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    हिमाचल की नदियों में बहकर आई लकड़ी की वन विभाग ने पूरी की जांच, अब सुप्रीम कोर्ट में रखेंगे पक्ष; जानिए रिपोर्ट में क्या?

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 06:05 PM (IST)

    Wood in Himachal River हिमाचल प्रदेश की नदियों में लकड़ियों के बहने की जांच पूरी हो गई है। रिपोर्ट में चंबा और कुल्लू में अवैध कटान नहीं पाया गया बल्कि बाढ़ और भूस्खलन को कारण बताया गया है। वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंप दी है जिसमें प्राकृतिक आपदाओं से लकड़ी बहने की बात कही गई है।

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    हिमाचल की नदियों में बहकर आई लकड़ी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद जांच की गई है।

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश की नदियों में बहकर आई लकड़ी पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद वन विभाग ने जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि चंबा जिला के रावी व कुल्लू जिला के ब्यास नदी में जो लड़कियां बहकर आई थीं वह बाढ़ व भूस्खलन के कारण आई थी।

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    चंबा व कुल्लू जिला में कोई अवैध कटान नहीं हुआ है। वन विभाग ने दोनों मामलों की जांच पूरी कर दी है। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट वन बल प्रमुख संजय सूद को सौंप दी है।

    रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि कोई अवैध कटान नहीं हुआ है। इस रिपोर्ट के आधार पर वन विभाग सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखेगा। वन विभाग ने रावी नदी में बहकर आई लकड़ियों की जांच के लिए समिति गठित की थी।

    अरण्यपाल चंबा राकेश कुमार की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में डीसीएफ चंबा कृतज्ञ कुमार, डीएफओ डलहौजी रजनीश महाजन, डीएम वन निगम चंबा रघुराम के अलावा तीन जन प्रतिनिधि सीमा (पार्षद, सुल्तानपुर वार्ड, नगर परिषद चम्बा), गरीबो देवी (प्रधान, ग्राम पंचायत मंगला) शामिल थे।

    रावी नदी में आरी से कटा एक भी स्लीपर व लकड़ी नहीं मिली

    जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि रावी नदी में बहकर आयी लकड़ी का कारण केवल प्राकृतिक आपदाएं हैं। अगस्त और सितंबर में औसत से क्रमशः 89 और 138 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई। इस कारण भूस्खलन, नदी किनारों का कटाव, बादल फटना और जलाशयों से निकासी जैसी परिस्थितिया बनीं। इन्हीं कारणों से बड़े पैमाने पर पेड़ उखड़ कर नदी में आए।

    समिति ने स्पष्ट किया कि स्थल पर कोई आरी से कटी हुई लकड़ी, स्लीपर या तैयार माल नहीं मिला। ऊपरी क्षेत्रों में चल रहे कुछ साल्वेज लॉट की लकड़ी भारी वर्षा से बह गई हो सकती है, परंतु अब तक कोई आरी से कटी हुई लकड़ी नीचे नदी में नहीं मिली है।

    शीतला पुल के 177 लट्ठे बरामद

    चंबा के शीतला पुल के समीप कुल 177 लट्ठे (174.31 घन मीटर) बरामद किए गए जिनमें देवदार, कैल, फर, स्यूस, चीड़, कुनिश और पॉपुलर जैसी प्रजातियां शामिल थीं। सभी लकड़ियां प्राकृतिक रूप से उखड़ी हुई और अनियमित आकार में पाई गई।

    यह घटना अत्यधिक वर्षा, भौगोलिक नाजुकता और भूस्खलन का परिणाम है, न कि किसी अवैध कटान की गतिविधि का। रिपोर्ट में बताया गया कि बरामद की गयी लकड़ी को वन विकास निगम लिमिटेड को सौंपा जा रहा है।

    कुल्लू में ब्यास नदी में भी नहीं मिला अवैध कटान का सबूत

    कुल्लू जिला के ब्यास में बहकर आई लकड़ियां भी अवैध कटान की नहीं थी। वन विभाग की जांच रिपोर्ट के अनुसार कुल्लू जिला में जून से सितंबर 2025 के दौरान, विशेषकर गडसा व सैंज घाटी के जीवा नाले में अप्रत्याशित बादल फटने और अचानक आई बाढ़ की घटनाएं दर्ज की गई। उक्त घाटियों में 20,000 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र, महत्वपूर्ण अवसंरचना और नदी तंत्र गंभीर रूप से प्रभावित हुए। लकड़ियों के लठ्ठे और मलबा बादल फटने से उत्पन्न बाढ़, मिट्टी का संतृप्त होना और भूस्खलन के कारण नदी में पहुंचा।

    लगातार भूस्खलन और बाढ़ के कारण बहुत से वृक्षों को क्षति पहुंची और बाढ़ के अचानक तीव्र वेग में यह उखड़े हुए वृक्ष और कई वर्ष से पुराने प्राकृतिक रूप से गिरे पड़े लकड़ी के लड़कों, मोटी टहनियों के टुकड़े व जंगलों में पड़ी हुई अमितव्ययी सालवेज लकड़ी व सूखी लकड़ी बड़ी मात्रा में नदी में बह कर आई। इसमें कोई अवैध कटान नहीं हुआ है।

    रिपोर्ट में बताया कि जिला में मौसमी वर्षा सामान्य से अत्यधिक रही (राज्य 40 प्रतिशत अधिक, जबकि कुल्लू में स्थानीय स्तर पर 165 प्रतिशत अधिक वर्षा) हुई। जिससे बाढ़ की आवृत्ति और तीव्रता बहुत अधिक रही और जंगलों का पुराना मलबा, नदी व नालों के किनारे पर उगे हुए कई वृक्ष व सूखी लकड़ी बड़ी मात्रा में नदी में बह गई।

    यह कहा रिपोर्ट में

    रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य में मानसून के दौरान लगभग 19 बादल फटने और 23 अचानक आई बाढ़ की घटनाएं दर्ज की गई। 24-25 जून को कुल्लू में मात्र 24 घंटे में 4 बादल फटने की घटनाएं रिपोर्ट की गई। टीम ने स्थल निरीक्षण, पंचायत प्रतिनिधियों और स्थानीय समुदायों के बयान भी दर्ज किए। इसमें अवैध कटान के कोई प्रमाण नहीं मिले।

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    रिपोर्ट में कहा है कि संरक्षित क्षेत्रों में वाणिज्यिक कटान पर पूर्ण प्रतिबंध है, नदियों में पड़ी लकड़ी संरक्षण नीति का स्वाभाविक परिणाम है। निरीक्षण दलों एवं स्थानीय समुदायों ने पुष्टि की कि प्रभावित क्षेत्रों में नए ठूंठ या कटान के प्रमाण नहीं मिले। अब तक 126.792 घन मीटर बहाव अकड़ी एकत्रित की जा चुकी है। प्राकृतिक आपदा प्रभाव: 20,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। मलबा बहाव मिट्टी के कटाव और पुल/डीआरएमएस ढहने के कारण हुआ।

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