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    हिमाचल के फार्मा उद्योगों के दवा सैंपल लगातार हो रहे फेल, 8 महीने का चौंकाने वाला आंकड़ा बढ़ा रहा चिंता; आखिर कहां है चूक

    By Jagran News Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Sun, 21 Dec 2025 12:46 PM (IST)

    हिमाचल के फार्मा उद्योगों में बन रही दवाओं के सैंपल लगातार फेल हो रहे हैं, जिससे चिंता बढ़ रही है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के ड् ...और पढ़ें

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    हिमाचल प्रदेश के फार्मा उद्योग के दवा सैंपल लगातार फेल हो रहे हैं। प्रतीकात्मक फाेटो

    सुनील शर्मा, सोलन। हिमाचल देश के फार्मा उद्योग का बड़ा केंद्र माना जाता है, लेकिन यहां के कुछ उद्योगों में बन रही दवाओं के सैंपल लगातार फेल हो रहे हैं। इससे लोगों के साथ उद्योग जगत की भी चिंता बढ़ रही है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा हर माह जारी किए जाने वाले ड्रग अलर्ट में बार-बार हिमाचल के उद्योगों में बनी दवाओं का नाम सामने आ रहा है।

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    इससे न केवल दवा उद्योग की साख पर असर पड़ रहा है, बल्कि दवा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।

    देशभर की 1333 दवाओं में पाई गई खामियां

    आठ महीने में ही प्रदेश के कई दवा उद्योगों में बनी 419 दवाएं गुणवत्ता के मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं। इसी अवधि में देशभर की 1333 दवाओं में खामियां पाई गईं। ये दवाएं राज्यों से सैंपल लेकर जांच के लिए भेजी गई थीं। इनमें से कई दवाएं लेबल क्लेम, कंटेंट यूनिफार्मिटी, डिसाल्यूशन टेस्ट और अन्य आवश्यक मानकों में फेल पाई गईं।

    हिमाचल के उद्योगों के लिए चंताजनक

    सीडीएससीओ के अलर्ट में बार-बार हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्रों खासकर बद्दी, नालागढ़, पांवटा साहिब और कालाअंब में बनी दवाओं का नाम शामिल होना चिंताजनक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि दवा निर्माण इकाइयों की नियमित और सख्त जांच के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में दवाओं का फेल होना कहीं न कहीं निगरानी तंत्र की कमजोरी को दर्शाता है।

    इन उद्योगों के सैंपल बार-बार फेल

    बद्दी में स्थित मार्टिन एंड ब्राउन उद्योग के इस माह दो सैंपल फेल मिले हैं। एक सैंपल अक्टूबर में फेल पाया था। वहीं विंगस बायोटेक उद्योग बद्दी का लगातार दोनों महीनों में सैंपल फेल मिला है। बद्दी के फार्मारूट उद्योग की दवा का सैंपल सितंबर व नवंबर में फेल मिला है। सिरमौर जिले के जी लैबोरेट्री उद्योग का सैंपल लगातार फेल होता आ रहा है। 

    सिरमौर जिले के ही लैबोरेट फार्मा व अथेंस लाइफ के सैंपल भी फेल मिल रहे हैं। नवंबर में उत्तराखंड के रुड़की स्थित यक्का लाइफ साइंस उद्योग में एक साथ 16 सैंपल फेल मिले हैं। यह अलग-अलग दवाओं के सैंपल हैं।

    उठ रहे सवाल

    सवाल यह उठ रहा है कि यदि कंपनियों में समय पर और प्रभावी निरीक्षण हो रहा है तो फिर बाजार तक खराब दवाएं कैसे पहुंच रही हैं। जानकारों का कहना है कि केवल ड्रग अलर्ट जारी करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि दोषी कंपनियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई, लाइसेंस निलंबन और जुर्माने जैसे कदम उठाने की जरूरत है। इस मामले में दवा प्राधिकरण की जिम्मेदारी और जवाबदेही पर चर्चा तेज हो गई है।

    क्या कहते हैं दवा नियंत्रक

    प्रदेश में निर्मित जो भी दवाएं ड्रग अलर्ट में फेल पाई गई हैं उनकी सूची सीडीएससीओ की वेबसाइट पर दर्शाई गई है। हमारा सभी से आग्रह है कि फेल हुई दवाओं का इस्तेमाल न करें।
    -मनीष कपूर, दवा नियंत्रक हिमाचल।

    लापरवाही पर सस्पेंड हो लाइसेंस

    प्रदेश में निर्मित दवाओं के बार-बार सैंपल फेल होने की सूचना सामने आती है। हालांकि ये दवाएं अभी जांच के अधीन होती हैं। ऐसे में यह कहना ठीक नहीं होगा कि सभी दवाएं फेल ही हों। दवाओं के लिए उचित वातावरण चाहिए होता है। कई बार परिवहन के दौरान तो कई बार मेडिकल स्टोर पर भी लापरवाही हो जाती है। हालांकि अब कुछ उद्योगों में नकली दवाएं बन रही हैं जो गंभीर मामला है। ऐसे मामलों की समय-समय पर जांच की जानी चाहिए। जो दवा उद्योग उत्पादन में कोताही बरत रहे हैं उनके लाइसेंस सस्पेंड करने चाहिए।
    -संजय शर्मा, प्रवक्ता हिमाचल ड्रग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन। 

    आठ माह में फेल हुई दवाएं

    • माह    हिमाचल    देश
    • अप्रैल    57    196
    • मई    50    186
    • जून    59    185
    • जुलाई    60    143
    • अगस्त    38    94
    • सितंबर    49    113
    • अक्टूबर    66    211
    • नवंबर    49    205

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    सुनील शर्मा, सोलन। हिमाचल देश के फार्मा उद्योग का बड़ा केंद्र माना जाता है, लेकिन यहां के कुछ उद्योगों में बन रही दवाओं के सैंपल लगातार फेल हो रहे हैं। इससे लोगों के साथ उद्योग जगत की भी चिंता बढ़ रही है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा हर माह जारी किए जाने वाले ड्रग अलर्ट में बार-बार हिमाचल के उद्योगों में बनी दवाओं का नाम सामने आ रहा है। इससे न केवल दवा उद्योग की साख पर असर पड़ रहा है, बल्कि दवा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।
    देशभर की 1333 दवाओं में पाई गई खामियां
    आठ महीने में ही प्रदेश के कई दवा उद्योगों में बनी 419 दवाएं गुणवत्ता के मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं। इसी अवधि में देशभर की 1333 दवाओं में खामियां पाई गईं। ये दवाएं राज्यों से सैंपल लेकर जांच के लिए भेजी गई थीं। इनमें से कई दवाएं लेबल क्लेम, कंटेंट यूनिफार्मिटी, डिसाल्यूशन टेस्ट और अन्य आवश्यक मानकों में फेल पाई गईं।

    हिमाचल के उद्योगों के लिए चंताजनक
    सीडीएससीओ के अलर्ट में बार-बार हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्रों खासकर बद्दी, नालागढ़, पांवटा साहिब और कालाअंब में बनी दवाओं का नाम शामिल होना चिंताजनक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि दवा निर्माण इकाइयों की नियमित और सख्त जांच के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में दवाओं का फेल होना कहीं न कहीं निगरानी तंत्र की कमजोरी को दर्शाता है।

    इन उद्योगों के सैंपल बार-बार फेल
    बद्दी में स्थित मार्टिन एंड ब्राउन उद्योग के इस माह दो सैंपल फेल मिले हैं। एक सैंपल अक्टूबर में फेल पाया था। वहीं विंगस बायोटेक उद्योग बद्दी का लगातार दोनों महीनों में सैंपल फेल मिला है। बद्दी के फार्मारूट उद्योग की दवा का सैंपल सितंबर व नवंबर में फेल मिला है। सिरमौर जिले के जी लैबोरेट्री उद्योग का सैंपल लगातार फेल होता आ रहा है। 

    सिरमौर जिले के ही लैबोरेट फार्मा व अथेंस लाइफ के सैंपल भी फेल मिल रहे हैं। नवंबर में उत्तराखंड के रुड़की स्थित यक्का लाइफ साइंस उद्योग में एक साथ 16 सैंपल फेल मिले हैं। यह अलग-अलग दवाओं के सैंपल हैं।

    उठ रहे सवाल
    सवाल यह उठ रहा है कि यदि कंपनियों में समय पर और प्रभावी निरीक्षण हो रहा है तो फिर बाजार तक खराब दवाएं कैसे पहुंच रही हैं। जानकारों का कहना है कि केवल ड्रग अलर्ट जारी करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि दोषी कंपनियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई, लाइसेंस निलंबन और जुर्माने जैसे कदम उठाने की जरूरत है। इस मामले में दवा प्राधिकरण की जिम्मेदारी और जवाबदेही पर चर्चा तेज हो गई है।

    प्रदेश में निर्मित जो भी दवाएं ड्रग अलर्ट में फेल पाई गई हैं उनकी सूची सीडीएससीओ की वेबसाइट पर दर्शाई गई है। हमारा सभी से आग्रह है कि फेल हुई दवाओं का इस्तेमाल न करें।
    मनीष कपूर, दवा नियंत्रक हिमाचल।

    प्रदेश में निर्मित दवाओं के बार-बार सैंपल फेल होने की सूचना सामने आती है। हालांकि ये दवाएं अभी जांच के अधीन होती हैं। ऐसे में यह कहना ठीक नहीं होगा कि सभी दवाएं फेल ही हों। दवाओं के लिए उचित वातावरण चाहिए होता है। कई बार परिवहन के दौरान तो कई बार मेडिकल स्टोर पर भी लापरवाही हो जाती है। हालांकि अब कुछ उद्योगों में नकली दवाएं बन रही हैं जो गंभीर मामला है। ऐसे मामलों की समय-समय पर जांच की जानी चाहिए। जो दवा उद्योग उत्पादन में कोताही बरत रहे हैं उनके लाइसेंस सस्पेंड करने चाहिए।
    - संजय शर्मा, प्रवक्ता हिमाचल ड्रग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन। 

    आठ माह में फेल हुई दवाएं
    माह    हिमाचल    देश
    अप्रैल    57    196
    मई    50    186
    जून    59    185
    जुलाई    60    143
    अगस्त    38    94
    सितंबर    49    113
    अक्टूबर    66    211
    नवंबर    49    205