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    Himachal news: एम्स में पहली बार की गई वीएटीएस तकनीक से फेफड़े के ट्यूमर की सर्जरी, सफल रहा ऑपरेशन

    Updated: Sat, 15 Feb 2025 02:56 PM (IST)

    एम्स बिलासपुर में वीएटीस तकनीक से एक मरीज के फेफड़े के ट्यूमर का सफल इलाज किया गया। इसे मील का पत्थर माना जा रहा है। आंकोलोजी विभाग के डॉ. चित्रेश शर्मा ने यह ऑपरेशन किया। दरअसल वीएटीएस एक ऐसी सर्जरी है जिसके जरिए छाती के अंदर की समस्या के लिए वीडियो कैमरे और विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता है। इस प्रकिया से दर्द और सूजन भी कम होती है।

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    बिलासपुर स्थित एम्स अस्पताल की तस्वीर (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, बिलासपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर में पहली बार वीडियो असिस्टेड थोरेसिक सर्जरी (वीएटीएस) तकनीक से एक मरीज के फेफड़े के ट्यूमर का सफल ऑपरेशन किया गया।

    नाया मील का पत्थर माना जा रहा सफल ऑपरेशन

    ट्यूमर की बीमारी से ग्रसित यह मरीज कुछ माह पूर्व ही एम्स बिलासपुर पहुंचा था। एम्स के आंकोलोजी विभाग के डॉ. चित्रेश शर्मा ने यह ऑपरेशन किया। संस्थान की ओर से यह सफल ऑपरेशन स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर माना जा रहा है। सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति स्थिर है और रिकवरी हो रही है।

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    यह है एक नई शुरुआत

    इस सफल ऑपरेशन को एम्स बिलासपुर और हिमाचल प्रदेश में चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा
है। पहले पीजीआई व दिल्ली एम्स में यह सुविधा थी। विशेषज्ञों का मानना है कि वीएटीएस के माध्यम से फेफड़े के ट्यूमर की सर्जरी
में यह सफलता भविष्य में इस प्रकार के और ऑपरेशनों का मार्ग प्रशस्त करेगी। डॉ. चित्रेश ने कहा कि वीएटीएस जैसी आधुनिक सर्जिकल तकनीकों का समावेश मरीजों के लिए बेहतर रहेगा और हिमाचल में स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर को बढ़ाएगा।

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    क्या है वीएटीएस सर्जरी

    वीडियो असिस्टेड थोरेसिक सर्जरी (वीएटीएस) एक प्रकार की सर्जरी है, जिसमें छाती के अंदर की समस्या का उपचार करने के लिए वीडियो कैमरे और विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में, सर्जन छाती के अंदर एक छोटे से चीरे में एक वीडियो कैमरा डालते हैं, जो छाती के अंदर की तस्वीरें लेता है। इसके बाद, सर्जन वीडियो स्क्रीन पर दिखाई देने वाली तस्वीरों को देखकर छाती के अंदर की समस्या का उपचार करते हैं।

    वीएटीएस के लाभ

    छोटे चीरे लगाने से दर्द और सूजन कम होती है l अस्पताल में रहने की अवधि कम होती है l जल्दी ठीक होने की संभावना अधिक होती है l जटिलताओं का जोखिम कम होता है। फेफड़ों के ट्यूमर, फेफड़ों की सूजन, छाती के अंदर की चोटें और फेफड़ों की बीमारियों के लिए इस तकनीक का उपयोग किया जाता है।

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