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    जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी और दूरदराज क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी होगी दूर, उमर सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम

    Updated: Mon, 24 Mar 2025 10:57 AM (IST)

    जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir News) के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में तैनाती के लिए जाने वाले डॉक्टरों को कठिनाई भत्ता (हार्डशिप अलाउंस) और नॉन प्रैक्टिसिंग भत्ता दिया जाएगा। मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने रविवार को सभी जिलों में स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और सेवाओं की समीक्षा करते हुए विभागीय अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं। इस पहल से दूरदराज क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी दूर हो सकेगी।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir News) के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में तैनाती के लिए जाने वाले डॉक्टरों को कठिनाई भत्ता (हार्डशिप अलाउंस) और नॉन प्रैक्टिसिंग भत्ता दिया जाएगा। मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने रविवार को सभी जिलों में स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और सेवाओं की समीक्षा करते हुए विभागीय अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं।

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    इस पहल के पीछे डॉक्टरों को दुर्गम इलाकों में जाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इससे दूरदराज क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी दूर हो सकेगी। इसके अलावा उन्होंने प्रदेश में खुले सभी नए मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल को निर्देश दिए कि वह अपने स्वास्थ्य संस्थानों से मरीजों को रेफर करने के मामले कम करने के लिए खुद ही योजना बनाएं।

    पहाड़ी और दूरदराज क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी का मुद्दा सदन में गूंजा

    उन्होंने उनसे मौजूदा संस्थानों का उपयोग कर श्रीनगर और जम्मू तथा स्किम्स के साथ समन्वय बनाकर अपने चिकित्सकों की क्षमता बढ़ाने के लिए एक व्यापक रणनीति बनाने के लिए भी कहा। पहाड़ी एवं दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी का मुद्दा पिछले सप्ताह विधानसभा में जोरशोर से गूंजा था।

    विधायकों ने सदन में दावा किया था कि मानवीय आधार पर डॉक्टरों की शहरी क्षेत्रों में तैनाती गांवों पर भारी पड़ रही है। बनी के विधायक डॉ. रामेश्वर सिंह ने सदन में सरकार से स्पष्ट शब्दों में पूछा लिया था और कहा था कि पहाड़ों में ऐसी कौन सी गोली चल रही है, जो डॉक्टर वहां नहीं जाते।

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    इस पर सरकार को डॉक्टरों की तैनाती पर सफाई देनी पड़ी थी। अब प्रदेश के मुख्य सचिव डुल्लू ने सभी जिलों में स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और सेवाओं की समीक्षा की है। उन्होंने कहा कि समय पर हस्तक्षेप करके मानव जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण देखभाल सेवाओं को बढ़ाने की जरूरत है।

    आपात स्थितियों से निपटने के लिए छोटे उपकरण, आवश्यक उपभोग्य सामग्रियों को प्राप्त करने के अलावा कर्मचारियों के प्रशिक्षण के संबंध में स्किम्स या जीएमसी जम्मू व श्रीनगर से अपेक्षित सहायता प्राप्त करने के लिए कहा।

    कठोर परिस्थितियों में काम करने के लिए दिया जाता है भत्ता

    प्रदेश के सभी दूरदराज के क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी दूर करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ऐसे इलाकों में डॉक्टरों को जाने के लिए तैयार करने के लिए उन्हें कठिनाई भत्ता या गैर-प्रैक्टिसिंग भत्ते की पेशकश की जाए। उनके लिए इस भत्ते की व्यवस्था की जाए ताकि वह ऐसे स्थानों में जाने के लिए प्रोत्साहित हों।

    उन्होंने ऐसे सभी स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों की पहचान करने का निर्देश दिया जो दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित हैं और जिनमें चिकित्सा कर्मचारियों की कमी है। कठिनाई भत्ता कठोर परिस्थितियों में काम करने के लिए दिया जाता है।

    275 से अधिक चिकित्सा अधिकारियों की होनी है नियुक्ति

    बैठक में बताया गया कि 275 से अधिक चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति की जानी है। 582 गैर-राजपत्रित रिक्तियों को तत्काल भर्ती के लिए जम्मू और कश्मीर सेवा चयन बोर्ड को भेजा गया है। श्रीनगर में बाल चिकित्सा अस्पताल पूरी तरह से चालू है। रेशीपोरा बड़गाम में 125 बिस्तरों वाला अस्पताल और राजौरी जिले के लम्बैड़ी में 100 बेड वाला मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अस्पताल निर्माणाधीन है, जिसे 2026 में पूरा करने की योजना है।

    क्रिटिकल केयर ब्लाकों का काम शुरू

    नेशनल हेल्थ मिशन के मिशन निदेशक नाजिम जिया ने बताया कि नौ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 236 ब्लाक पब्लिक हेल्थ यूनिट्स में क्रिटिकल केयर ब्लाकों पर काम शुरू हो चुका है। राज्य कैंसर संस्थान के लिए एक लीनियर एक्सेलेरेटर की खरीद अंतिम चरण में है। जीएमसी ऊधमपुर को जुलाई तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है जिसका 75 प्रतिशत काम पहले ही पूरा हो चुका है। जीएमसी हंदवाड़ा को किसी व्यवहार्य स्थल पर स्थानांतरण अंतिम चरण में है।

    एमबीबीएस की 50-50 अतिरिक्त सीटों के लिए भी जोर

    मुख्य सचिव ने मेडिकल कॉलेज के हर प्रिंसिपल से एमडी, एमएस, डीएम, एमसीएच और डीएनबी जैसे नए विशेष पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारी ली, जिनके लिए उन्होंने पिछले निर्देशों के अनुसार आवेदन किया था।

    ऐसे आवेदनों को निर्धारित मानदंडों के अनुसार सख्ती से आगे बढ़ाने की जरूरत है ताकि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की मंजूरी मिल सके। उन्होंने एमबीबीएस की 50-50 अतिरिक्त सीटों के लिए भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जहां प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसरों के उच्च पदों को भरने के लिए कोई दावेदार नहीं हैं, वहां अकादमिक व्यवस्था पर कर्मचारियों को काम पर रखें।

    मेडिकल कॉलेजों में सीटों को बढ़ाने के लिए 333 आवेदन प्रस्तुत

    स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सचिव डॉ. सैयद आबिद रशीद शाह ने बताया कि विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में एमडी, एमएस, डीएम, एमसीएच और डीएनबी कार्यक्रमों के लिए सीटें बढ़ाने के लिए 333 आवेदन प्रस्तुत किए गए हैं। जीएमसी श्रीनगर में दो डीएम न्यूरोलाजी सीटों और डेंटल कॉलेज जम्मू में तीन पब्लिक हेल्थ डेंटिस्ट्री सीटों के लिए मंजूरी मिल गई है।

    नए मेडिकल कॉलेजों में अतिरिक्त 50 एमबीबीएस सीटों की वृद्धि के लिए सभी नौ मेडिकल कालेजों ने आवेदन किए हैं। इस कार्य में कॉलेजों की समस्या को दूर करने के लिए स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के तकनीकी सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एनएमसी समन्वय प्रकोष्ठ की स्थापना की गई है। नए मेडिकल कॉलेजों में 50 फैकल्टी और राजपत्रित पदों के लिए नियुक्ति आदेश जारी किए गए हैं। इसके अतिरिक्त 51 उम्मीदवारों को शैक्षणिक व्यवस्था के तहत नियुक्ति आदेश भी प्राप्त हुए हैं।

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