'अवैध हिस्सा 15 दिन में तुड़वाएं वरना...', फिर क्यों गरमाने लगा संजौली मस्जिद का मामला?
Sanjauli Masjid Controversy शिमला की संजौली मस्जिद मामले में सिविल सोसायटी और देवभूमि संघर्ष समिति ने नगर निगम शिमला से मस्जिद के अवैध हिस्से को 15 दिन में तोड़ने का नोटिस देने की मांग की है। ऐसा न करने पर नगर निगम खुद कार्रवाई करे। समिति ने आरोप लगाया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद काम पूरा नहीं हुआ है।
जागरण संवाददाता, शिमला। शिमला के उपनगर संजौली में मस्जिद मामले (Sanjauli Masjid Case) में सिविल सोसायटी व देवभूमि संघर्ष समिति ने नगर निगम शिमला के आयुक्त से मांग की है कि मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने का काम 15 दिन में पूरा करने का मस्जिद कमेटी को नोटिस दिया जाए। ऐसा न किया गया तो नगर निगम स्वयं तोड़े। इस संबंध में उन्होंने मंगलवार को नगर निगम आयुक्त को ज्ञापन सौंपा।
उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम आयुक्त कोर्ट के मस्जिद को तोड़ने के आदेश के बावजूद अभी तक काम पूरा नहीं हो सका है। काम को जानबूझकर लटकाया जा रहा है। लंबे समय से काम पूरी तरह से बंद है। समिति के पदाधिकारी विकास थापटा व विजय शर्मा की अध्यक्षता में आयुक्त से मिले।
मस्जिद की चार मंजिलों को तोड़ना बाकी
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि ऐसा न होने पर स्थानीय समिति नगर निगम के विरुद्ध बाजार बंद का लोगों से आह्वान करेगी। साथ ही आने वाले समय में आंदोलन तेज करेगी। संजौली में बनी मस्जिद की पांच मंजिलों में से एक मंजिल को तोड़ने का काम पूरा कर दिया था। बाकी चार मंजिलों को तोड़ने का काम नहीं किया गया।
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जानें क्या था मामला
शिमला के मतियाणा में युवकों की पिटाई के बाद संजौली मस्जिद विवाद उठा और हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया। 11 सितंबर को संजौली मस्जिद कमेटी ने अवैध बताए जा रहे हिस्से को हटाने की पेशकश की थी। पांच अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद की तीन मंजिलें तोड़ने को स्वीकृति दी।
इसके बाद इस मामले पर आयुक्त कोर्ट और अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में काफी समय तक सुनवाई चली। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत से भी मुस्लिम समुदाय के पक्ष में फैसला नहीं आया था। मुस्लिम पक्ष की निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने 30 नवंबर को खारिज कर दी थी। अब निचली दो मंजिलों की वैधता पर आयुक्त कोर्ट में मामला चल रहा है।
मस्जिद की जमीन को लेकर भी किया था ये दावा
बीते दिनों देवभूमि संघर्ष समिति ने दावा कि है कि जिस जमीन पर मस्जिद बनाई गई है, राजस्व रिकॉर्ड में वह जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं बल्कि प्रदेश सरकार की है। मस्जिद के भवन के निर्माण के बारे में संजौली मस्जिद कमेटी ने नक्शा भी जमा नहीं करवाया है।
2010 में जो नक्शा संजौली मस्जिद कमेटी ने जमा करवाया था, वह नक्शा तत्कालीन आयुक्त ने खारिज कर दिया था। इसके बाद कोई भी नक्शा जमा नहीं किया गया है। ऐसे में पूरी संजौली मस्जिद अवैध है।
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