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    विदेशी महिला को 17 साल बाद मिला इंसाफ, कश्मीर में संपत्ति धोखाधड़ी मामले में अदालत ने दो लोगों को सुनाई सजा

    Updated: Sat, 02 Aug 2025 05:43 PM (IST)

    श्रीनगर की एक अदालत ने 2008 के संपत्ति घोटाले में एक विदेशी महिला से 34 लाख रुपये की धोखाधड़ी के मामले में दो लोगों को दोषी पाया। मुख्तार अहमद गुरु और नजीर अहमद गुरु ने महिला को कश्मीर में संपत्ति खरीदने का झूठा विश्वास दिलाया। क्राइम ब्रांच कश्मीर ने 2010 में प्राथमिकी दर्ज की। अदालत ने दोनों को 2-2 साल की कैद और 5-5हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।

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    आरोपी मुख्तार ने विदेशी महिला के रुपयों से संपत्ति खुद के नाम खरीद ली।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। कश्मीर में संपत्ति के नाम पर लाखों रुपये गंवा चुकी विदेशी महिला को आखिकरकार 17 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद जीत हासिल हुई। श्रीनगर के सिटी जज अब्दुल बारी की अदालत ने 2008 में रचे गए एक संपत्ति घोटाले में एक विदेशी नागरिक से 34 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में दो लोगों को दोषी ठहराया है।

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    दोषी व्यक्तियों की पहचान मुख्तार अहमद गुरु और नजीर अहमद गुरु दोनों पुत्र गुल्ला गुरू के रूप में हुई है। ये दोनों भाई अबी कारपोरा नेहरू पार्क, डलगेट, श्रीनगर के रहने वाले हैं। दरअसल इन दोनों ने एक विदेशी महिला को यह विश्वास दिलाकर लाखों रुपये ऐंठ लिए कि वह कश्मीर में कानूनी रूप से संपत्ति की मालिक हो सकती है। कोर्ट में यह सिद्ध होने पर ही अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया है।

    यह मामला 26 जून, 2010 को सामने आया जब क्राइम ब्रांच कश्मीर ने विदेशी महिला की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने श्रीनगर के गुलाब बाग इलाके में एक घर और जमीन खरीदने के लिए मुख्तार अहमद गुरु को 34 लाख रुपये का भुगतान किया था। मुख्तार ने उससे यह बात भी छिपाई की किसी भी विदेशी नागरिक के जम्मू-कश्मीर में अचल संपत्ति रखने पर प्रतिबंध है। उसने उक्त संपत्ति अपने ही नाम पर खरीद ली।

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    विदेशी महिला संपत्ति की मालिक होने के भ्रम में कुछ समय तक मुख्तार के साथ ही उस घर में रही लेकिन बाद में उसे एहसास हुआ कि उसके साथ धोखा हुआ है। जांच से पता चला कि शिकायतकर्ता 1990 के दशक की शुरुआत में भारत आई थी और 2005 में मुख्तार अहमद गुरु से मिलने के समय गोवा में रह रही थी। उनका रिश्ता पति-पत्नी जैसा घरेलू रिश्ता बन गया। इस भरोसे का फायदा उठाकर ही आरोपी ने उसे धोखा देकर उसकी जीवन भर की जमा-पूंजी हड़प ली।

    अपराध शाखा ने अपनी जांच पूरी की और 24 अगस्त, 2010 को न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया। जांच में विदेशी महिला के सभी आरोपों को सत्य पाया गया। दोनों पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद सिटी जज अब्दुल बारी ने दोनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए टिप्पणी की कि अभियुक्तों का यह कृत्य "सोचा-समझा विश्वासघात" है, जो एक अनजान विदेशी महिला को धोखा देने के एकमात्र इरादे से अंजाम दिया गया।

    अदालत के आदेश के अनुसार मुख्तार अहमद गुरु को दोषी ठहराया गया है और 5,000 रुपये के जुर्माने के साथ दो साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई। उनके साथी नजीर अहमद गुरु को अपराध में उकसाने का दोषी ठहराया गया। उसे भी दो साल के साधारण कारावास और 5,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई।

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    अदालत ने आगे निर्देश दिया कि जुर्माना अदा न करने की स्थिति में दोषियों को छह महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। अतिरिक्त लोक अभियोजक विकास कुमार ने मामले में अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व किया।