Jammu: पूर्व सैनिकों के हवाले हो सकती है जीएमसी की इमरजेंसी की सुरक्षा, मौजूदा हालात को देख प्रिंसिपल जीएमसी जम्मू कर रहे विचार
राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू में मारपीट की घटनाओं को रोकने के लिए पूर्व सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जा सकता है। जीएमसी में पहले से ही पुलिस और निजी सुरक्षा कर्मी हैं लेकिन वे घटनाओं को रोकने में सफल नहीं रहे हैं। हाल ही में एक डॉक्टर के साथ मारपीट की घटना के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल की थी। इमरजेंसी में पूर्व सैनिकों को तैनात करने की योजना है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में आए दिन हो रही मारपीट की घटनाओं को रोकने के लिए इसकी सुरक्षा का जिम्मा सेवानिवृत्त सुरक्षा कर्मियों को सौंपा जा सकता है। इसके लिए आज अहम बैठक भी होने जा रही है। इसमें पूर्व सैनिकों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा होगी।
जीएमसी में इस समय जम्मू-कश्मीर पुलिस के अतिरिक्त निजी सुरक्षा कर्मी भी तैनात है। लेकिन उनसे अभी तक किसी भी मारपीट की घटना को रोकने में सफलता नहीं मिल पाई है। बीते एक वर्ष में जीएमसी में एक दर्जन से अधिक मारपीट, कहासुनी की घटनाएं हो चुकी हैं। एक मरीज के तीमारदार ने तो नई इमरजेंसी के सभी शीशे तक तोड़ डाले थे।
बीते बुधवार को भी एक मरीज की मौत के बाद उसके तीमारदार ने महिला डाक्टर के साथ मारपीट कर दी थी। यह घटना उस समय हुई जब उस समय तीन निजी सुरक्षा कंपनी के गार्ड भी मौके पर मौजूद थे। किसी ने भी इस घटना को होने से रोका नहीं।
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इसके बाद रेजीडेंट डाक्टर हड़ताल पर चले गए और उन्होंने उनकी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की। इस पर जीएमसी के प्रिंसिपल डा. आशुतोष गुप्ता, प्रशासनिक सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग डा. सैयद आबिद रशीद शाह के साथ रेजीडेंट डाक्टरों की बात हुई और अब यह फैसला किया गया है कि डाक्टरों की सुरक्षा को बढ़ाया जाएगा।
वर्तमान में इमरजेंसी में बीस निजी सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। लेकिन इनके अलावा अब पूर्व सैनिकों को भी यहां पर नियुक्त करने की बात चल रही है। इमरजेंसी में ही तीस के करीब पूर्व सैनिक तैनात होंगे। उन्हें चौबीस घंटे शिफ्ट पर तैनात किया जाएगा। हालांकि अर्द्धसैनिक बलों के कुछ जवानों को तैनात करने की भी बात हुई है लेकिन उसकी उम्मीद कम है।
जीएमसी जम्मू के प्रिंसिपल डा. आशुतोष गुप्ता का कहना है कि इमरजेंसी की सुरक्षा बढ़ाने के लिए काम हो रहा है। आज वह पूर्व सैनिकों के साथ इस मुद्दे पर बात करेंगे। अगर सहमति बन जाती है तो उन्हें तैनात किया जाएगा। वह पहले से प्रशिक्षित हैं और इस जिम्मेवारी को बेहतर ढंग से संभाल सकते हैं।
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उनका कहना है कि तीमारदारों और डाक्टराें के बीच होने वाली झड़पें उनके बीच विश्वास को भी कम करती हैं। डाक्टर अपना काम कर रहे हैं और उन्हें उचित सुरक्षा देने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से भी धैर्य बनाने को कहा।
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