में असमंजस पैदा होता है।
जमानत पर हैं रिहा
नेकां में बीएसएफ के सेवानिवृत्त कमांडेंट डा. करनैल सिंह शामिल हुए हैं। कोई किसी सियासी दल में शामिल हो यह उसका या संबंधित राजनीतिक दल का अपना विशेषाधिकार है, लेकिन करनैल का नेकां में शामिल होना कई सवाल पैदा करता है, क्योंकि यह वही करनैल सिंह है जो जम्मू-कश्मीर के बहुचर्चित एसआइ भर्ती घोटाले के तथाकथित सूत्रधार बताए जाते हैं। फिलहाल, वह जमानत पर रिहा हैं।
करनैल सिंह छह जनवरी को नेकां के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला और प्रांतीय प्रधान एडवोकेट रत्न लाल गुप्ता की मौजूदगी में पार्टी का हिस्सा बने। फारूक ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि इससे जम्मू संभाग में नेकां जमीनी स्तर पर और भी ज्यादा मजबूत होगी।
करनैल सिंह ने भी फारूक को पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ नेकां को मजबूत बनाने के लिए दिन-रात करने का यकीन दिलाया। करनैल पर एसआइ, जेई और वित्तखाता सहायक भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक करने का आरोप है। अक्टूबर 2022 में सीबीआइ ने उन्हें गिरफ्तार कर भर्ती घोटाले का कथित सरगना बताया गया है।
महीनों गिरफ्तार रहे करनैल सिंह कुछ समय पहले ही जमानत पर रिहा हुए हैं। वह उन 24 आरोपितों में हैं, जिनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है। जम्मू-कश्मीर मामलों के जानकार सैयद अमजद शाह ने कहा, अगर यह वही करनैल सिंह हैं तो नेकां के नेता कठघरे में खड़े होते हैं।
नेकां को जो जनादेश मिला है, उसे निभाना बड़ी जिम्मेदारी है। उमर अब्दुल्ला को राज्य का दर्जा और अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए लड़ाई का नेतृत्व करना चाहिए। अगर उमर लोगों की उम्मीदों से खुद को दूर करते हैं तो उन्हें जम्मू-कश्मीर के बजाय दिल्ली के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाएगा।
-आगा रुहुल्ला मेहदी, सांसद
आप सस्ती शोहरत के लिए धरना देंगे, फोटो खिचवाएंगे और कहेंगे कि मैंने सरकार पर दबाव बनाया है। सरकार पर कोई दबाव नहीं है। सरकार संवैधानिक नियमों और अधिकारों के साथ अपना काम कर रही है। किसी को गलतफहमी नहीं रखनी चाहिए कि वह सरकार पर दबाव बना लेगा या यह सरकार कमजोर है।
-सकीना इट्टू, मंत्री, नेकां सरकार
आगा रुहुल्ला कई नीतिगत मामलों पर पार्टी के घोषित एजेंडे पर असहमत रहे हैं। उन्होंने कभी अपनी असहमति नहीं छिपाई, इससे नेकां के कई नेताओं की स्थिति असहज हो जाती है। वह उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं जो पार्टी के मूल एजेंडे पर समझौते के मूड में नहीं है। इस पूरे प्रकरण में स्पष्ट हो चुका है कि नेकां में दो गुट हैं और वह मुखर होने लगे हैं।
-आसिफ कुरैशी, कश्मीर मामलों के जानकार
डा. करनैल सिंह को उनके एक मित्र गत दिनों लेकर आए थे। हमने उनकी पृष्ठभूमि की जांच नहीं की थी। वह नेकां के सदस्य नहीं हैं। जब तक वह इस मामले में पूरी तरह बरी नहीं होते, उन्हें पार्टी का सदस्य नहीं माना जाएगा।
-रत्न लाल गुप्ता, प्रांतीय प्रधान, नेकां
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