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    Sanjauli Masjid Controversy: संजौली मस्जिद की तीसरी मंजिल तोड़ने का काम शुरू, 15 मार्च को फिर होनी है सुनवाई

    Sanjauli Masjid Vivad संजौली मस्जिद विवाद में 15 मार्च को नगर निगम आयुक्त कोर्ट में सुनवाई होगी। मस्जिद कमेटी ने चौथी मंजिल के पिलर व तीसरी मंजिल की दीवारें तोड़ दी हैं। देवभूमि संघर्ष समिति और सिविल सोसायटी का आरोप है कि इसे जानबूझकर लटकाया जा रहा है। शिमला के मतियाणा में युवकों की पिटाई के बाद संजौली मस्जिद विवाद उठा था।

    By rohit nagpal Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 05 Mar 2025 10:36 AM (IST)
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    संजौली मस्जिद की तीसरी मंजिल तोड़ने का काम शुरू

    जागरण संवाददाता, शिमला। Sanjaui Masjid Controversy: राजधानी शिमला के संजौली में स्थित मस्जिद को तोड़ने के मामले में 15 मार्च को नगर निगम आयुक्त कोर्ट में सुनवाई होनी है। मस्जिद कमेटी ने चौथी मंजिल के पिलर व तीसरी मंजिल की दीवारें तोड़ने का काम आरंभ कर दिया है। चौथी मंजिल की दीवारें निकालने का काम पूरा कर लिया है। अब इसके लेंटर को तोड़ा जाना है।

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    हालांकि स्थानीय लोगों से लेकर सिविल सोसायटी व देवभूमि संघर्ष समिति लगातार इसे तोड़ने की मांग कर रही है। उनका आरोप है कि इसे जानबूझ कर लटकाया जा रहा है। हालांकि पहले ही ऊपरी तीन मंजिलों को तोड़ने के लिए 15 दिन का समय दिया था, लेकिन इसे समय पर नहीं तोड़ा गया। पिछले दिनों सिविल सोसायटी व संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने इस मामले को लेकर मांगपत्र नगर निगम आयुक्त को सौंपा था।

    जानें क्या है मामला

    शिमला के मतियाणा में युवकों की पिटाई के बाद संजौली मस्जिद विवाद उठा और हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया। 11 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी ने अवैध बताए जा रहे हिस्से को हटाने की पेशकश की थी। पांच अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद की तीन मंजिलें तोड़ने को स्वीकृति दी।

    इसके बाद इस मामले पर आयुक्त कोर्ट और अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में काफी समय तक सुनवाई चली। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत से भी मुस्लिम समुदाय के पक्ष में फैसला नहीं आया था।

    मुस्लिम पक्ष की निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने 30 नवंबर को खारिज कर दी थी। अब निचली दो मंजिलों की वैधता पर आयुक्त कोर्ट में मामला चल रहा है।

    मस्जिद की जमीन को लेकर भी किया था ये दावा

    देवभूमि संघर्ष समिति ने दावा किया था कि जिस जमीन पर मस्जिद बनाई गई है, राजस्व रिकार्ड में वह जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं बल्कि प्रदेश सरकार की है। मस्जिद के भवन निर्माण बारे संजौली मस्जिद कमेटी ने नक्शा भी जमा नहीं करवाया है।

    हालांकि कमेटी का दावा है कि ये जमीन बोर्ड की है। समिति का दावा है कि 2010 में जो नक्शा संजौली मस्जिद कमेटी ने जमा करवाया था वह तत्कालीन आयुक्त ने खारिज कर दिया था। इसके बाद कोई भी नक्शा जमा नहीं किया गया है।

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