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Tiger in Nahan: हिमाचल की सीमा में बार-बार दिख रहा है टाइगर, सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई तस्वीर

प्रदेश के नेशनल पार्क में जनवरी माह में पहली बार टाइगर के पद चिन्ह वर्ल्ड लाइफ टीम को मिले थे। उसके बाद 12 फरवरी को जंबूखाला के समीप एक व्यक्ति द्वारा टाइगर का वीडियो बनाने का दावा किया गया था। इसके बाद से वन विभाग की टीम ने पांवटा साहिब के कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क में 6 सीसीटीवी कैमरे टाइगर को ट्रैप करने के लिए लगाए थे।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaPublished: Fri, 25 Aug 2023 06:40 PM (IST)Updated: Fri, 25 Aug 2023 06:40 PM (IST)
हिमाचल की सीमा में सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई टाइगर की तस्वीर

नाहन, जागरण संवाददाता। Tiger in Sirmaur: हिमाचल प्रदेश में यमुना नदी (Yamuna River in Himachal) के किनारे स्थित पांवटा साहिब के कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क  (Sherjung National Park) सिंबलवाड़ा में एक बार फिर से टाइगर की चहलकदमी शुरू हो गई है। प्रदेश के नेशनल पार्क में जनवरी माह में पहली बार टाइगर के पद चिन्ह वर्ल्ड लाइफ टीम को मिले थे। उसके बाद 12 फरवरी को जंबूखाला के समीप एक व्यक्ति द्वारा टाइगर का वीडियो बनाने का दावा किया गया था। इसके बाद से वन विभाग की टीम ने पांवटा साहिब के कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क में 6 सीसीटीवी कैमरे टाइगर को ट्रैप करने के लिए लगाए थे।

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19 फरवरी को पहली बार दिखा था

19 फरवरी की रात को वन विभाग के कमरे में टाइगर पहली बार ट्रैप हुआ। जिला सिरमौर के पांवटा साहिब उपमंडल में कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क सिंबलवाड़ा करीब 20 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसकी सीमा उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क कलसी तथा हरियाणा के कलेसर नेशनल पार्क के साथ लगती है।

कयास लगाए जा रहे हैं कि हाथियों के झुंड की तरह भी टाइगर भी उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क से यमुना नदी में पानी का स्तर कम होने पर शिकार के लिए बार-बार पांवटा साहिब घाटी में पहुंच रहा है। जनवरी-फरवरी के बाद अगस्त माह में भी टाइगर की चहलकदमी से वर्ल्ड लाइफ की टीम काफी खुश है।

1970 के दशक में इसे नेशनल पार्क का दर्जा

बता दें कि जिला सिरमौर में तेंदुए तो काफी संख्या में पाए जाते हैं। मगर जब से वर्ल्ड लाइफ की टीम ने टाइगर को कमरे में कैद किया है, तब से वर्ल्ड लाइफ की टीम काफी उत्साहित नजर आ रही है। उत्तराखण्ड के राजाजी नेशनल पार्क से हाथियों के झुंड तो अक्सर पांवटा साहिब घाटी में आते जाते रहते हैं। जो यहां पर किसानों की फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

कई बार तो हाथियों के झुंड गांव तक पहुंच जाते हैं। मगर अब टाइगर की चहल कदमी से लोगों में भी खुशी की लहर है। कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क सिंबलवाड़ा 1958 में सेंचुरी के रूप में अस्तित्व में आया था। 1970 के दशक में इसे नेशनल पार्क का दर्जा मिला था।

और भी प्राणी रहते हैं

इस पार्क में गोल, सांभर, चीतल, मोर, हिरण तथा कई तरह के वन्य प्राणी रहते हैं। जिनका शिकार करने के लिए अब टाइगर बार-बार नेशनल पार्क में आ रहा है। उधर जब इस संदर्भ में वाइल्डलाइफ शिमला के डीएफओ एन रविशंकर से बात की, तो उन्होंने बताया कि हिमाचल में टाइगर का आना अच्छा संकेत है। अच्छी बात तो यह है कि टाइगर शिकार तथा घूमने के लिए हिमाचल के नेशनल पार्क सिंबलवाड़ा का प्रयोग कर रहा है।


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