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    हिमाचल: कानूनगो-पटवारियों की जवाबदेही तय करने की तैयारी, निशानदेही का 11 माह से एक भी सम्मन नहीं जारी; DC शिमला के सख्त निर्देश

    By Chaitanya Thakur Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Sun, 07 Dec 2025 06:43 PM (IST)

    शिमला में कानूनगो और पटवारियों की जवाबदेही तय करने की तैयारी है। उपायुक्त शिमला ने निशानदेही के मामलों में 11 महीने से कोई सम्मन जारी न होने पर सख्त न ...और पढ़ें

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    जिला शिमला के उपायुक्त अनुपम कश्यप। जागरण आर्काइव

    जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला में राजस्व कार्यों में लगातार बढ़ रही देरी और जनता की नाराजगी को देखते हुए उपायुक्त अनुपम कश्यप ने रविवार को कानूनगो और पटवारियों के साथ विशेष बैठक कर राजस्व तंत्र की सुस्ती पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने साफ कहा कि निशानदेही सहित राजस्व मामलों में लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अगले 7 दिनों के भीतर सभी लंबित मामलों में सम्मन जारी करना अनिवार्य होगा।

    उपायुक्त ने चेतावनी दी कि अगर कोई व्यक्ति राजस्व कार्यालय में यह शिकायत लेकर आता है कि फील्ड स्टाफ उसका काम नहीं कर रहा, तो उसी समय संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से रोजाना बड़ी संख्या में लोग लंबित राजस्व कार्यों की शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं, जिससे विभाग की छवि लगातार खराब हो रही है।

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    लेटलतीफी पर फटकार, 11 महीने से एक भी सम्मन जारी नहीं

    बैठक के दौरान फील्ड कानूनगो धामी, बृजलाल से जब जनवरी 2025 के बाद एक भी सम्मन जारी न करने का कारण पूछा गया, तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। उपायुक्त ने इसे “गंभीर प्रशासनिक लापरवाही” बताते हुए नायब तहसीलदार से पूछा कि इतने महीनों में इस देरी पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

    उन्होंने निर्देश दिए कि अब ऑफिस कानूनगो खुद फील्ड में उतरकर निशानदेही करेंगे और जिला राजस्व अधिकारी इनके लिए ड्यूटी रोस्टर जारी करेंगे। निर्धारित कार्य में देरी या फील्ड में न जाने पर विभागीय कार्रवाई तय मानी जाएगी।

    फील्ड स्टाफ को अपने क्षेत्र का ज्ञान तक नहीं, उपायुक्त नाराज

    बैठक में जब कानूनगो और पटवारियों से उनके क्षेत्रों से जुड़े तथ्यों और सरकारी भूमि-भवनों की जानकारी पूछी गई, तो 90 प्रतिशत कर्मचारी सटीक जानकारी ही नहीं दे पाए। उपायुक्त ने इसे राजस्व प्रशासन की “जमीनी कमजोरी” बताते हुए तत्काल सुधार के निर्देश दिए।

    चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट, न अधिकारी मिले, न फील्ड स्टाफ

    जब ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के बच्चों से मिलने के बारे में पूछा गया, तो दोनों एसडीएम सहित फील्ड स्टाफ ने स्वीकार किया कि वे कभी इन बच्चों से नहीं मिले। उपायुक्त ने कहा कि सरकार ने इन बच्चों के अभिभावक के रूप में प्रशासन की जिम्मेदारी तय की है। एक महीने के भीतर सभी अधिकारी और फील्ड स्टाफ को इन बच्चों से मिलकर रिपोर्ट देनी होगी।

    धारा 118 की अवहेलना, 7 दिनों में रिपोर्ट अनिवार्य

    उपायुक्त ने निर्देश दिए कि धारा 118 से संबंधित किसी भी अनुमति में अगर कोई अवहेलना या जानकारी मांगी जाती है, तो 7 दिनों के भीतर उसकी रिपोर्ट भेजना आवश्यक होगा। निर्धारित समय में जवाब न देने वालों पर कार्रवाई होगी।

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    पटवारियों द्वारा गलत रिपोर्टिंग पर सख्त चेतावनी

    धामी क्षेत्र के पटवारी ने महिला मंडल भवन की छत गिरने की रिपोर्ट भेज दी, जो नियमों के विरुद्ध है। उपायुक्त ने स्पष्ट किया कि डैमेज रिपोर्ट रोजनामचा में दर्ज न हो तो ऐसी रिपोर्ट देना दंडनीय होगा और भविष्य में इस तरह की गलती पर सख्त कार्रवाई होगी।

    फोरलेन निर्माण में अवैध डंपिंग,  एक भी सूचना नहीं भेजी

    उपायुक्त ने बताया कि कई क्षेत्रों में फोरलेन निर्माण के दौरान अवैध डंपिंग हो रही है, जिससे लोगों के घरों को खतरा है, लेकिन एक भी पटवारी ने इसकी सूचना प्रशासन को नहीं भेजी। इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए उन्होंने कड़ा निर्देश जारी किया है।

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    ये रहे मौजूद

    बैठक में एडीएम प्रोटोकॉल ज्योति राणा, जिला राजस्व अधिकारी सुमेध शर्मा, एसडीएम शिमला ग्रामीण मंजीत शर्मा और एसडीएम शिमला शहरी ओशीन शर्मा सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।