ऊंचे-ऊंचे पहाड़... घने जंगलों के बीच फैला मखमली हरी घास का मैदान; आइए करते हैं कुल्लू के बागासराहन की सैर
अगर आप घूमने का प्लान बना रहे हैं और हिमाचल प्रदेश की सैर करना चाहते हैं तो हम आपकी मदद करते हैं। आज हम आपको कुल्लू के बागासराहन की सैर पर ले चलते हैं। जहां चारों ओर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ हैं मखमली घाय के मैदान हैं। यहां आकर शांति का एहसास होता है। यहां की सुंदरता इतनी मनोरम है कि मन आह्लादित हो जाता है। तो आइए जानते हैं कुछ विशेषताएं।

दविंद्र ठाकुर, कुल्लू। चारों ओर ऊंचे-ऊंचे पहाड़, घने जंगल के बीच 140 बीघा भूमि में फैला मखमली हरी घास का मैदान। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में समुद्रतल से 2086 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बागासराहन में कुछ ऐसा ही नजारा मन को सुकून देता है। बागासराहन मैदान के बीचों-बीच बहती सर्पनुमा बागा नहर इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देती है।
आप करते हैं प्रकृति से प्रेम, तो बागासराहन घूमने जरूर आएं
अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं और हिमाचल घूमने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो कुल्लू जिले के निरमंड खंड के तहत आता पर्यटनस्थल बागासराहन आपके लिए सबसे उपयुक्त रमणीय स्थल साबित होगा। शिमला और कुल्लू से यहां पहुंचा जा सकता है। यहां गांव के बीच विशाल मैदान खेतों, जल धाराओं, झरनों से घिरा हुआ है। बर्फ से ढकी पहाड़ियां आनंदित कर देती हैं।
बागासराहन से बाशलेऊ दर्रे तक ट्रैकिंग भी कर सकते हैं। नौ किलोमीटर लंबे इस ब्रिटिशकालीन ट्रैक पर अब दो इलेक्ट्रिक गोल्फ कार्ट सफर को सुहाना बना रहे हैं।
यहां साहसिक गतिविधियों का आनंद भी उठा सकते हैं। हाल ही में पैराग्लाइडिंग का सफल ट्रायल हुआ है। यहां पर पंचायत की ओर से ठहरने के लिए गेस्ट हाउस, शौचालय सहित अन्य सुविधाएं जुटाई गई हैं।
कैसे पहुंचें बागासराहन, शिमला से बस में लगते हैं 10 घंटे
शिमला से बागासराहन 176 किलोमीटर दूर है। शिमला से नारकंडा लगभग 63 किलोमीटर दूर, फिर निरमंड लगभग 28 किलोमीटर दूर। वहां से बागीपुल होते हुए लगभग 12 किलोमीटर की दूरी तयकर एक संकरी सड़क पहाड़ों के बीच बसे बागासराहन तक ले जाती है।
शिमला से बस में लगभग 10 घंटे का सफर है। निजी वाहन से भी पहुंचा जा सकता है। रास्ते में कई रमणीय स्थल हैं जो यात्रा को यादगार बनाते हैं। कुल्लू से बागासराहन जाने के लिए हवाई मार्ग से भुंतर एयरपोर्ट पहुंच सकते हैं। यहां से बस या कार में 190 किलोमीटर दूर बागासराहन पहुंच सकते हैं।
आसपास यहां घूमें
बागासराहन से ट्रैकिंग कर बश्लेऊ जोत (दर्रा) जा सकते हैं। इसके अलावा वहां होकर बठाहड बंजार, आनी भी पहुंचा जा सकता है। रास्ते में जलोड़ी दर्रा, सोझा, तीर्थन घाटी, जिभी, शांघड़, सरयोलसर और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क आदि कई रमणीय स्थल आते हैं।
ऋषि जलांडी जो मानसरोवर में जल से उत्पन्न हुए थे इसलिए उनका नाम जल अंडी पड़ा अर्थात जल से उत्पन्न, के दर्शन भी कर सकते हैं। झरने की सैर भी कर सकते हैं जो कैंपसाइट से थोड़ी ही दूरी पर है। यहां पर लोग सालभर जा सकते हैं। जब बहुत अधिक हिमपात होता है तभी कुछ दिन के लिए यहां रास्ते बंद हो जाते हैं।
खाने-पीने व ठहरने की व्यवस्था, खरीद सकते हैं हाथ से बने स्वेटर, जुराब, मफलर
बागासराहन में खाने पीने व ठहरने की उचित व्यवस्था है। बागासराहन में लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में भी ठहर सकते हैं। यहां पर होटल, होम स्टे में भी रातें गुजार सकते हैं। खाने में स्थानीय डिश सिड्डू, घी वाले दाल-चावल का स्वाद चख सकते हैं। यहां पर हाथों से निर्मित गर्म जुराबें, स्वेटर व मफलर की खरीदारी कर सकते हैं।
कुल्लू पर्यटन विभाग की जिला पर्यटन विकास अधिकारी सुनयना शर्मा ने बताया कि अनछुए पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए पहल की जा रही है। बागासराहन में अधिक से अधिक पर्यटक आएं। इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
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