कसौली में तैयार होंगी जीवनरक्षक सीरम, सर्पदंश और रैबीज से बचाव में होंगी कारगर; GMP स्टैंडर्ड लैब को मिली मंजूरी
CRI Kasauli Lab केंद्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली में अब जीवनरक्षक एंटी सीरम का उत्पादन जीएमपी मानकों के तहत होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 283 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। यहाँ सर्पदंश और रेबीज के लिए एंटी सीरम का उत्पादन होगा जिससे देशभर में इसकी आपूर्ति सुलभ होगी। वर्तमान में संस्थान पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर में ही एंटी सीरम का निर्माण कर रहा है।

मनमोहन वशिष्ठ, सोलन। केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (सीआरआई) कसौली में अब महत्वपूर्ण जीवनरक्षक एंटी सीरम का उत्पादन पुरानी प्रयोगशालाओं की जगह जीएमपी मानकों के अंतर्गत नई प्रयोगशालाओं में होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके 283 करोड़ के प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। सर्पदंश और रैबीज के लिए बड़े पैमाने पर सीरम का उत्पादन होगा।
सर्पदंश व कुतों के काटे जाने के इलाज के लिए एंटी स्नेक वेनम सीरम व एंटी रेबीज सीरम काम करता है। इसका अब बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा। इस कारण देशभर में इसकी भरपूर सप्लाई संभव हो पाएगी।
गौरतलब है कि संस्थान के रिसर्च एंड ट्रेनिंग विंग (आरएंडटीविंग) में स्थित एंटी सीरा सेक्शन में अभी तक पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर में एंटी सीरम का निर्माण किया जा रहा है। पिछले कई सालों से सीरम का उत्पादन जीएमपी मानकों के अनुरूप करने के लिए कवायद चली हुई है।
सीआरआई ने एंटी सीरा प्रयोगशाला व एलाइड फेसिलिटी को जीएमपी के मानकों के अनुरूप तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट बनाकर स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा था। जिसको अब मंजूरी मिलते ही जीएमपी मानकों के तहत प्रयोगशाला का निर्माण होगा।
283 करोड़ के प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी
सीआरआई में डीपीटी ग्रुप ऑफ वैक्सीन का उत्पादन जीएमपी (गुड मेन्यूफेक्चरिंग प्रेक्टिस) के मानकों के अनुसार होने के बाद अब जल्द ही एंटी सीरा का उत्पादन भी जीएमपी मानकों के तहत शुरू करने के लिए कवायद शुरू हो गई है। संस्थान के आरएंडटी विंग में स्थित एंटी सीरा प्रयोगशाला को भी जीएमपी मानकों के अनुरूप लाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया था। 283 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। वर्तमान में संस्थान की एंटी सीरा प्रयोगशाला सीजीएमपी के मानकों के अनुरूप नहीं है जो अब पूरी तरह सीजीएमपी के तहत बन जाएगी।
संस्थान में इन सीरम का होता है उत्पादन
संस्थान की एंटी सीरा लैब में एंटी स्नेक वेनम सीरम, एंटी रेबीज सीरम, एंटी डीप्थिरिया टॉक्सिन सीरम व नॉर्मल हॉर्स सीरम का निर्माण पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर में ही हो रहा है। एंटी सीरम विष प्रतिरोधक व बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है। सीरम में रोगाणु के खिलाफ रेडीमेड एंटी बॉडी होते हैं, जो रोगियों को देते ही काम करना शुरू कर देते हैं। संस्थान में 1905 से ही सीरम का निर्माण किया जा रहा है।
केंद्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से 283 करोड़ के एंटी सीरा प्रोजेक्ट को सीजीएमपी के तहत सैंद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। अभी तक पुरानी प्रयोगशालाओं में ही कई तरह के महत्वपूर्ण एंटी सीरमों का उत्पादन हो रहा है। पिछले कुछ समयसे इस प्रोजेक्ट को लेकर संस्थान व स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच प्रक्रिया चली हुई थी।
-डॉ. यशवंत कुमार, सहायक निदेशक व पीआरओ सीआरआई कसौली।
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