शिमला में जमीन धंसने की वजह आई सामने, केंद्रीय विशेषज्ञों की टीम ने सौंपी रिपोर्ट; 3 जगह अत्याधिक संवेदनशील
शिमला में ढली-कैथलीघाट फोरलेन निर्माण के दौरान जमीन धंसने की घटनाओं की जांच रिपोर्ट में केंद्रीय टीम ने पाया कि अत्यधिक कटिंग और ढलानों से छेड़छाड़ के ...और पढ़ें

शिमला में जमीन धंसने से बस फंस गई थी। जागरण आर्काइव
जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला में जमीन धंसने के मामले में जांच रिपोर्ट आ गई है। ढली-कैथलीघाट फोरलेन निर्माण के दौरान लगातार सामने आ रही दरारों, भूस्खलन और स्थानीय इलाकों में जमीन खिसकने की शिकायतों के बीच केंद्र से आई दो सदस्यीय विशेषज्ञ टीम ने अपनी रिपोर्ट उपायुक्त शिमला को सौंप दी है।
वरिष्ठ भू-विज्ञानियों की टीम ने ढली और आसपास के क्षेत्रों में विस्तृत सर्वे किया है। टीम ने रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि कुछ स्थानों पर अत्यधिक कटिंग और ढलानों से छेड़छाड़ होने के कारण भूमि की स्थिरता प्रभावित हुई है।
रिपोर्ट में पाया गया कि तीन जगह अत्यधिक संवेदनशील हैं, जहां ढलान के खिसकने व भूस्खलन का खतरा लगातार बढ़ रहा है।
तकनीकी सुरक्षा व्यवस्था पर भी उठाए सवाल
रिपोर्ट में केंद्रीय टीम ने यह भी उल्लेख किया कि फोरलेन निर्माण के दौरान बेंच कटिंग और सुरक्षा दीवार जैसी जरूरी तकनीकी सुरक्षा व्यवस्थाएं कई हिस्सों में पर्याप्त नहीं हैं। यदि इन क्षेत्रों में तत्काल सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो मानसून के दौरान बड़े भूस्खलन की आशंका है।
ड्रेनेज सिस्टम में खामियां
केंद्रीय विशेषज्ञों ने रिपोर्ट में ड्रेनेज सिस्टम में गंभीर खामियों की ओर भी इशारा किया है। पानी का बहाव बिना वैज्ञानिक प्रबंधन के कटिंग साइट से नीचे की ओर जा रहा है। इससे घरों, खेतों और प्राकृतिक जलस्रोतों को खतरा बढ़ रहा है। मलबा निपटान स्थलों पर भी टीम ने नियमों के पालन न होने की बात कही, जिससे आसपास की भूमि पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। रिपोर्ट के आधार पर ही फोरलेन बनने का अगला भविष्य तय है।
सरकार करेगी अंतिम निर्णय : डीसी
उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि रिपोर्ट मिल गई है। रिपोर्ट अब राज्य सरकार को भेजी जा रही है। फोरलेन का काम शुरू करना है या बंद, अंतिम निर्णय सरकार का होगा।
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