15 माह बाद रणजीत सागर झील में मछली पकड़ने का हुआ ठेका, स्थानीय मछुआरे फिर भी नाखुश, जानें वजह!
बसोहली के मछुआरों की अनदेखी करते हुए मत्स्य विभाग ने रणजीत सागर झील में मछली पकड़ने का ठेका बाहरी व्यापारियों को दे दिया है जिससे स्थानीय लोगों में रोष है। बसोहली के लगभग 200 परिवारों की रोजी रोटी मछली पकड़ने पर निर्भर है फिर भी विभाग ने ओपन टेंडर रखा। जम्मू के एक व्यापारी ने ऊंची बोली लगाकर ठेका अपने नाम कर लिया जिससे स्थानीय मछुआरों को नुकसान होगा।

संवाद सहयोगी, जागरण, बसोहली। एक बार फिर बसोहली के मछुआरों की अनदेखी कर मत्स्य विभाग ने बसोहली से बाहर के व्यापारियों को रणजीत सागर झील में मछली पकड़ने का ठेका दे दिया है, जिससे स्थानीय लोगों में रोष है।
दरअसल, बसोहली के मछुआरों की सोसायटी बार-बार मांग कर रही थी कि मछली पकड़ने का ठेका बसोहली की सोसायटी को दिया जाए, क्योंकि बसोहली के लगभग 200 के करीब परिवारों की रोजी रोटी मछली पकड़ने पर निर्भर है। इसके बावजूद राजस्व में वृद्धि करते हुए मत्स्य विभाग ने ओपन टेंडर रखा और जम्मू के एक व्यापारी ने 1 करोड़ 50 लाख रुपये के करीब बोली लगाकर मछली पकड़ने का ठेका अपने नाम कर लिया।
गत वर्ष टेंडर नहीं हो सका और उससे पूर्व यही मछली पकड़ने का ठेका 1 करोड़ 31 लाख रुपये में गया था, जिससे स्थानीय मछुआरों को नुकसान उठाना पड़ा। इससे पूर्व 1 करोड़ 21 लाख का ठेका गया, उसमें भी स्थानीय मछुआरों को नुकसान हुआ था।
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जुलाई-अगस्त माह में मछली पकड़ने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध के कारण सितंबर माह से नया ठेकेदार मछली पकड़ने की कार्रवाई शुरू करेगा। बसोहली कस्बे एवं आसपास के दर्जनों गांवों के निवासी मछली पकड़ने का धंधा कई वर्षों से करते आ रहे हैं। इसमें लगभग 2 सौ के करीब परिवारों की रोजी रोटी चलती है, मगर पिछले 15 माह के करीब टेंडर नहीं होने के कारण वह किस संकट से गुजरे किसी ने उनकी सुध तक नहीं ली।
अब जब टेंडर हो गया है, जिससे इन परिवारों में आस जगी है कि अब उन्हें काम मिल पाएगा। इतनी बड़ी रकम की बोली होने से मत्स्य विभाग को राजस्व के तौर पर लाभ होगा।
बहरहाल, 15 माह से मछली पकड़ने का ठेका रणजीत सागर झील का नहीं होने के कारण पंजाब व हिमाचल के मछुआरे आए दिन जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के हिस्से की झील से मछली चोरी छिपे पकड़ते रहे।
जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वह दिन के उजाले में भी जम्मू के हिस्से से मछली पकड़ना शुरू कर दिए थे, जिससे जम्मू कश्मीर के राजस्व को खासा नुकसान हुआ।
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दो माह पहले पंजाब क्षेत्र में हुआ था टेंडर
पंजाब में रंजीत सागर बांध प्रबंधन ने अपने क्षेत्र में मछली निकालने का ठेका दो महीने पहले ही कर चुकी है। हालांकि, झील में वार्षिक स्तर पर होने वाला मछली पकड़ने का ठेका प्रक्रिया यूं तो बीते साल मार्च अप्रैल में ही हो जाता था, लेकिन चुनाव के चलते इसमें देरी हुई। उस पर मछली ठेकेदारों ने भी जम्मू कश्मीर के हिस्से वाली झील टेंडर में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसका फायदा मछली चोर उठाते रहे।
छह बार टेंडर निकाले जाने के बाद भी जम्मू कश्मीर के हिस्से से टेंडर नहीं हुआ था।जम्मू कश्मीर में इसके लिए न्यूनतम एक करोड़ 46 लाख रुपये की राशि निर्धारित की गई थी। न्यूनतम राशि में सालाना बढ़त से ठेकेदार इसे मुनाफे का सौदा नहीं मान रहे थे, लेकिन अब सरकारी रेट के मुताबिक टेंडर हो गया।
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