Kinner Kailash Yatra: बाढ़-भूस्खलन से पुल व रास्ते बहे, दो श्रद्धालुओं की मौत; 413 रेस्क्यू, अभी भी फंसे हैं 80 से ज्यादा, VIDEO
Kinner Kailash Yatra Flood किन्नौर हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण किन्नर कैलाश यात्रा मार्ग पर भूस्खलन हुआ है जिससे रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं। दो श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई है और 413 श्रद्धालुओं को बचाया गया है जबकि 80 अभी भी फंसे हुए हैं। यात्रा को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है।

संवाद सहयोगी, रिकांगपिओ। Kinner Kailash Yatra Flood, हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का दौर जारी है। जिला किन्नौर में लगातार हो रही भारी वर्षा के कारण किन्नर कैलाश यात्रा मार्ग पर कई स्थानों पर भूस्खलन, तेज बहाव से पुल व रास्ते बह गए हैं। किन्नर कैलाश यात्रा के दौरान दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई है।
बताया जा रहा है कि एक व्यक्ति पर्वती कुंड के पास मृत मिला है, कोलकाता का निवासी है। इसके अलावा एक अन्य श्रद्धालु की गिरने के कारण मौत हो गई है। पुल बहने व बाढ़ के कारण 500 से ज्यादा श्रद्धालु फंसे हुए थे, जिनमें से 413 को रेस्क्यू कर लिया है। अभी भी 80 से ज्यादा श्रद्धालु यात्रा मार्ग पर फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने में आइटीबीपी, हिमाचल पुलिस व एनडीआरएफ के जवान जुटे हुए हैं।
किन्नौर में बादल फटने से आई बाढ़, किन्नर कैलाश यात्रा मार्ग भी बंद हों गया है... pic.twitter.com/CyPCliiYYn
— Rajesh Sharma (@sharmanews778) August 6, 2025
फिसलन भरे रास्तों ने यात्रा को असुरक्षित बना दिया है। किन्नर कैलाश यात्रा को अगले आदेश तक अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है। यह निर्णय श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए लिया है। तांगी घाटी और कांग्यरंग नालों पर बने अस्थायी पैदल पुल भारी वर्षा और पानी के तेज बहाव में बह गए हैं। अन्य स्थानों पर भी मार्ग फिसलन भरा हो गया है।
एसडीएम कल्पा एवं जिला पर्यटन अधिकारी अमित कल्थाईक ने बताया कि सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर रोक दिया है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। इस वर्ष छठी बार यात्रा स्थगित की गई है। भूस्खलन यात्रा के लिए चुनौती बन रहा है। सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि जब तक अधिकृत सूचना जारी नहीं होगी तब तक यात्रा न करें।
किन्नर कैलाश यात्रा मार्ग पर आया जल सैलाब।
11 किलोमीटर सीधी चढ़ाई वाला ट्रैक है बेहद खतरनाक
जिला किन्नौर की किन्नर कैलाश यात्रा बेहद कठिन है। करीब 11 किलोमीटर तक का सीधी चढ़ाई वाला ट्रैक है, जिसे चढ़ना बेहद मुश्किल रहता है। इस मार्ग पर भूस्खलन व बाढ़ आने से श्रद्धालुओं की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालांकि प्रशासन ने समय रहते राहत एवं बचाव कार्य सुचारू कर दिया है। जो श्रद्धालु फंसे हैं, उन्हें भी टेंट में रोका गया है।
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