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    हिमाचल में सड़क किनारे सामान बेचने वाले की QR कोड से होगी पहचान, तीन राज्यों में पहचान पत्र पर हुआ था खूब विवाद

    By Jagran News Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Sat, 25 Oct 2025 01:05 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में सड़क किनारे रेहड़ी-फड़ी लगाने वालों की पहचान अब क्यूआर कोड से होगी। शहरी विकास विभाग ने क्यूआर कोड जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने हिमाचल को 47 करोड़ रुपये की ग्रांट मंजूर की है। रेहड़ी-फड़ी वालों को रुपे योजना से भी जोड़ा जा रहा है, जिसके तहत उन्हें ऋण मिल सकेगा।

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    सड़क किनारे दुकान लगाने वाले की पहचान अब क्यूआर कोड से होगी। प्रतीकात्मक फोटो

    राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में सड़कों के किनारे रेहड़ी-फड़ी लगाने वाले लोगों की पहचान अब क्यूआर कोड से की जाएगी। शहरी विकास विभाग ने सभी स्ट्रीट वेंडर्स को क्यूआर कोड जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 

    वर्तमान में लगभग पांच हजार रेहड़ी-फड़ी वालों की पहचान की जा चुकी है, लेकिन विभाग का मानना है कि इनकी संख्या इससे कहीं अधिक है।

    शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने विभाग को निर्देश दिए हैं कि नए सिरे से सर्वे किया जाए ताकि सभी रेहड़ी-फड़ी वालों को क्यूआर कोड जारी किया जा सके। 

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    यूपी व उत्तराखंड के बाद हिमाचल में भी हुआ था पहचान पर विवाद

    उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बाद हिमाचल में भी रेहड़ी-फड़ी वालों की पहचान को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था। पहले सभी के लिए पहचानपत्र जारी करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन अब क्यूआर कोड जारी होंगे। 

    क्यूआर कोड स्कैन करते ही पता चलेगा रेहड़ी धारक का नाम पता

    क्यूआर कोड को स्कैन करने पर रेहड़ी-फड़ी वाले का नाम, पता और लाइसेंस नंबर की जानकारी प्राप्त होगी। इसके साथ ही यह भी पता चलेगा कि उनके पास फूड लाइसेंस है या नहीं। विवाद से बचने के लिए सरकार ने यह नया उपाय अपनाया है, जिसके तहत दुकान पर नाम और पते के बोर्ड के बजाय क्यूआर कोड प्रदर्शित किए जाएंगे।

    केंद्रीय मंत्री ने की सराहना

    मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि शुक्रवार को केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल के साथ वर्चुअल बैठक हुई, जिसमें हिमाचल की योजना के बारे में चर्चा की गई। केंद्रीय मंत्री ने सुझाव की सराहना की है। 

    2024 में हुआ था विवाद

    लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने वर्ष 2024 में कहा था कि हिमाचल में रेहड़ी-फड़ी वालों को फोटोयुक्त पहचान पत्र लगाना अनिवार्य होगा। हालांकि पार्टी के भीतर ही उनके इस बयान को लेकर विरोध भी हुआ था। बाद में उनकी तरफ से सफाई भी आई थी। बाद में राज्य सरकार ने ऐसे किसी आदेश पर रोक लगा दी थी। सरकार ने कहा था कि ऐसी नेमप्लेट या अन्य पहचान अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उत्तर प्रदेश सहित कुछ राज्यों में रेहड़ी-फड़ी वालों की पहचान उजागर करने का विरोध हुआ था।

    विक्रमादित्य के बयान का शांडिल ने किया था समर्थन

    विक्रमादित्य सिंह के बयान का स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि यह सुरक्षा से जुड़ा प्रश्न है। उन्होंने कहा कि वह इसके पक्षधर हैं कि हम एक सुरक्षित प्रदेश बनाएं। अगर प्रदेश को सुरक्षित बनाना है तो इसके लिए यह पता लगाना जरूरी है कि कौन कहां से है। मामला विधानसभा में भी गूंजा था। जिसके बाद राज्य सरकार ने रेहड़ी-फड़ी वालों के लिए नीति बनाने के लिए एक कमेटी भी गठित की थी। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में स्ट्रीट वेंडर पालिसी बनाई जा चुकी है और उसे लागू भी कर दिया गया है।

    47 करोड़ रुपये की ग्रांट मंजूर
    बैठक के बाद शिमला स्थित राज्य सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने म्युनिसिपल शैड सर्विस योजना के तहत हिमाचल को 47 करोड़ रुपये की ग्रांट मंजूर की है, जिसमें से 23.50 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं। इस राशि का उपयोग आधारभूत सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। 

    रुपे योजना से जुड़ रहे

    इसके अलावा, रेहड़ी-फड़ी वालों को रुपे योजना से भी जोड़ा जा रहा है, जिसके तहत उन्हें 20 से 30 हजार रुपये तक का ऋण बैंक से मिल सकेगा। केंद्र सरकार अनुदान पर यह ऋण उपलब्ध कराती है। अब तक 19 करोड़ रुपये लोगों को ऋण के रूप में मिल चुके हैं, जिससे लगभग साढ़े तीन हजार लोगों को लाभ मिला है। अधिक लोगों को इसका लाभ पहुंचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।


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    1500 किलोमीटर सड़कों की मंजूरी का किया आग्रह 

    प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-4 को लेकर पूछे प्रश्न पर विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि इसकी औपचारिकताएं पूरी कर केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया है। उन्होंने कहा कि ऊना, हमीरपुर व शिमला के रोहड़ू की पांच सड़कें इस परियोजना से बाहर हो गई है। इस कारण ये सड़कें नियमों को पूरा नहीं कर पा रही थी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से उन्होंने मुलाकात कर 1500 किलोमीटर सड़कों के लिए मंजूरी देने का आग्रह किया था। उम्मीद है अगले सप्ताह तक ये सड़कें मंजूर हो जाएंगी। 

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    पंचायत व शहरी निकाय चुनाव के लिए सरकार तैयार

    एक प्रश्न पर विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सरकार पंचायती राज संस्थाओं व शहरी निकायों के चुनाव के लिए तैयार है। जिलाधीशों ने जो समस्या बताई है उसे भी सरकार ने ध्यान में रखा है ताकि किसी तरह की परेशानी न हो। तय समय पर चुनाव करवाना संवैधानिक बाध्यता है और सुचारू रूप से चुनाव हों इसे सुनिश्चित बनाना सरकार का दायित्व है।