50 साल से भी ज्यादा पुराना है हॉकी का इतिहास, यूरोपिय टीमों ने एशियाई वर्चस्व पर जमाया था कब्जा
भारत दूसरी बार (2018 और 2023) हॉकी विश्व की मेजबानी करेगा। मैच भुवनेश्वर के कलिंग हॉकी स्टेडियम और राउरकेला के बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम में खेले जाएंगे। जहां तक हॉकी के इतिहास का संबंध है तो 1908 लंदन खेलों में पहली बार हॉकी को ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया।

नई दिल्ली, आईएएनएस। हॉकी विश्व कप 2023 के शुरु होने में कुछ ही दिन बचे हैं। 50 साल से अधिक के हो चुके एफआईएच विश्व कप का इस बार 15वां सीजन खेला जाएगा। 13 जनवरी को ओडिशा में हॉकी विश्व कप अभियान की शुरुआता होगी। इसमें 16 देश ट्रॉफी पर कब्जा करने के लिए मैदान पर उतरेंगी।
भारत दूसरी बार (2018, और 2023) हॉकी विश्व की मेजबानी करेगा। मैच भुवनेश्वर के कलिंग हॉकी स्टेडियम और राउरकेला के बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम में खेले जाएंगे। जहां तक हॉकी के इतिहास का संबंध है तो 1908 लंदन खेलों में पहली बार हॉकी को ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया। हालांकि, हॉकी विश्व कप का इतिहास 1971 में खेले गए पहले संस्करण से काफी नया है।
60 और 70 के दशक में यूरोपिय देशों का रहा वर्चस्व
शुरूआती वर्षों में एशियाई टीमों का काफी हद तक वर्चस्व था। भारत और पाकिस्तान ने ओलंपिक खेलों में पहले 15 स्वर्ण पदकों में से 11 जीते थे। हालांकि, इस खेल को 60 के दशक के अंत और 70 के दशक की शुरूआत में यूरोपीय देशों के बीच वैश्विक लोकप्रियता मिलनी शुरू हुई। घास के मैदान में खेले जाने वाले मैच को सिंथेटिक घास पर खेला जाने लगा।
खेल की बढ़ी हुई लोकप्रियता में एशियाई टीमों को अपने दशकों पुराने खेल शैली को बदलने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। जबकि यूरोपीय टीमों ने तेजी से खेल पर अपना वर्चस्व हासिल कर लिया था। बढ़ती लोकप्रियता और एशियाई वर्चस्व से अचानक हटने के साथ, हॉकी विश्व कप का जन्म 1969 में हुआ था, जो उस समय खेल के लिए एकमात्र अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था।
1969 में हॉकी महासंघ की हुई बैठक
हॉकी विश्व कप का विचार पहली बार मार्च 1969 में अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ परिषद की बैठक में भारत और पाकिस्तान द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तावित किया गया था। उस समय, विश्व कप को एक द्विवार्षिक कार्यक्रम के रूप में प्रस्तावित किया गया था और पाकिस्तान हॉकी महासंघ के प्रमुख एयर मार्शल नूर खान (जिन्हें पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी की अवधारणा के लिए भी श्रेय दिया जाता है) ने पाकिस्तान में होने वाले विश्व कप के उद्घाटन संस्करण का प्रस्ताव रखा था।
विश्व कप के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया था, लेकिन उस समय की दो सबसे सफल हॉकी टीमों भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनावपूर्ण संबंधों के कारण पहला सीजन पाकिस्तान के बजाय स्पेन में खेला गया था। पाकिस्तान एफआईएच विश्व कप के पहले विजेता के रूप में उभरा। फाइनल में स्पेन को 1-0 से हराया। 1971 में पहले विश्व कप के बाद, टूर्नामेंट के अब तक कुल 14 संस्करण हो चुके हैं। जिसमें बहुत सारे रिकॉर्ड बने और टूटे।
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