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    Year Ender 2024: क्रॉस वोटिंग से लेकर CM सुक्खू का समोसा, सियासी मायनों में हिमाचल के लिए कैसा रहा यह साल?

    हिमाचल प्रदेश की राजनीति में इस साल कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले। साल की शुरुआत में भाजपा ने राजनीतिक जाल बिछाकर बढ़त बनाई लेकिन साल के अंत तक उनका यह दांव उल्टा पड़ गया। कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई का फायदा उठाने वाली भाजपा खुद गुटबाजी में फंस गई। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश करने वाली भाजपा खुद अपने बुने हुए जाल में फंस गई।

    By Anil Thakur Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 27 Dec 2024 07:00 AM (IST)
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    हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (जागरण फोटो)

    राज्य ब्यूरो, शिमला। Year Ender 2024: वर्ष 2024 समाप्ति की ओर है। सियासी मायनों में ये साल हिमाचल के लिए कई मायनों में खास रहा। हिमाचल की राजनीति में मंझे हुए नेताओं को भी कई नए अनुभव ये साल सीखा गया। इस दौरान कई सियासी घटनाएं ऐसी घटित हुई जो इतिहास के पटल पर हमेशा के लिए अंकित हो गई है।

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    चाहे राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की बात हो या फिर राजनीतिक संकट। भाजपा ने साल के शुरुआत में राजनीतिक जाल बिछाकर आगे बढ़ी, लेकिन साल के अंत तक उनका यह दांव उल्टा पड़ गया।

    या यूं कहें कि अपने ही बुने जाल में भाजपा फंसती हुई नजर आ रही है। कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई का साल के शुरुआत में विपक्ष ने फायदा उठाया, साल के अंत तक आते वह खुद भी गुटबाजी में फंस गई। 

    भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को फंसाने की कोशिश

    धर्मशाला में संपन्न हुआ विधानसभा का शीतकालीन सत्र इसका ताजा उदाहरण है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही भाजपा खुद अपने बुने हुए जाल में फंसकर रह गई। भाजपा विधायक दल ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चर्चा के दौरान ऐसे मामले उठाए जो पूर्व जयराम सरकार के समय के थे।

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    नियम-67 के तहत भाजपा की ओर से भ्रष्टाचार पर लाए काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा को स्वीकार कर मुख्यमंत्री शुरुआत में ही भाजपा को बैकफुट पर ला चुके थे, चर्चा जैसे-जैसे आगे बढ़ी मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भ्रष्टाचार के कच्चे चिट्ठे की पोल खोलकर विपक्ष को धराशायी कर दिया।

    मुख्यमंत्री खुद फ्रंटफुट पर रहे और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और कांग्रेस विधायक दल का उन्हें पूरा बैकअप मिला। सीएम ने पूर्व सरकार के समय हुई कारगुजारियों की एक-एक कर पोल खोली।

    जयराम ठाकुर अपने समय के कारनामे सामने आने पर चुप्पी साधे रहे। भाजपा प्रदेश सरकार के दो साल के कार्यकाल के तथाकथित भ्रष्टाचार के आरोपों का कोई दस्तावेज तथ्यों के साथ विधानसभा में सदन पटल पर नहीं रख पाई, जिससे विपक्ष की और किरकिरी हुई।

    गुटों में बंटने का दावं पड़ा उल्टा

    भाजपा कांग्रेस पर हमेशा यही आरोप लगाता रहा है कि वह कई धड़ों में बंट गई है। इस बार यह दाव भी उन पर उलटा पड़ा। कांग्रेसी से नए-नए भाजपाई बने कुछ नेताओं से भी भाजपा के पुराने नेता असहज महसूस कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इसको लेकर भी विपक्ष पर तीखे हमले बोले।

    प्रदेश भाजपा के नेताओं का अलग-अलग गुटों में दिल्ली जाकर अपने राष्ट्रीय नेताओं से बार-बार मिलना है। कांग्रेसी से भाजपाई बने नए नेता भाजपा पर कब्जा जमाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे, अब वह पार्टी में प्रमुख पद पाने की जुगत में लगे हैं।

    फर्जी पत्र पर भाजपा विधायक को माफ किया

    भाजपा ने विधानसभा में जिस पत्र बम का ज़िक्र किया, उसमें भाजपा विधायक (जनक राज) का कार्यालय संलिप्त पाया गया है। विपक्ष के दोबारा मुद्दा उछालने पर मुख्यमंत्री ने विपक्ष को खूब धोया।

    मुख्यमंत्री ने केसीसी बैंक की वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी पर भाजपा की बखियां उधेड़ दीं। केसीसी बैंक ने पूर्व भाजपा सरकार में वन टाइम स्टेटमेंट पॉलिसी 9 सितंबर 2022 से 9 सितंबर 2023 तक एक साल के लिए शुरू की थी। 

    ये मुद्दे भी रहे खास

    इसी बीच कुछ ऐसे मुद्दे भी सामने आए जिससे हिमाचल की राजनीति खूब चर्चा का विषय रही। फिर वह सीएम सुक्खू के समोसे की सीआईडी जांच हो, टॉयलेट सीटपर टैक्स हो या फिर जंगली मुर्गा। इन मुद्दों पर भी जमकर सियासत हुई। विपक्षियों ने जमकर सुक्खू सरकार को इन मुद्दों पर घेरने की कोशिश की और ये मुद्दे सुर्खियों का भी विषय रहे।

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