Himachal News: मैं तो ट्रक चलाता रहा... बेटी जज बन गई, सिमरनजीत की सफलता पर भावुक पिता ने की दिन छू लेने वाली बात
Himachal Pradesh Una News ऊना हिमाचल प्रदेश की सिमरनजीत कौर ने न्यायिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर जज बनकर अपने परिवार का नाम रोशन किया है। एक ट्रक ड्राइवर की बेटी सिमरनजीत की इस सफलता में उनके ताया के बेटे इकबाल का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सिमरनजीत ने प्रतिदिन 15-18 घंटे पढ़ाई करके यह मुकाम हासिल किया।

सतीश चंदन, ऊना। Himachal Pradesh Una News, 'मैं तो ट्रक लेकर गुवाहाटी तक जाता हूं... घर कम आना हो पाता है पर मेरी बेटी ने मुझे आज जिस जगह खड़ा किया है, मैं सोच भी नहीं सकता था। जज सिमरन मेरी बेटी है किंतु उसे इस स्थान पर पहुंचाने में सारा योगदान उसके ताया के बेटे इकबाल का है... मेरी खुशी ने मुझसे शब्द छीन लिए हैं।'
यह कहते हुए बसदेहड़ा गांव के ट्रक चालक अमरीक सिंह फफकने लगते हैं। उनकी प्रसन्नता का कारण यह है कि उनकी पुत्री सिमरनजीत कौर हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण कर जज बन गई है। पुत्री दिवस पर इससे बड़ी खुशी क्या होगी।
सिमरनजीत ने यह सफलता प्रतिदिन 15-18 घंटे पढ़ाई कर पाई है। डाटर्स डे से दो दिन पहले शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश ज्यूडिशियल सर्विसेज परीक्षा का परिणाम घोषित होना सिमरन के परिवार के लिए एक संघर्ष कथा का सुखांतक मोड़ लाया।
मैहतपुर स्कूल में की पढ़ाई
सिमरन ने डीएवी पब्लिक स्कूल मैहतपुर में पहली से 10 जमा दो तक तक पढ़ाई की। फिर पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी की। उसके बाद एलएलएम की पढ़ाई पूरी करने के साथ ही चंडीगढ़ के एक कोचिंग सेंटर से कोचिंग हासिल की। कई अन्य परीक्षाएं दी, सफल हुई लेकिन लक्ष्य न्यायिक सेवा में जाने का था। अब वह मंजिल मिली है।
पिता के चाचा से मिली प्रेरणा
सिमरनजीत कहती हैं, 'न्यायिक सेवा में आने की प्रेरणा मेरे पिता के चाचा तारा सिंह से मिली जो न्यायिक सेवाओं में थे। मेरी सफलता में सर्वाधिक सहयोग ताया योगा सिंह के बेटे इकबाल सिंह व उनकी पत्नी हरप्रीत कौर का है। मैं अपनी सफलता का पूरा श्रेय भगवान के साथ स्व. दादा जागीर सिंह, दादी प्रकाश कौर, स्व. ताया योगा सिंह, तायी दर्शन कौर, पिता अमरीक सिंह व माता अमरजीत कौर को देती हूं।' सिमरनजीत की दो बहनें हरप्रीत कौर व हरविंद्र कौर और भाई पृथपाल सिंह हैं।
शार्टकट से जीवन में कुछ भी नहीं
सिमरन ने कहा कि वह अपनी ड्यूटी को पूरी निष्ठा व न्याय के दायरे में रहकर करेंगी। सिमरन ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि पढ़ो, पढ़ाई से ही सफल हुआ जा सकता है। शार्टकट से जीवन में कुछ भी नहीं होता।
सिमरन की सफलता ने बताया है कि संयुक्त परिवार कितना बड़ा संबल हो सकता है। यह भी कि परस्पर सहयोग, विश्वास और ध्यान लक्ष्य पर हो तो ट्रक चलाने वाले का परिवार भी उस मंजिल तक पहुंच सकता है जो अन्यथा दूर लगती है। उसके ताया के बेटे इकबाल कहते हैं, ' बेटी पढ़ने वाली थी, इसलिए सहायता करना सार्थक हुआ, इस बात का बहुत संतोष है।"
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
- हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा में उत्तीर्ण 19 में 16 महिला अभ्यर्थी
- सिमरन कौर उस ऊना जिले से है, जो 2001 की जनगणना में उन जिलों में था, जहां का बाल लिंगानुपात बेहद खराब 875 था
- उसके बाद प्रयास हुए तो ऊना ने स्थिति सुधारी
- शिक्षा बोर्ड, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय के परीक्षा परिणामों में भी चमकती आई हैं बेटियां
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